आखिर तक – इन शॉर्ट्स
- चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने ‘बुलडोजर न्याय’ के खिलाफ सख्त कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
- उन्होंने कहा कि संपत्ति के विनाश के जरिए नागरिकों की आवाज दबाना अस्वीकार्य है।
- सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी कि चयनात्मक ढंग से की गई विध्वंसात्मक कार्रवाई राज्य के लिए खतरनाक है।
- नागरिकों के घर की सुरक्षा एक बुनियादी अधिकार है जो कानून का पालन करता है।
- सीजेआई ने अधिकारियों पर अनुशासनात्मक और आपराधिक कार्रवाई की आवश्यकता बताई।
आखिर तक – इन डेप्थ
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने अंतिम निर्णय में कहा कि कानून के शासन वाले समाज में ‘बुलडोजर न्याय’ अस्वीकार्य है। उन्होंने संपत्तियों को अनधिकृत रूप से ध्वस्त करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर अनुशासनात्मक और आपराधिक कार्रवाई की आवश्यकता बताई।
यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट के एक मामले में की गई थी, जिसमें उत्तर प्रदेश के महाराजगंज में एक घर को बिना उचित सूचना के तोड़ दिया गया था। सीजेआई ने कहा, “बिना कारण या कानूनी आधार के नागरिकों की संपत्ति को नुकसान पहुंचाना अत्यंत गंभीर है।”
इसके अतिरिक्त, अदालत ने यह भी कहा कि किसी भी संपत्ति के खिलाफ कोई भी कार्रवाई उचित प्रक्रिया के अनुसार होनी चाहिए। डीवाई चंद्रचूड़ का कहना है कि अगर ‘बुलडोजर न्याय’ की इजाजत दी गई तो संविधान में सम्पत्ति के अधिकार को खोखला कर दिया जाएगा।
इस फैसले में अदालत ने अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का निर्देश देते हुए कहा कि नागरिकों के घर की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। सीजेआई का यह फैसला उनके कार्यकाल का अंतिम निर्णय था, जो 10 नवंबर को समाप्त हो रहा है।
ध्यान देने योग्य मुख्य बातें
- बुलडोजर न्याय के खिलाफ सख्त कदम उठाने की आवश्यकता।
- नागरिकों की संपत्ति को सुरक्षित रखना कानून का मूल सिद्धांत।
- अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई का निर्देश।
- सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ द्वारा।
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