श्रीलंका में अनुरा कुमारा डिसानायके ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली: एक राजनीतिक भूकंप
अनुरा कुमारा डिसानायके का श्रीलंका का राष्ट्रपति बनना राजनीतिक भूकंप के समान है। यह पहली बार है जब श्रीलंकावासियों ने पारंपरिक दलों को खारिज कर किसी गैर-राजनीतिक व्यक्ति को सत्ता सौंपी है। डिसानायके का जुड़ाव जनाथा विमुक्ति पेरामुना (JVP) से है, जिसने 1970 और 1980 के दशक में श्रीलंकाई सुरक्षा बलों के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष किया था। JVP के इस हिंसक इतिहास के बावजूद, डिसानायके ने पार्टी को मुख्यधारा में लाने और राजनीतिक स्थिरता प्रदान करने का प्रयास किया है।
JVP की शुरुआत 1965 में रोहना विजेवेर की नेतृत्व में हुई थी। उन्होंने स्टालिन से प्रेरणा ली और USSR की यात्रा की। हालांकि, पार्टी ने 1971 में श्रीलंका के 74 पुलिस स्टेशनों पर हमला किया था, जिससे 8000 से 10000 लोग मारे गए। JVP के इस सशस्त्र संघर्ष के बाद पार्टी को दबा दिया गया और इसके नेता गिरफ्तार हो गए। 1988-89 के दौरान JVP ने एक और सशस्त्र संघर्ष किया, जिसमें लगभग 7000 लोग मारे गए।
डिसानायके ने 2014 में JVP की बागडोर संभाली और पार्टी को एक भ्रष्टाचार-मुक्त और पारदर्शी छवि के साथ फिर से जनता के सामने प्रस्तुत किया। 2019 के चुनाव में JVP को मात्र 3% वोट मिले थे, जबकि 2024 में डिसानायके के नेतृत्व में पार्टी ने 42.3% वोट प्राप्त किए, जो एक राजनीतिक उलटफेर था।
श्रीलंका इस समय अपने सबसे बड़े आर्थिक संकट से गुजर रहा है, और डिसानायके को लोगों ने एक नए उम्मीद की किरण के रूप में देखा है। डिसानायके ने चुनाव अभियान के दौरान भारत, चीन और पश्चिमी देशों के साथ संबंधों को मज़बूत करने का प्रयास किया। उनकी भारत यात्रा और अमूल डेयरी मॉडल में रुचि ने भारत-श्रीलंका संबंधों को नई दिशा दी है।
हालांकि, डिसानायके का चीन के प्रति झुकाव एक चिंता का विषय हो सकता है। विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी के अनुसार, श्रीलंका का यह नया नेतृत्व भारत के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, खासकर जब नेपाल और बांग्लादेश पहले से ही साम्यवादी या सैन्य समर्थित शासन के तहत हैं।
डिसानायके ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया और दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “मैं प्रधानमंत्री मोदी को उनकी शुभकामनाओं और समर्थन के लिए धन्यवाद देता हूँ। हम मिलकर अपने राष्ट्रों के बीच संबंधों को और मजबूत करेंगे।”
श्रीलंका के लिए एक नया युग शुरू होने वाला है, लेकिन क्या यह भारत से दूर जाएगा? यह सवाल अभी भी अनुत्तरित है।
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