भगवान सूर्य को अर्घ्य देने का मंत्र
छठ पूजा में सूर्य देव को अर्घ्य देना एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है। इस पूजा में व्रती को भगवान सूर्य को अर्घ्य देते समय विशेष मंत्र का उच्चारण करना चाहिए जिससे सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है। नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें:
सूर्य अर्घ्य मंत्र
“ओम ऐही सूर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते। अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणार्ध्य दिवाकर:।”
जल चढ़ाते समय गायत्री मंत्र का जाप करना लाभकारी होता है। यह मंत्र मन को शांति और एकाग्रता प्रदान करता है। गायत्री मंत्र का पाठ करें:
गायत्री मंत्र
“ऊँ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।”
इस मंत्र का जाप करते समय मन को एकाग्र रखें और कम से कम 108 बार जाप करें। इसके बाद सूर्य देव के बारह नामों वाले मंत्र का जाप कर सकते हैं जो विशेष लाभ प्रदान करता है। सूर्य के 12 नामों वाला मंत्र इस प्रकार है:
सूर्य 12 नाम मंत्र
“आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर। दिवाकर नमस्तुभ्यं, प्रभाकर नमोस्तुते। सप्ताश्वरथमारूढ़ं प्रचंडं कश्यपात्मजम्, श्वेतपद्यधरं देव तं सूर्यप्रणाम्यहम्।”
अर्घ्य देते समय जमीन पर गिरने वाली जल की धारा से सूर्य देव के दर्शन करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। अर्घ्य के बाद इस जल को मस्तक पर लगाने से पवित्रता प्राप्त होती है। सूर्य को अर्घ्य देने के लिए सूर्योदय से पहले उठना चाहिए, जिससे शरीर स्वस्थ रहता है और दिनभर काम करने के लिए ऊर्जा मिलती है। इसके अलावा, सुबह का ताजा वातावरण स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है।
छठ पूजा 2024 उषाकाल अर्घ्य का समय | Chhath Puja 2024 Usha Arghya Time
आज छठ पूजा का उषाकाल अर्घ्य 8 नवंबर, शुक्रवार को दिया जाएगा। दिल्ली में सूर्योदय का समय सुबह 6 बजकर 38 मिनट पर है। इस समय पर व्रती महिलाएं और पुरुष उषाकाल अर्घ्य देंगे और पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण कर अपने व्रत का समापन करेंगे।
उषा अर्घ्य की पूजा विधि | Chhath Puja Usha Arghya Puja Vidhi
छठ पूजा के चौथे दिन उषा अर्घ्य का विशेष महत्व होता है। भक्तगण सूर्योदय से पहले नदी या तालाब के किनारे जाकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, स्वच्छ कपड़े पहनें, और पूजा की थाली में लोहे का कटोरा, दूध, गंगा जल, हल्दी, सुपारी, अक्षत, फूल, दीपक, और अगरबत्ती रखें। पूजा स्थल को फूलों से सजाकर सूर्य देव और छठी मैया को प्रणाम करें।
“ओम आदित्याय नमः” और “ओम छठी मैया नमः” मंत्रों का जाप करें। कटोरे में दूध और गंगा जल मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें और परिवार की सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें। इसके बाद सूर्य देव और छठी मैया का आशीर्वाद प्राप्त करने की कामना करें।
छठ पर्व पर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व | Chhath Puja Significance
