असदुद्दीन ओवैसी: विपक्षी दल ‘नाकाम’, इसलिए भाजपा जीतती है

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असदुद्दीन ओवैसी: विपक्षी दल 'नाकाम', इसलिए भाजपा जीतती है

आख़िर तक – एक नज़र में

  • असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, भाजपा लगातार चुनाव इसलिए जीत रही क्योंकि विपक्षी दल ‘नाकाम’ हैं।
  • उन्होंने कहा कि भाजपा ने हिंदू वोटों का सफलतापूर्वक ध्रुवीकरण किया है।
  • AIMIM को भाजपा की ‘बी-टीम‘ कहने के आरोप उनकी पार्टी के प्रति नफरत दर्शाते हैं।
  • ओवैसी ने मुस्लिम समुदाय के लिए मजबूत राजनीतिक नेतृत्व की वकालत की।
  • उनका मानना है कि मुस्लिमों को हाशिए पर रखकर ‘विकसित भारत’ का लक्ष्य असंभव है।

आख़िर तक – विस्तृत समाचार

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने रविवार को एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) देश भर में लगातार चुनाव जीत रही है। इसका मुख्य कारण है कि उसने हिंदू वोटों को एकजुट किया है। साथ ही, विपक्षी दल पूरी तरह से ‘नाकाम’ साबित हुए हैं। यह बयान उन्होंने अपनी पार्टी को भाजपा की ‘बी-टीम’ कहे जाने के आरोपों के जवाब में दिया।

विपक्ष की ‘नाकामी’ पर ओवैसी का स्पष्ट मत
असदुद्दीन ओवैसी से जब पूछा गया कि क्या उनकी पार्टी भाजपा की ‘बी-टीम’ है, तो उन्होंने तीखी प्रतिक्रिया दी। यह आरोप विपक्षी पार्टियां बार-बार लगाती रही हैं। ओवैसी ने कहा कि उन पर दोष मढ़ने की कोशिशें कुछ और नहीं, बल्कि उनकी पार्टी के प्रति विपक्षी दलों की ‘नफरत’ है। उनकी पार्टी मुख्य रूप से मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करती है। उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई से शनिवार को कहा, “भाजपा इसलिए सत्ता में आ रही है क्योंकि विपक्ष ‘नाकाम’ है। वह चुनाव इसलिए जीत रही है क्योंकि उसने लगभग 50 प्रतिशत हिंदू वोटों को एकजुट कर लिया है।” यह ओवैसी का स्पष्ट विश्लेषण था।

‘बी-टीम’ के आरोपों का करारा जवाब
ओवैसी ने आगे सवाल किया, “आप मुझ पर दोष कैसे डाल सकते हैं, मुझे बताएं? अगर मैं 2024 के लोकसभा चुनाव में हैदराबाद, औरंगाबाद, किशनगंज और कुछ अन्य सीटों पर चुनाव लड़ता हूं और भाजपा को 240 सीटें मिलती हैं, तो क्या मैं जिम्मेदार हूं?” कांग्रेस जैसे विपक्षी दल ओवैसी के अपनी पार्टी AIMIM को हैदराबाद के गढ़ से बाहर विस्तारित करने के प्रयासों की आलोचना करते रहे हैं। उनका आरोप है कि ओवैसी मुख्य रूप से मुस्लिम वोटों का एक हिस्सा काटकर भाजपा को फायदा पहुंचाते हैं। हालांकि, हैदराबाद से पांच बार के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने पलटवार किया। उन्होंने विपक्षी दलों पर मुस्लिम वोटों को हल्के में लेने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि ये दल मुसलमानों की वास्तविक चिंताओं पर बहुत कम ध्यान देते हैं।

