आख़िर तक – एक नज़र में
- चटग्राम कोर्ट ने हिंदू साधु चिन्मय दास की जमानत याचिका खारिज की।
- साधु को 25 नवंबर को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
- जमानत याचिका 11 वकीलों की टीम ने पेश की।
- पिछले महीने वकीलों को धमकियों के कारण सुनवाई में बाधा आई थी।
- अब वकील उच्च न्यायालय में अपील करेंगे।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
जमानत याचिका खारिज
चटग्राम के मेट्रोपॉलिटन सेशन कोर्ट ने हिंदू साधु चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका खारिज कर दी है। दास को 25 नवंबर को ढाका पुलिस ने राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया था। इस मामले में उनकी जमानत याचिका पर गुरुवार को 30 मिनट की सुनवाई हुई।
वकीलों की टीम और सुरक्षा प्रबंध
इस सुनवाई के लिए 11 सुप्रीम कोर्ट वकीलों की टीम ढाका से चटग्राम पहुंची थी। वकीलों ने बताया कि उन्होंने उच्च न्यायालय में अपील करने की योजना बनाई है। सुनवाई के दौरान कोर्ट में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे।
पिछले घटनाक्रम
पिछले महीने, जब वकीलों ने दास की याचिका पेश करने की कोशिश की, उन्हें इस्लामिक कट्टरपंथियों की धमकियों का सामना करना पड़ा। वरिष्ठ वकील रवींद्रनाथ घोष को तो शारीरिक हमले के बाद अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
पृष्ठभूमि
चिन्मय कृष्ण दास अल्पसंख्यक अधिकारों के लिए एक प्रमुख आवाज़ रहे हैं। उन्होंने बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाई। उनकी गिरफ्तारी को अल्पसंख्यक अधिकार आंदोलन को दबाने की साजिश बताया जा रहा है।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- हिंदू साधु चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका खारिज।
- वकीलों ने अब उच्च न्यायालय में अपील की योजना बनाई।
- यह मामला बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
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