छठ पर्व में उगते सूर्य को अर्घ्य देना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि सूर्य जीवन का कारक माने जाते हैं और पूरे सौरमंडल को प्रकाश और ऊर्जा प्रदान करते हैं। भक्तजन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर सुख, समृद्धि, और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं। मान्यता है कि सूर्य उपासना से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद और संतान को लंबी आयु मिलती है। सूर्य को अर्घ्य देना प्रकृति के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता का प्रतीक भी है। भक्तगण साफ कपड़े पहनकर नदी या तालाब में खड़े होकर सूर्य देव की पूजा करते हैं।
सूर्य पूजा मंत्र
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते।
अनुकंपये माम भक्त्या गृहणार्घ्यं दिवाकर:।।
ऊं सूर्याय नम:, ऊँ आदित्याय नम:, ऊं नमो भास्कराय नम:। अर्घ्यं समर्पयामि ।।
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय, सहस्त्रकिरणाय।
मनोवांछित फलं देहि देहि स्वाहा: ।।
नवग्रह शांति मंत्र
ऊँ ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानुः शशी भूमिसुतो बुधश्च ।
गुरुश्च शुक्रः शनि राहु केतवः सर्वे ग्रहा शान्तिकरा भवन्तु ।।
आदित्य हृदय स्तोत्र
विनियोग
ॐ अस्य आदित्यह्रदय स्तोत्रस्य अगस्त्यऋषि: अनुष्टुप्छन्दः आदित्यह्रदयभूतो
भगवान् ब्रह्मा देवता निरस्ताशेषविघ्नतया ब्रह्माविद्यासिद्धौ सर्वत्र जयसिद्धौ च विनियोगः
पूर्व पिठिता
ततो युद्धपरिश्रान्तं समरे चिन्तया स्थितम् । रावणं चाग्रतो दृष्ट्वा युद्धाय समुपस्थितम् ॥1॥
दैवतैश्च समागम्य द्रष्टुमभ्यागतो रणम् । उपगम्याब्रवीद् राममगस्त्यो भगवांस्तदा ॥2॥
राम राम महाबाहो श्रृणु गुह्मं सनातनम् । येन सर्वानरीन् वत्स समरे विजयिष्यसे ॥3॥
आदित्यहृदयं पुण्यं सर्वशत्रुविनाशनम् । जयावहं जपं नित्यमक्षयं परमं शिवम् ॥4॥
सर्वमंगलमागल्यं सर्वपापप्रणाशनम् । चिन्ताशोकप्रशमनमायुर्वर्धनमुत्तमम् ॥5॥
मूल -स्तोत्र
रश्मिमन्तं समुद्यन्तं देवासुरनमस्कृतम् । पुजयस्व विवस्वन्तं भास्करं भुवनेश्वरम् ॥6॥
सर्वदेवात्मको ह्येष तेजस्वी रश्मिभावन: । एष देवासुरगणांल्लोकान् पाति गभस्तिभि: ॥7॥
एष ब्रह्मा च विष्णुश्च शिव: स्कन्द: प्रजापति: । महेन्द्रो धनद: कालो यम: सोमो ह्यापां पतिः ॥8॥
पितरो वसव: साध्या अश्विनौ मरुतो मनु: । वायुर्वहिन: प्रजा प्राण ऋतुकर्ता प्रभाकर: ॥9॥
आदित्य: सविता सूर्य: खग: पूषा गभस्तिमान् । सुवर्णसदृशो भानुर्हिरण्यरेता दिवाकर: ॥10॥
हरिदश्व: सहस्त्रार्चि: सप्तसप्तिर्मरीचिमान् । तिमिरोन्मथन: शम्भुस्त्वष्टा मार्तण्डकोंऽशुमान् ॥11॥
हिरण्यगर्भ: शिशिरस्तपनोऽहस्करो रवि: । अग्निगर्भोऽदिते: पुत्रः शंखः शिशिरनाशन: ॥12॥
व्योमनाथस्तमोभेदी ऋग्यजु:सामपारग: । घनवृष्टिरपां मित्रो विन्ध्यवीथीप्लवंगमः ॥13॥
आतपी मण्डली मृत्यु: पिगंल: सर्वतापन:। कविर्विश्वो महातेजा: रक्त:सर्वभवोद् भव: ॥14॥
नक्षत्रग्रहताराणामधिपो विश्वभावन: । तेजसामपि तेजस्वी द्वादशात्मन् नमोऽस्तु ते ॥15॥
नम: पूर्वाय गिरये पश्चिमायाद्रये नम: । ज्योतिर्गणानां पतये दिनाधिपतये नम: ॥16॥
जयाय जयभद्राय हर्यश्वाय नमो नम: । नमो नम: सहस्त्रांशो आदित्याय नमो नम: ॥17॥
नम उग्राय वीराय सारंगाय नमो नम: । नम: पद्मप्रबोधाय प्रचण्डाय नमोऽस्तु ते ॥18॥
ब्रह्मेशानाच्युतेशाय सुरायादित्यवर्चसे । भास्वते सर्वभक्षाय रौद्राय वपुषे नम: ॥19॥