मुसलमानों के राजनीतिक नेतृत्व की पैरवी
ओवैसी ने कहा, “जब समाज के हर वर्ग का कुछ राजनीतिक नेतृत्व होता है और वह आपको स्वीकार्य है, लेकिन आप नहीं चाहते कि मुसलमानों की कोई राजनीतिक आवाज, कोई राजनीतिक नेतृत्व हो।” यह टिप्पणी महत्वपूर्ण है। जब उनसे पूछा गया कि क्या उनकी टिप्पणी कांग्रेस की ओर इशारा कर रही है, तो ओवैसी ने कहा कि वह भाजपा, मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी (सपा) सहित सभी दलों का जिक्र कर रहे थे। उन्होंने पूछा, “यादव नेता बनेगा, मुसलमान भिखारी। सवर्ण नेता बनेगा, मुसलमान भिखारी। यह कैसे उचित है, मुझे बताएं?” यह असदुद्दीन ओवैसी का सीधा सवाल था।

पाकिस्तान पर कड़े बयान और वर्तमान संदर्भ
ओवैसी की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब 22 अप्रैल को हुए घातक पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान पर उनके कड़े बयानों की सराहना हुई है। इस हमले में ज्यादातर पर्यटकों समेत 26 लोग मारे गए थे। साथ ही, उनकी हालिया कुछ टिप्पणियों के लिए कुछ लोगों ने उनकी आलोचना भी की है। गौरतलब है कि ओवैसी उस सात सदस्यीय सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का भी हिस्सा हैं जो पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर भागीदार देशों की सरकारों को जानकारी देने के लिए उन देशों का दौरा करेगा।

मुसलमानों का प्रतिनिधित्व और ‘विकसित भारत’
पीटीआई को दिए इंटरव्यू के दौरान असदुद्दीन ओवैसी ने इस बात पर भी जोर दिया कि विधायिका और संसद में मुसलमानों की भागीदारी केवल 4 प्रतिशत है। जबकि यह समुदाय देश का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है और इसकी आबादी लगभग 15 प्रतिशत है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इतने बड़े समुदाय को हाशिए पर और कमजोर रखकर भारत 2047 तक ‘विकसित भारत’ का लक्ष्य हासिल नहीं कर सकता। उन्होंने कहा, “राजनीतिक दलों को मुसलमानों को वोट बैंक के रूप में देखना बंद करना चाहिए। इसके बजाय उन्हें उनके उत्थान, उन्हें शिक्षित करने, उनके साथ निष्पक्ष व्यवहार करने और उन्हें नौकरियां देने के लिए काम करना चाहिए। हमारी लड़ाई यह है कि हम सिर्फ मतदाता नहीं रहना चाहते। हम नागरिक बनना चाहते हैं।”

AIMIM का बढ़ता प्रभाव और ओवैसी की अपील
हैदराबाद के बाहर चुनावी अपील वाले नेता के रूप में उभरने के ओवैसी के प्रयासों को कुछ सफलता मिली है। उनकी पार्टी ने पिछले चुनावों में बिहार और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में कुछ सीटें जीती हैं, खासकर उन सीटों पर जहां मुस्लिम आबादी बड़ी है। मुस्लिम शिकायतों और आकांक्षाओं के उनके मुखर समर्थन ने उन्हें देश भर में समुदाय के बीच प्रशंसक दिलाए हैं। भाजपा जीत के कारणों पर उनका विश्लेषण विचारणीय है।


आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें

  • असदुद्दीन ओवैसी के अनुसार, विपक्षी दलों की विफलता और हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण भाजपा की जीत का मुख्य कारण है।
  • उन्होंने AIMIM को भाजपा की ‘बी-टीम‘ कहे जाने के आरोपों को उनकी पार्टी के प्रति नफरत बताया।
  • ओवैसी ने मुस्लिम समुदाय के लिए सशक्त राजनीतिक नेतृत्व की आवश्यकता पर जोर दिया।
  • उनका मानना है कि देश के अल्पसंख्यक समुदाय को नजरअंदाज कर ‘विकसित भारत’ का सपना साकार नहीं हो सकता।
  • राजनीतिक दलों को मुसलमानों को केवल वोट बैंक न समझकर उनके वास्तविक मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए।

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