दिल्ली अस्पताल में लगी आग में 7 शिशुओं की मौत: चार्जशीट में लापरवाही उजागर

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दिल्ली अस्पताल में लगी आग में 7 शिशुओं की मौत: चार्जशीट में लापरवाही उजागर

परिचय

पूर्वी दिल्ली के एक नवजात अस्पताल में भीषण आग लगने से सात शिशुओं की दुखद मौत हो गई। दिल्ली पुलिस ने एक विस्तृत चार्जशीट दाखिल की, जिसमें गंभीर लापरवाही और नियमों के उल्लंघन का उल्लेख किया गया है। इस लेख में हम घटना के विवरण, जांच के निष्कर्षों और भारत में स्वास्थ्य देखभाल सुरक्षा मानकों के लिए इसके प्रभावों की चर्चा करेंगे।

दुखद घटना

25 मई को, पूर्वी दिल्ली के विवेक विहार स्थित बेबी केयर न्यू बोर्न अस्पताल में रात 11:30 बजे एक बड़ी आग लगी। आग तेजी से फैल गई, जिससे व्यापक नुकसान हुआ और दुखद रूप से सात शिशुओं की मौत हो गई। इस घटना ने सुरक्षा उपायों और आपातकालीन प्रतिक्रिया में महत्वपूर्ण कमियों को उजागर किया।

चार्जशीट के निष्कर्ष

दिल्ली पुलिस ने 796 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की, जिसमें जांच के निष्कर्षों का दस्तावेजीकरण किया गया है। चार्जशीट में बताया गया कि अस्पताल में पर्याप्त अग्नि सुरक्षा उपकरण नहीं थे। इसके अलावा, आग लगने पर अस्पताल के कर्मचारियों ने तेजी से कार्रवाई नहीं की, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई।

लापरवाही और नियमों का उल्लंघन

चार्जशीट में नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) चलाने के लिए वैधानिक आवश्यकताओं के कई उल्लंघनों पर प्रकाश डाला गया। अस्पताल को पांच बिस्तरों के साथ संचालित करने की अनुमति थी, लेकिन बिना उचित प्राधिकरण के 12 बिस्तरों तक बढ़ा दिया गया था। इसके अलावा, सुविधा में योग्य नर्सिंग स्टाफ और पर्याप्त अग्नि सुरक्षा उपायों की कमी थी।

अपर्याप्त सुरक्षा उपाय

चार्जशीट में उल्लेख किया गया कि अस्पताल ने बुनियादी अग्नि सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू नहीं किए थे। यह दिखाने के लिए कोई दस्तावेज़ नहीं थे कि अग्नि सुरक्षा उपकरण स्थापित थे। इसके अलावा, अस्पताल में 31 ऑक्सीजन सिलेंडर संग्रहीत किए गए थे, जो अनुमत संख्या से कहीं अधिक थे और उन्हें खतरनाक तरीके से संग्रहीत किया गया था।

कानूनी परिणाम

चार्जशीट में अस्पताल के मालिक नवीन खीची और बीएएमएस डॉक्टर आकाश पर हत्या के आरोप सहित अन्य आरोप लगाए गए हैं। जांच में पाया गया कि आरोपी व्यक्तियों की लापरवाही और सुरक्षा नियमों का पालन करने में विफलता से सीधे तौर पर शिशुओं की मौत हुई।

निष्कर्ष

यह दुखद घटना स्वास्थ्य सुविधाओं में कड़े सुरक्षा मानकों की महत्वपूर्ण आवश्यकता को रेखांकित करती है। यह सुरक्षा प्रोटोकॉल के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए नियामक निगरानी के महत्व को भी उजागर करता है। यह मामला स्वास्थ्य देखभाल में लापरवाही के परिणामों की एक गंभीर याद दिलाता है।


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