तमोघ्नाय हिमघ्नाय शत्रुघ्नायामितात्मने । कृतघ्नघ्नाय देवाय ज्योतिषां पतये नम: ॥20॥
तप्तचामीकराभाय हरये विश्वकर्मणे । नमस्तमोऽभिनिघ्नाय रुचये लोकसाक्षिणे ॥21॥
नाशयत्येष वै भूतं तमेष सृजति प्रभु: । पायत्येष तपत्येष वर्षत्येष गभस्तिभि: ॥22॥
एष सुप्तेषु जागर्ति भूतेषु परिनिष्ठित: । एष चैवाग्निहोत्रं च फलं चैवाग्निहोत्रिणाम् ॥23॥
देवाश्च क्रतवश्चैव क्रतुनां फलमेव च । यानि कृत्यानि लोकेषु सर्वेषु परमं प्रभु: ॥24॥
एनमापत्सु कृच्छ्रेषु कान्तारेषु भयेषु च । कीर्तयन् पुरुष: कश्चिन्नावसीदति राघव ॥25॥
पूजयस्वैनमेकाग्रो देवदेवं जगप्ततिम् । एतत्त्रिगुणितं जप्त्वा युद्धेषु विजयिष्यसि ॥26॥
अस्मिन् क्षणे महाबाहो रावणं त्वं जहिष्यसि । एवमुक्ता ततोऽगस्त्यो जगाम स यथागतम् ॥27॥
एतच्छ्रुत्वा महातेजा नष्टशोकोऽभवत् तदा ॥ धारयामास सुप्रीतो राघव प्रयतात्मवान् ॥28॥
आदित्यं प्रेक्ष्य जप्त्वेदं परं हर्षमवाप्तवान् । त्रिराचम्य शूचिर्भूत्वा धनुरादाय वीर्यवान् ॥29॥
रावणं प्रेक्ष्य हृष्टात्मा जयार्थं समुपागतम् । सर्वयत्नेन महता वृतस्तस्य वधेऽभवत् ॥30॥
अथ रविरवदन्निरीक्ष्य रामं मुदितमना: परमं प्रहृष्यमाण: ।
निशिचरपतिसंक्षयं विदित्वा सुरगणमध्यगतो वचस्त्वरेति ॥31॥
।।सम्पूर्ण ।।
सूर्य बीज मंत्र के प्रकार और उनके लाभ :
नौकरी पाने के लिए :
ऊँ हृां हृीं ह्रौं सः सूर्याय नमः
रोग मुक्ति के लिए :
ॐ हृां हृीं सः सूर्याय नमः
शत्रुओं के नाश के लिए :
शत्रु नाशाय ऊँ हृीं हृीं सूर्याय नमः
सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए :
ऊँ हृां हृीं सः
बुरे ग्रहों की दशा के निवारण के लिए:
ऊँ हृीं श्रीं आं ग्रहधिराजाय आदित्याय नमः
सन्तान प्राप्ति के लिए :
ॐ भास्कराय पुत्रं देहि महातेजसे l
धीमहि तन्नः सूर्य प्रचोदयात् ll
व्यवसाय में बढ़त के लिए :
ऊँ घृणिः सूर्य आदिव्योम
आँखों के रोग ठीक करने के लिए :
ॐ नमो भगवते आदित्य रूपाय आगच्छ आगच्छ अमुकस्य (रोगी का नाम) अक्षिरोगं अक्षिपीड़ा नाशय स्वाहा
सूर्य गायत्री मंत्र
ॐ भास्कराय विद्महे महातेजाय धीमहि l तन्नो सूर्य: प्रचोदयात् ।।
सूर्य पूजा मंत्र
ॐ सूर्य आत्मा जगतस्तस्युषश्च
आदित्यस्य नमस्कारं ये कुर्वन्ति दिने दिने।
दीर्घमायुर्बलं वीर्यं व्याधि शोक विनाशनम्
सूर्य पादोदकं तीर्थ जठरे धारयाम्यहम्॥
ॐ मित्राय नम:
ॐ रवये नम:
ॐ सूर्याय नम:
ॐ भानवे नम:
ॐ खगाय नम:
ॐ पूष्णे नम:
ॐ हिरण्यगर्भाय नम:
ॐ मरीचये नम:
ॐ आदित्याय नम:
ॐ सवित्रे नम:
ॐ अर्काय नम:
ॐ भास्कराय नम:
ॐ श्री सवितृ सूर्यनारायणाय नम:
आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीदमम् भास्कर।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते॥
सूर्य पूजा मंत्र
जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महदद्युतिम् I
तमोरिंसर्वपापघ्नं प्रणतोSस्मि दिवाकरम् II
सूर्य को अर्घ्य देने का मंत्र और शक्तिशाली सूर्य मंत्र
सूर्य देवता की पूजा हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। सूर्य को अर्घ्य देते समय विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है, ताकि सूर्य देव की कृपा प्राप्त हो और जीवन में सुख-समृद्धि आए। सूर्य को अर्घ्य देने का सही तरीका और मंत्रों का उच्चारण करने से भक्तों को विशेष लाभ मिलता है।
