सीजेआई प्रोटोकॉल उल्लंघन: गवई का महाराष्ट्र दौरा

Logo (144 x 144)
4 Min Read
सीजेआई प्रोटोकॉल उल्लंघन: गवई का महाराष्ट्र दौरा

आख़िर तक – एक नज़र में

  • नवनियुक्त CJI बीआर गवई ने महाराष्ट्र दौरे पर सीजेआई प्रोटोकॉल उल्लंघन पर चिंता जताई।
  • उनके स्वागत के लिए मुख्य सचिव, DGP और मुंबई पुलिस कमिश्नर जैसे वरिष्ठ अधिकारी अनुपस्थित थे।
  • CJI गवई ने इसे संवैधानिक संस्थाओं के बीच संवैधानिक सम्मान का प्रश्न बताया।
  • यह घटना सीजेआई बीआर गवई के मुख्य न्यायाधीश बनने के बाद उनके पहले महाराष्ट्र दौरे की है।
  • उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में अनुच्छेद 142 के संभावित उपयोग का भी जिक्र किया।

आख़िर तक – विस्तृत समाचार

सीजेआई गवई ने महाराष्ट्र दौरे पर उठाया प्रोटोकॉल उल्लंघन का मुद्दा, अधिकारियों की अनुपस्थिति पर जताई नाराज़गी

भारत के नवनियुक्त मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने अपने हालिया महाराष्ट्र दौरे के दौरान गंभीर सीजेआई प्रोटोकॉल उल्लंघन का मामला उठाया है। उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि मुंबई आगमन पर राज्य के प्रमुख अधिकारी उनके स्वागत के लिए मौजूद नहीं थे। यह मामला अब चर्चा का विषय बन गया है।

वरिष्ठ अधिकारियों की अनुपस्थिति पर नाराजगी

रविवार को बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र एंड गोवा द्वारा उनके सम्मान में आयोजित एक अभिनंदन समारोह में बोलते हुए, सीजेआई बीआर गवई ने यह मुद्दा उठाया। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब वे मुंबई पहुंचे, तो राज्य के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक (DGP) या शहर के मुंबई पुलिस कमिश्नर में से कोई भी उन्हें रिसीव करने के लिए उपस्थित नहीं था। यह उनके मुख्य न्यायाधीश बनने के बाद महाराष्ट्र का पहला दौरा था। सीजेआई बीआर गवई ने इसे गंभीरता से लिया।

संवैधानिक सम्मान का प्रश्न

सीजेआई बीआर गवई ने लोकतंत्र के तीन स्तंभों – न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका – के बीच पारस्परिक सम्मान के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “जब महाराष्ट्र का कोई व्यक्ति भारत का मुख्य न्यायाधीश बनता है और पहली बार महाराष्ट्र का दौरा करता है, यदि महाराष्ट्र के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, या मुंबई पुलिस कमिश्नर को उपस्थित रहना उचित नहीं लगता है, तो उन्हें इस पर विचार करने की आवश्यकता है।” उन्होंने आगे कहा कि सीजेआई प्रोटोकॉल उल्लंघन कोई नई बात नहीं है, बल्कि यह एक संवैधानिक निकाय द्वारा दूसरे को दिए जाने वाले संवैधानिक सम्मान का प्रश्न है। यह दर्शाता है कि संवैधानिक पदों का आदर आवश्यक है।

अनुच्छेद 142 का हल्का उल्लेख

सीजेआई गवई ने कहा कि वह ऐसे छोटे मामलों में नहीं पड़ना चाहते थे। लेकिन उन्होंने इसका उल्लेख करना आवश्यक समझा ताकि लोगों को इसके बारे में पता चले। उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, “अगर मेरी जगह कोई और होता, तो अनुच्छेद 142 के प्रावधानों पर विचार किया जाता।” गौरतलब है कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 142 सर्वोच्च न्यायालय को अपने समक्ष मामलों में पूर्ण न्याय प्रदान करने के लिए कोई भी आवश्यक आदेश जारी करने का अधिकार देता है। यह अदालत को व्यक्तियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी करने के लिए भी अधिकृत करता है। यह टिप्पणी अधिकारियों के लिए एक संकेत भी हो सकती है।

गवई का ऐतिहासिक पद

सीजेआई बीआर गवई ने पिछले महीने ही देश के मुख्य न्यायाधीश का पदभार ग्रहण किया है। वह इस शीर्ष न्यायिक पद को संभालने वाले केवल दूसरे दलित व्यक्ति हैं। उनका कार्यकाल न्यायपालिका के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस सीजेआई प्रोटोकॉल उल्लंघन की घटना ने उनके कार्यकाल की शुरुआत में ही एक अहम सवाल खड़ा कर दिया है। सभी की निगाहें अब इस पर हैं कि राज्य सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है।


आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें

  • सीजेआई बीआर गवई ने अपने पहले महाराष्ट्र दौरे पर सीजेआई प्रोटोकॉल उल्लंघन का महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया।
  • राज्य के मुख्य सचिवडीजीपी और मुंबई पुलिस कमिश्नर जैसे शीर्ष अधिकारी उनके स्वागत से नदारद रहे।
  • सीजेआई ने इसे संवैधानिक सम्मान की कमी बताया, जो संवैधानिक संस्थाओं के बीच अपेक्षित है।
  • उन्होंने अनुच्छेद 142 का उल्लेख करते हुए स्थिति की गंभीरता की ओर इशारा किया।
  • यह घटना न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच समन्वय और प्रोटोकॉल के पालन की अहमियत को दर्शाती है।

Discover more from Hindi News, हिंदी न्यूज़ , Hindi Samachar, हिंदी समाचार, Latest News in Hindi, Breaking News in Hindi, ताजा ख़बरें

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

author avatar
आख़िर तक
Share This Article
कोई टिप्पणी नहीं

Leave a Reply

भारत की 10 बेहतरीन मानसून डेस्टिनेशन भारत के 10 छुपे हुए हिल स्टेशन