जावेद अख्तर ने कंगना रनौत के खिलाफ गैर-जमानती वारंट की मांग की

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जावेद अख्तर ने कंगना रनौत के खिलाफ गैर-जमानती वारंट की मांग की

परिचय

बॉलीवुड के मशहूर गीतकार जावेद अख्तर ने अभिनेत्री और भाजपा सांसद कंगना रनौत के खिलाफ गैर-जमानती वारंट (NBW) की मांग करते हुए एक आवेदन दाखिल किया है। यह आवेदन रनौत की अदालत में लगातार अनुपस्थिति के कारण किया गया है।

मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला मार्च 2016 में अख्तर के मुंबई निवास पर हुई एक बैठक से उत्पन्न हुआ था। उस समय, रनौत और अभिनेता ऋतिक रोशन के बीच ईमेल के आदान-प्रदान को लेकर सार्वजनिक विवाद हो रहा था। अख्तर, जो रोशन परिवार के करीबी हैं, ने स्वयं को मध्यस्थ नियुक्त किया और रनौत से रोशन से माफी मांगने के लिए कहा।

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मानहानि की शिकायत

2020 में, अख्तर ने रनौत के खिलाफ मानहानि की शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने एक टेलीविज़न साक्षात्कार के दौरान रनौत द्वारा की गई टिप्पणियों पर आपत्ति जताई, जिसमें 2016 की बैठक का वर्णन एक ऐसे तरीके से किया गया जिसे अख्तर ने मानहानि माना। रनौत ने इसके जवाब में अख्तर के खिलाफ एक क्रॉस-शिकायत दर्ज की, लेकिन उनकी कार्यवाही को दिंडोशी सत्र न्यायालय द्वारा स्थगित कर दिया गया।

अदालत की कार्यवाही

रनौत ने बार-बार अदालत में उपस्थित होने से छूट की मांग की है, जिसे सत्र न्यायालय और बॉम्बे हाई कोर्ट दोनों ने खारिज कर दिया है। कई मौकों पर, वह उपस्थित नहीं हुईं, जिसके चलते अख्तर के वकील, जय भारद्वाज, ने गैर-जमानती वारंट के लिए आवेदन दायर किया।

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हालिया घटनाक्रम

हाल ही में अदालत की तारीख पर, रनौत फिर से अनुपस्थित थीं। भारद्वाज ने तर्क दिया कि रनौत की बार-बार अनुपस्थिति कानूनी प्रक्रिया में जानबूझकर देरी थी। उन्होंने जोर दिया कि पहले जारी किए गए जमानती वारंट के बावजूद, रनौत ने नियमित अदालत उपस्थिति के लिए प्रतिबद्धता नहीं दिखाई।

अदालत का निर्देश

अदालत ने तुरंत NBW जारी नहीं किया, लेकिन रनौत को अगली सुनवाई की तारीख, 9 सितंबर 2024, को उपस्थित होने की चेतावनी दी। उनके वकीलों ने अदालत को उनकी उपस्थिति का आश्वासन दिया।

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कानूनी तर्क और स्थिति

भारद्वाज ने बताया कि रनौत की अदालत उपस्थिति से स्थायी छूट के लिए आवेदन कई बार खारिज कर दिया गया था। इसके बावजूद, उन्होंने लगातार छूट के लिए आवेदन किए और अदालत की तारीखों को नजरअंदाज किया। भारद्वाज ने जोर दिया कि उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए NBW का जारी होना आवश्यक था।

पिछले वारंट पर अदालत का रुख

पहले, रनौत के खिलाफ एक जमानती वारंट जारी किया गया था, जिसे उन्होंने अदालत में उपस्थित होकर रद्द करवा लिया था। हालांकि, उनके बाद के कार्यों ने अदालत के आदेशों के अनुपालन में गैर-अनुपालन का एक पैटर्न दिखाया है।

उच्च न्यायालय द्वारा याचिका की खारिजी

फरवरी में, बॉम्बे हाई कोर्ट ने रनौत की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें अख्तर द्वारा शुरू किए गए मुकदमे पर रोक लगाने की मांग की गई थी। रनौत ने तर्क दिया था कि अख्तर की शिकायत और उनके क्रॉस-शिकायत को एक साथ सुना जाना चाहिए, लेकिन अदालत ने इससे सहमति नहीं जताई।

मानहानि आरोपों का विवरण

अख्तर की मानहानि शिकायत का केंद्र 2021 के टेलीविज़न साक्षात्कार में रनौत द्वारा की गई टिप्पणियां हैं। उन्होंने 2016 की बैठक का वर्णन एक ऐसे तरीके से किया जिसे अख्तर ने अपनी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाला माना। अख्तर का आरोप है कि उनकी टिप्पणियां सार्वजनिक रूप से उन्हें बदनाम करने के इरादे से की गई थीं।

रनौत की क्रॉस-शिकायत

रनौत ने अख्तर के खिलाफ एक क्रॉस-शिकायत दर्ज की, जिसमें दावा किया गया कि 2016 की बैठक के दौरान अख्तर ने उन्हें डराने की कोशिश की। हालांकि, दिंडोशी सत्र न्यायालय ने उनकी शिकायत को स्थगित कर दिया है, जो अख्तर की प्रारंभिक मानहानि शिकायत पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

कानूनी संदर्भ और प्रभाव

अख्तर और रनौत के बीच चल रहे कानूनी संघर्ष ने सार्वजनिक ध्यान आकर्षित किया है। यह मानहानि, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सार्वजनिक हस्तियों की जिम्मेदारियों के मुद्दों को उजागर करता है। मामला अदालत की प्रक्रियाओं का पालन करने के महत्व और अनुपालन न करने के संभावित परिणामों पर भी प्रकाश डालता है।

निष्कर्ष

अगली सुनवाई 9 सितंबर 2024 को इस हाई-प्रोफाइल मानहानि मामले के पाठ्यक्रम को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण होगी। दोनों अख्तर और रनौत की कानूनी टीमें एक महत्वपूर्ण मुकाबले की तैयारी कर रही हैं, जिसमें गैर-जमानती वारंट जारी होने की संभावना लटकी हुई है।


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