आख़िर तक – एक नज़र में:
- प्रियंका गांधी ने अपने पहले लोकसभा भाषण में संविधान को ‘सुरक्षा कवच’ बताया।
- उन्होंने बीजेपी पर संविधान की धज्जियां उड़ाने का आरोप लगाया।
- बिना नाम लिए अदानी और सरकार के बीच संबंधों पर सवाल उठाए।
- उन्होंने जाति-आधारित जनगणना की मांग को फिर से उठाया।
- विपक्ष ने उनके भाषण पर मेज थपथपाकर समर्थन जताया।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार:
लोकसभा में प्रियंका गांधी का पहला भाषण:
लोकसभा में अपने पहले भाषण में, प्रियंका गांधी वाड्रा ने संविधान को “सुरक्षा कवच” बताया और बीजेपी सरकार पर इसे कमजोर करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “संविधान न्याय, एकता, और अभिव्यक्ति की आज़ादी का कवच है।”
142 करोड़ बनाम एक:
उन्होंने सीधे तौर पर अदानी का नाम नहीं लिया, लेकिन सरकार और अदानी के बीच कथित संबंधों पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा, “142 करोड़ लोगों को एक व्यक्ति को बचाने के लिए नजरअंदाज किया जा रहा है। बंदरगाह, हवाई अड्डे, और खनिज सभी एक व्यक्ति को दिए जा रहे हैं।”
आरक्षण पर सवाल:
प्रियंका ने कहा कि सरकार ने आरक्षण प्रणाली को कमजोर करने का प्रयास किया है। उन्होंने निजीकरण और लेटरल एंट्री के माध्यम से सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को कमजोर करने का आरोप लगाया।
जाति आधारित जनगणना की मांग:
प्रियंका ने एक बार फिर जाति-आधारित जनगणना की मांग को उठाया। उन्होंने बीजेपी पर चुनावी रणनीति के लिए इस मुद्दे का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।
चुनावी परिणामों का प्रभाव:
प्रियंका गांधी ने कहा कि बीजेपी, 2024 लोकसभा चुनाव में कम जनादेश के कारण संविधान में बदलाव की अपनी योजनाओं पर अमल नहीं कर सकी।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें:
- प्रियंका गांधी ने संविधान को कमजोर करने और अदानी को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया।
- उन्होंने जाति-आधारित जनगणना और सामाजिक न्याय पर जोर दिया।
- उन्होंने बीजेपी की नीतियों पर खुलकर सवाल उठाए।
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