सेना प्रमुख का 1971 युद्ध चित्र को बदलने का बचाव

आख़िर तक
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सेना प्रमुख का 1971 युद्ध चित्र को बदलने का बचाव

“आख़िर तक – एक नज़र में”

  1. सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने 1971 युद्ध के चित्र को बदलने का बचाव किया।
  2. यह चित्र 1971 में पाकिस्तान की हार का प्रतीक था, जिसे अब मानेकशॉ कन्वेंशन सेंटर में रखा गया।
  3. नई पेंटिंग “कर्म क्षेत्र” का उद्देश्य भारतीय सेना के वर्तमान दृष्टिकोण को दर्शाना है।
  4. पेंटिंग में भारतीय सेना को धर्म रक्षक और समकालीन चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार दिखाया गया है।
  5. जनरल द्विवेदी का कहना है कि नई पेंटिंग अतीत, वर्तमान और भविष्य का संगम है।

“आख़िर तक – विस्तृत समाचार”

सेना प्रमुख का दृष्टिकोण भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने 1971 युद्ध में पाकिस्तान की हार का प्रतीक “संडर पेंटिंग” को अपने ऑफिस से हटाए जाने के निर्णय को उचित ठहराया है। यह निर्णय दिसंबर में लिया गया, और इस चित्र को मानेकशॉ कन्वेंशन सेंटर में स्थापित किया गया है। यह चित्र भारतीय सेना की उपलब्धियों को प्रदर्शित करता था और उसे अपने पुराने युद्ध इतिहास से जोड़ा जाता था।

हालांकि, इस बदलाव ने कई सेना के दिग्गजों और अन्य व्यक्तियों को आहत किया, और आलोचना भी की गई। जनरल द्विवेदी ने अपनी राय प्रस्तुत करते हुए कहा कि भारतीय इतिहास का तीन महत्वपूर्ण अध्याय हैं — ब्रिटिश काल, मुग़ल काल और इससे पहले का काल। अगर हम इन ऐतिहासिक अंशों से भारतीय सेना की दृष्टि को जोड़ना चाहते हैं, तो प्रतीकात्मक रूप से इसे व्यक्त करना आवश्यक है।

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“कर्म क्षेत्र” पेंटिंग की महत्वता नई पेंटिंग, जिसका नाम “कर्म क्षेत्र” (Field of Deeds) है, सेना की प्रमुख भूमिका को दर्शाती है। यह पेंटिंग 28 मद्रास रेजिमेंट के लेफ्टिनेंट कर्नल थॉमस जेकब द्वारा बनाई गई है। इसमें भारतीय सेना को एक ऐसे रक्षक के रूप में चित्रित किया गया है जो धर्म की रक्षा करता है और उसकी प्रौद्योगिकी में प्रगति को दर्शाता है। इस चित्र में लद्दाख के पांगोंग झील के आसपास बर्फ से ढके पहाड़, भगवान श्री कृष्ण के रथ और चाणक्य की प्रतिमा है, जो रणनीतिक ज्ञान का प्रतीक मानी जाती है।

वर्तमान परिप्रेक्ष्य जनरल द्विवेदी का मानना ​​है कि यह पेंटिंग विशेष रूप से वर्तमान चुनौतियों और रणनीतिक संदर्भ को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है। उन्होंने भारतीय सेना की उत्तरी मोर्चे पर तैनाती का उल्लेख किया और इस चित्र को उन नए परिवर्तनों और विकास को दिखाने वाला माना जो भारतीय सेना ने समय के साथ अपनाए हैं।

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अतीत, वर्तमान और भविष्य का संगम जनरल द्विवेदी ने कहा कि यह पेंटिंग अतीत, वर्तमान और भविष्य के बीच एक सेतु का काम करती है। इसमें पूर्वजों के सिद्धांत और भविष्य की रणनीतियों का भी समावेश है, और यह भारतीय सेना के विभिन्न इतिहासों और स्थितियों के एकजुट प्रतीक के रूप में सामने आती है।

इसलिए, जब हम चित्र के बदलाव की आलोचना करते हैं, तो यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इसे एक दृष्टिकोण के रूप में देखा जा सकता है, न कि केवल एक ऐतिहासिक चित्र के रूप में।

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“आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें”

  • 1971 युद्ध की हार के प्रतीक चित्र को मानेकशॉ सेंटर में स्थानांतरित किया गया।
  • नई पेंटिंग “कर्म क्षेत्र” भारतीय सेना के वर्तमान दृष्टिकोण को दर्शाती है।
  • यह पेंटिंग धर्म की रक्षा और प्रौद्योगिकी में प्रगति को संदर्भित करती है।
  • जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि यह पेंटिंग अतीत, वर्तमान और भविष्य का मिलाजुला प्रतीक है।
  • नई पेंटिंग भारतीय सेना की वैचारिक और रणनीतिक दिशा का संकेत है।

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आख़िर तक मुख्य संपादक
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