आख़िर तक – एक नज़र में
- सुप्रीम कोर्ट ने बैलेट पेपर की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया।
- जस्टिस विक्रम नाथ और पीबी वराले की बेंच ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाई।
- कोर्ट ने कहा, हार के बाद ही EVM में गड़बड़ी की शिकायत क्यों की जाती है?
- याचिकाकर्ता ने EVM की सुरक्षा पर सवाल उठाते हुए लोकतंत्र बचाने की बात कही।
- कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी बैलेट पेपर की वकालत की।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
EVM पर सुप्रीम कोर्ट का रुख
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को EVM के बजाय बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग को खारिज कर दिया। जस्टिस विक्रम नाथ और पीबी वराले की बेंच ने कहा कि जब लोग चुनाव जीतते हैं, तब EVM पर सवाल नहीं उठते।
याचिकाकर्ता की दलीलें
याचिकाकर्ता केए पॉल ने तर्क दिया कि EVM में छेड़छाड़ की संभावना है, जिससे लोकतंत्र खतरे में पड़ सकता है। उन्होंने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के बयानों का हवाला दिया।
कोर्ट की प्रतिक्रिया
न्यायालय ने कहा, “जब आप जीतते हैं तो EVM सही होती है, लेकिन हारने पर EVM में गड़बड़ी की बात करते हैं।” कोर्ट ने याचिका को राजनीति से प्रेरित बताते हुए खारिज कर दिया।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने EVM के खिलाफ अभियान चलाने की मांग की। उन्होंने कहा कि बैलेट पेपर से चुनाव कराने के लिए जन आंदोलन की जरूरत है।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- सुप्रीम कोर्ट ने EVM की विश्वसनीयता पर उठे सवालों को खारिज किया।
- याचिकाकर्ता की दलीलों को अदालत ने तर्कहीन बताया।
- EVM विवाद में कांग्रेस समेत कई दल बैलेट पेपर की मांग कर रहे हैं।
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