“आख़िर तक – एक नज़र में”
- दिल्ली में अगले विधानसभा चुनावों के साथ, केजरीवाल के खिलाफ कोई प्रभावशाली नेता नहीं है।
- AAP प्रमुख अरविंद केजरीवाल अपने तीसरे चुनाव में पूर्ण रूप से बिना कोई गंभीर चुनौती के सामने हैं।
- भाजपा और कांग्रेस ने दिल्ली में स्थानीय नेतृत्व विकसित नहीं किया है, जिससे केजरीवाल को एक खिला मैदान मिल गया है।
- हाल ही में, भाजपा ने अपने नेता रमेश बिदुरी का नाम लिया, जो अभी तक एक निराधार स्थिति में हैं।
- कांग्रेस ने भी पार्टी के पुराने चेहरों से आगे बढ़कर कोई नई रणनीति नहीं अपनाई है, जिससे केजरीवाल को फायदा हुआ है।
“आख़िर तक – विस्तृत समाचार”
भा.ज.पा और कांग्रेस की विफलता दिल्ली के चुनावों में भाजपा और कांग्रेस के नेताओं की स्थिति कमजोर होती जा रही है। भाजपा ने पिछले कुछ सालों में मुख्यमंत्री के रूप में केजरीवाल का मुकाबला करने के लिए कोई नया चेहरा सामने नहीं लाया है। 2015 में उन्होंने पूर्व आईपीएस अधिकारी किरन बेदी को मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में पेश किया, लेकिन यह प्रयास बहुत देर से हुआ। बेदी, जिन्होंने पहले अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में केजरीवाल के साथ काम किया था, को राजनीति में उतरने के लिए पर्याप्त समय और अवसर नहीं मिला।
कांग्रेस की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है। संदीप दीक्षित एक मजबूत चुनाव प्रचार कर रहे हैं, लेकिन वे पिछले दस वर्षों से अधिकतर राजनीति से बाहर थे। अब उनके पास यह चुनाव जीतने के लिए समय बहुत कम है। यह भी ध्यान देना चाहिए कि शीला दीक्षित की मुख्यमंत्री पद पर तीन बार का कार्यकाल कांग्रेस के इतिहास में एक मजबूत विचारधारा और नेतृत्व का प्रतीक था, लेकिन संदीप दीक्षित को इस नेतृत्व को पुनः स्थापित करने में सफलता नहीं मिल रही है।
नेताओं का अभाव और रणनीति की कमी भाजपा और कांग्रेस दोनों ने दिल्ली में स्थानीय नेताओं का निर्माण नहीं किया है जो चुनावों में खड़ा हो सकें और एक प्रभावी चुनौती दे सकें। भारतीय राजनीति में नेताओं की साख और लोकप्रीयता, उनके राज्य के प्रभाव को बढ़ाते हैं। इसके विपरीत, दोनों राष्ट्रीय दलों ने दिल्ली में बहुत सालों तक लोकल नेताओं को अवसर नहीं दिया और अब दिल्ली का चुनाव उनके लिए एक संकट बन चुका है।
AAP का ‘फ्री पास’ भाजपा और कांग्रेस दोनों के विफलता के कारण, अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी AAP के पास एक मौन समर्थन और एक स्थिर माहौल है, जो उन्हें चुनावी प्रचार में बेहतर साबित करने का मौका दे रहा है। केजरीवाल ने पिछले चुनावों में लगातार बढ़ती लोकप्रियता और दिल्ली सरकार में हुए सुधारों को जनता के सामने रखा। उनका यह प्रयास दिल्ली की जनता द्वारा सकारात्मक रूप से सराहा गया है।
“आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें”
- भाजपा और कांग्रेस दिल्ली में एक प्रभावी नेता नहीं ला पाए हैं।
- AAP ने पिछले चुनावों में अपनी साख बनाई, जबकि भाजपा और कांग्रेस असफल रहे।
- केजरीवाल ने राजनीतिक अवसर का पूरी तरह से इस्तेमाल किया।
- कांग्रेस और भाजपा दोनों में सही समय पर चेहरा पेश नहीं किया गया।
- इस चुनाव में केजरीवाल को एक प्रकार का “फ्री पास” मिला है, जिससे उनकी स्थिति मजबूत हुई है।
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