आख़िर तक – एक नज़र में
- भारत ने कई बांग्लादेशी सामानों के आयात के लिए महत्वपूर्ण भूमि मार्ग प्रतिबंध लागू किया है।
- इस निर्णय से ढाका के विशाल कपड़ा व्यापार और निर्यात क्षेत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
- अब निर्दिष्ट वस्तुओं का आयात केवल मुंबई के नावा शेवा और कोलकाता के समुद्री बंदरगाहों के माध्यम से होगा।
- यह कदम भारत के साथ बांग्लादेश के पहले से ही बड़े व्यापार घाटे को और बढ़ा सकता है।
- भारत द्वारा ट्रांसशिपमेंट सुविधा रोके जाने के बाद इस आयात प्रतिबंध को एक जवाबी कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
भारत का कड़ा कदम: भूमि मार्ग बंद
भारत ने कई बांग्लादेशी सामानों के आयात पर भूमि मार्ग प्रतिबंध लगा दिया है। यह ढाका के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। बांग्लादेश पहले से ही दिल्ली के साथ बड़े व्यापार घाटे का सामना कर रहा है। मार्च 2024 को समाप्त वित्तीय वर्ष के लिए यह व्यापार घाटा 9.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। इस नए कदम से स्थिति और बिगड़ सकती है।
वाणिज्य मंत्रालय की अधिसूचना और नए नियम
वाणिज्य मंत्रालय द्वारा 17 मई को एक अधिसूचना जारी की गई। इसके अनुसार, बांग्लादेश से कई वस्तुओं का आयात अब केवल मुंबई के नावा शेवा और कोलकाता के समुद्री बंदरगाहों के माध्यम से ही किया जा सकेगा। यह भूमि मार्ग प्रतिबंध तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। इस निर्णय से भारत-बांग्लादेश व्यापार संबंधों में नया मोड़ आया है।
प्रतिबंधित वस्तुओं की विस्तृत सूची
प्रतिबंध की सूची में कई वस्तुएं शामिल हैं। इनमें फल, फलों के स्वाद वाले और कार्बोनेटेड पेय शामिल हैं। प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ भी इसका हिस्सा हैं। लकड़ी का फर्नीचर, प्लास्टिक, और विभिन्न प्रकार के डाई भी सूची में हैं। इसके अतिरिक्त, कपास और कपास यार्न अपशिष्ट का आयात भी भूमि मार्गों से नहीं हो सकेगा। इन बांग्लादेशी सामानों के लिए अब समुद्री मार्ग ही एकमात्र विकल्प है।
किन भूमि मार्गों पर पड़ा असर?
इस आयात प्रतिबंध का असर कई महत्वपूर्ण भूमि सीमा शुल्क जांच चौकियों पर पड़ेगा। असम, मेघालय, त्रिपुरा, और मिजोरम में स्थित जांच चौकियां प्रभावित होंगी। पश्चिम बंगाल में चांगराबांधा और फुलबाड़ी के रास्ते भी आयात बंद कर दिया गया है। यह कदम सीमावर्ती व्यापार को सीधे तौर पर प्रभावित करेगा।
छूट प्राप्त वस्तुएं
हालांकि, कुछ वस्तुओं को इस भूमि मार्ग प्रतिबंध से छूट दी गई है। इनमें मछली, खाद्य तेल, एलपीजी और क्रश्ड स्टोन (कुचले हुए पत्थर) शामिल हैं। इन वस्तुओं का आयात पहले की तरह भूमि मार्गों से जारी रह सकता है। यह छूट कुछ हद तक राहत प्रदान करती है।
बांग्लादेशी सामान पर क्या होगा असर?
इस नवीनतम कदम से बांग्लादेशी सामान और भी महंगे हो जाएंगे। इससे भारतीय आयातकों के लिए ये कम आकर्षक होंगे। भूमि मार्ग से परिवहन सस्ता और तेज होता है। समुद्री मार्ग से लागत और समय दोनों बढ़ेंगे। यह व्यापार घाटे को और बढ़ा सकता है।
कपड़ा उद्योग पर गहरी चोट
बांग्लादेश वस्त्रों और रेडीमेड गारमेंट्स का एक प्रमुख निर्यातक है। अब वह इन सामानों को भूमि मार्गों से नहीं भेज पाएगा। इससे ढाका के निर्यात क्षेत्र को गंभीर रूप से नुकसान होगा। कपड़ा व्यापार बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। यह भूमि मार्ग प्रतिबंध इस उद्योग के लिए बड़ी चुनौती है।
पृष्ठभूमि: जवाबी कार्रवाई की आशंका
पिछले महीने, नरेंद्र मोदी सरकार ने ट्रांसशिपमेंट सुविधा बंद कर दी थी। यह सुविधा बांग्लादेश के निर्यात कार्गो को भूटान, नेपाल और म्यांमार जैसे अन्य देशों में सुचारू रूप से पहुंचाने की अनुमति देती थी। इसके कुछ दिनों बाद, बांग्लादेश ने बेनापोल, भोमरा, सोनामोसजिद, बंगलाबंधा और बुरीमारी भूमि बंदरगाहों के माध्यम से यार्न का आयात रोक दिया। यार्न दिल्ली के ढाका को होने वाले कपड़ा निर्यात का 30 प्रतिशत हिस्सा है। मौजूदा आयात प्रतिबंध को इन्हीं घटनाओं की अगली कड़ी माना जा रहा है।
बांग्लादेश का आर्थिक दृष्टिकोण और यूनुस की पहल
इस बीच, बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने पिछले हफ्ते “बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और सात बहनों (पूर्वोत्तर भारतीय राज्य) के लिए एक एकीकृत आर्थिक योजना” का आह्वान किया। यह प्रस्ताव यूनुस द्वारा चीन से न केवल बांग्लादेश बल्कि भारत के सात पूर्वोत्तर राज्यों में भी अपने आर्थिक पदचिह्न का विस्तार करने का आग्रह करने के दो महीने बाद आया। यह भारत-बांग्लादेश व्यापार के व्यापक संदर्भ को दर्शाता है।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- भारत ने कई बांग्लादेशी सामानों के लिए भूमि मार्ग प्रतिबंध लागू किया है; आयात अब केवल नावा शेवा और कोलकाता समुद्री बंदरगाहों से होगा।
- इस आयात प्रतिबंध से बांग्लादेश के महत्वपूर्ण कपड़ा व्यापार और समग्र निर्यात पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
- फल, पेय पदार्थ, प्रसंस्कृत खाद्य, और फर्नीचर जैसी वस्तुएं अब भूमि सीमा शुल्क चौकियों से आयात नहीं की जा सकेंगी।
- यह कदम भारत के साथ बांग्लादेश के पहले से मौजूद 9.2 बिलियन डॉलर के व्यापार घाटे को और विकट बना सकता है।
- ट्रांसशिपमेंट सुविधा और यार्न आयात पर पिछली कार्रवाइयों के बाद यह नवीनतम भूमि मार्ग प्रतिबंध एक जवाबी कदम प्रतीत होता है।
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