कर्नाटक हाई कोर्ट ने क्यों खारिज की सिद्धारमैया की याचिका?
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ MUDA भूमि घोटाले की जांच को लेकर दायर याचिका को हाई कोर्ट ने मंगलवार को खारिज कर दिया। यह मामला सिद्धारमैया और उनकी पत्नी बीएम पार्वती को भूमि आवंटन से जुड़े अनियमितताओं पर आधारित है। न्यायालय ने इस मामले में गवर्नर द्वारा दिए गए अनुमति पर उठाए गए सवालों को खारिज किया और जांच को सही ठहराया।
सिद्धारमैया ने गवर्नर थावरचंद गहलोत द्वारा दी गई अनुमति को चुनौती दी थी। गवर्नर ने तीन सामाजिक कार्यकर्ताओं की याचिका पर इस मामले में जांच के लिए अनुमति दी थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सिद्धारमैया की पत्नी को प्रमुख स्थान पर 14 प्लॉट्स आवंटित किए गए थे।
हाई कोर्ट के न्यायाधीश एम नागप्रसन्ना ने कहा कि इस मामले में सिद्धारमैया का “पीछे से भूमिका निभाना” स्पष्ट था। उन्होंने कहा कि यह कहना कठिन है कि इस मामले में मिले 56 करोड़ रुपये का लाभ सिद्धारमैया के परिवार को नहीं हुआ। न्यायालय ने पाया कि नियमों को उनके परिवार के पक्ष में मोड़ा गया।
याचिका में सिद्धारमैया ने यह भी तर्क दिया कि गवर्नर का आदेश संविधान और कानूनी प्रावधानों के खिलाफ था, जिसमें मंत्रिपरिषद की सलाह महत्वपूर्ण होती है। इस पर न्यायालय ने कहा कि यह उम्मीद करना कठिन है कि मुख्यमंत्री द्वारा नामित कैबिनेट इस मुद्दे पर निष्पक्ष निर्णय ले सकेगी।
अंततः न्यायालय ने कहा कि इस मामले की जांच आवश्यक है क्योंकि इससे सिद्धारमैया के परिवार को लाभ हुआ। कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।
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