संध्या अर्घ्य देने का मंत्र
संध्या अर्घ्य देते समय, सूर्य देवता को लाल चंदन और लाल रंग के फूल अर्पित किए जाते हैं। इसके बाद थाली में दीपक और लोटा रखा जाता है। लोटे में जल, एक चुटकी लाल चंदन और लाल रंग के फूल डालें। फिर, ॐ सूर्याय नमः मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देवता को जल अर्पित करें। यह मंत्र सूर्य देव के प्रति श्रद्धा और आस्था को व्यक्त करता है और व्यक्ति की समस्याओं का निवारण करने में सहायक होता है।
सूर्य को अर्घ्य देने के दौरान विशेष ध्यान देने योग्य बातें
सूर्यदेव को जल अर्पित करते समय तांबे के लोटे का प्रयोग करना चाहिए। जल अर्पित करते समय, व्यक्ति का मुंह पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। यह सही दिशा में पूजा करने से ऊर्जा का प्रवाह सकारात्मक रहता है और पूजा का फल शीघ्र मिलता है।
शक्तिशाली सूर्य मंत्र
धार्मिक मान्यता के अनुसार, सूर्य देव का हर मंत्र शक्तिशाली होता है, लेकिन ॐ भास्कराय नमः को सबसे शक्तिशाली सूर्य मंत्र माना जाता है। इस मंत्र का नियमित जाप करने से सूर्य देव की विशेष कृपा बनी रहती है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। यह मंत्र सूर्य देव के दिव्य आशीर्वाद को प्राप्त करने का सबसे प्रभावी उपाय माना जाता है।
छठ पूजा संध्या अर्घ्य देने का समय और मंत्र
छठ पूजा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो विशेष रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश और अन्य हिंदी भाषी क्षेत्रों में मनाया जाता है। इस पूजा में सूर्य देवता की पूजा और अर्घ्य देना विशेष महत्व रखता है। इस साल छठ पूजा का संध्या अर्घ्य 7 नवंबर को दिया जाएगा, जबकि उषा अर्घ्य 8 नवंबर को होगा। पंचांग के अनुसार, 7 नवंबर को सूर्य का उदय सुबह 6:32 बजे होगा और सूर्यास्त शाम 5:28 बजे होगा।
संध्या अर्घ्य देने के दौरान सूर्य देव को विशेष मंत्रों का जाप करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि किसी को मंत्र का उच्चारण नहीं आता, तो सूर्य देव के नाम का उच्चारण भी अर्घ्य देने के लिए पर्याप्त होता है।
7 नवंबर को संध्या अर्घ्य देने के समय निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें:
- ॐ घृणि: सूर्याय नमः
- ॐ आदित्य भास्कराय नमः
- ॐ सूर्याय नमः
- ॐ जपा कुसुम संकाशं: काश्यपेयं महाद्युतिम्, ध्वांतारी सर्व पाप बहना, प्रणतोऽस्मि दिवकरम
यह मंत्र सूर्य देवता की पूजा में विशेष रूप से प्रभावी माने जाते हैं। इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए संध्या अर्घ्य देने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में समृद्धि और सुख-शांति आती है।
संध्या अर्घ्य के समय, सूर्य देव को जल अर्पित करते समय ध्यान रखना चाहिए कि जल को तांबे के लोटे से अर्पित किया जाए और व्यक्ति का मुंह पूर्व दिशा में होना चाहिए।
शक्तिशाली सूर्य मंत्र कौन सा है?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव के कई मंत्रों का विशेष महत्व है, लेकिन ॐ भास्कराय नमः को सबसे शक्तिशाली सूर्य मंत्र माना जाता है। इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि सूर्यदेव की विशेष कृपा भी प्राप्त होती है। कहा जाता है कि इस मंत्र के नियमित जाप से व्यक्ति की सभी बाधाएं समाप्त होती हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
सूर्यदेव को समर्पित यह मंत्र खासतौर पर दिन की शुरुआत में उर्जा प्राप्त करने के लिए बहुत लाभकारी है। सूर्य देव को अर्घ्य देने से पहले इस मंत्र का जाप करने से मानसिक शांति और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। ॐ भास्कराय नमः का जाप करते समय ध्यान लगाना और सही विधि से जाप करना बहुत आवश्यक है।
यह मंत्र न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी लाभकारी माना जाता है। सूर्य के संपर्क में आकर इस मंत्र का उच्चारण करने से शरीर में सकारात्मक बदलाव आते हैं। सूर्य देव की कृपा से जीवन में उजाला आता है और मानसिक तनाव दूर होता है।
इस मंत्र के जाप से व्यक्ति को ताजगी और ऊर्जा मिलती है, जिससे वह अपनी दिनचर्या में सफलता और समृद्धि प्राप्त कर सकता है। सूर्य मंत्र के नियमित जाप से जीवन में उज्जवलता और सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।
सूर्य को अर्घ्य देने का मंत्र क्या है?
सूर्य को अर्घ्य देने का एक विशेष महत्व है, जो न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी माना जाता है। सूर्यदेव को अर्घ्य देने का सही तरीका और मंत्र की सही विधि जानना अत्यंत आवश्यक है। यह पूजा विशेष रूप से संध्या समय में की जाती है, और इसे सही तरीके से करने से जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
सूर्य को अर्घ्य देने के लिए सबसे पहले लाल चंदन और लाल रंग के फूलों को सूर्यदेव को अर्पित करना चाहिए। इसके बाद एक थाली में दीपक और लोटा रखें। लोटे में जल भरकर उसमें एक चुटकी लाल चंदन और लाल रंग के फूल डालें। फिर, ॐ सूर्याय नमः मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्यदेव को संध्या अर्घ्य देना चाहिए।
इस दौरान ध्यान रखने वाली बात यह है कि तांबे के लोटे का उपयोग जल अर्पित करते समय किया जाए। जल अर्पित करते समय व्यक्ति का मुख हमेशा पूर्व दिशा में होना चाहिए। इस विधि का पालन करने से सूर्यदेव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में ऊर्जा, शांति और सुख का संचार होता है।
सूर्य को अर्घ्य देने का यह तरीका न केवल एक धार्मिक कार्य है, बल्कि यह शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने का एक प्रभावी उपाय भी है।
छठ पूजा संध्या अर्घ्य देने का समय और मंत्र
छठ पूजा का पर्व श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है, जिसमें सूर्य देव की पूजा का महत्व विशेष रूप से होता है। इस वर्ष 7 नवंबर को छठ पूजा के दौरान संध्या अर्घ्य दिया जाएगा। इसके बाद, 8 नवंबर को उषा अर्घ्य होगा। पंचांग के अनुसार, 7 नवंबर को सूर्य का उदय सुबह 6:32 बजे और सूर्यास्त शाम 5:28 बजे होगा। इस समय सूर्य देव को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है।
संध्या अर्घ्य के दौरान सूर्य देव की उपासना में विशेष मंत्रों का जाप करना चाहिए, ताकि पूजा पूरी श्रद्धा से संपन्न हो। अगर किसी व्यक्ति को मंत्र याद नहीं आता, तो वह सूर्य देव के कुछ नामों का जाप भी कर सकता है, जिससे अर्घ्य पूर्ण माना जाता है।
छठ पूजा के तीसरे दिन संध्या अर्घ्य के दौरान निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें:
- ओम घृणि: सूर्याय नमः
- ओम आदित्य भास्कराय नमः
- ओम सूर्याय नमः
- ओम जपा कुसुम संकाशं: काश्यपेयं महाद्युतिम्, ध्वंतारी सर्व पाप बहना. प्रणतोऽस्मि दिवकरम।
इन मंत्रों के जाप से पूजा में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और भक्तों को सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन सूर्य देव की उपासना से जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
Aakhir Tak – In Shorts
- छठ पूजा में विशेष मंत्रों के जाप से व्यक्ति को सुख, समृद्धि और आरोग्य का लाभ मिलता है।
- खरना के दौरान माता छठी देवी का ध्यान करते हुए ध्यान मंत्र का जाप करें।
- घाट जाते समय सूर्य देव के नाम का जाप करें और हाथ में कलश लेकर जाएं।
- संध्या अर्घ्य में सूर्य देव को विशेष मंत्रों से प्रणाम करें।
- उषाकाल अर्घ्य और पारण के दौरान भी सूर्य देव के मंत्रों का जाप विशेष फलदायी होता है।
Aakhir Tak – In Depth
छठ पूजा का महत्व और मंत्रों की महत्ता
छठ पूजा हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार है जो सूर्यदेव की उपासना के लिए समर्पित है। यह पर्व विशेष रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में बहुत श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। छठ पर्व में सूर्य को ऊर्जा और शक्ति का स्रोत माना जाता है, जो सभी जीवों में प्राण फूंकता है। इस पर्व के दौरान कई विशेष मंत्रों का जाप करने से सुख, समृद्धि और आरोग्य में वृद्धि होती है।
खरना पूजा के दौरान मंत्र (Kharna Puja Mantra 2024)
खरना पूजा छठ पर्व का दूसरा दिन होता है, जिसमें व्रती विशेष रूप से छठी माता का ध्यान करते हैं। इस दिन पांच जगहों पर रोटी और रसीओ रखकर पूजा की जाती है। इस दौरान व्रती निम्नलिखित मंत्र का जाप कर सकते हैं:
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय
घाट जाने के दौरान मंत्र
व्रती महिलाएं जब घाट पर संध्या अर्घ्य के लिए जाती हैं, तो उन्हें किसी से भी बात किए बिना चलना चाहिए और हाथ में कलश लेकर सूर्यदेव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते
संध्या अर्घ्य के दौरान सूर्य देव मंत्र
संध्या अर्घ्य के समय सूर्य देव को नमस्कार करते हुए निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें:
ॐ सूर्याय नमः
ॐ आदित्याय नमः
उषाकाल अर्घ्य के दौरान सूर्य देव मंत्र
छठ के आखिरी दिन उषाकाल में अर्घ्य देने का विशेष महत्व होता है। इस समय निम्नलिखित मंत्र का जाप करना चाहिए:
आदित्यायचसोमाय, मंगलायबुधायच, गुरुशुक्रशनिभ्यश्च, नमःसर्वेभ्यः।
पारण के समय मंत्र
उषाकाल अर्घ्य के बाद व्रती महिलाएं पारण करती हैं, और इस दौरान सूर्य देव के विशेष मंत्रों का जाप करना चाहिए:
ॐ ऐं ह्लीं श्री सूर्य देवता चतुर्थी पूजनाय नमः
Key Takeaways to Remember
छठ पूजा में मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इन मंत्रों का जाप छठ पूजा के विभिन्न चरणों के दौरान करें और आरोग्य के लाभ प्राप्त करें।
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