“आख़िर तक – एक नज़र में”:
- दिल्ली हाई कोर्ट ने AAP-शासित दिल्ली सरकार पर CAG रिपोर्ट में देरी का आरोप लगाया।
- कोर्ट ने कहा कि सरकार ने जानबूझकर विधानसभा सत्र को टालने की कोशिश की।
- दिल्ली सरकार ने चुनाव नज़दीक होने की वजह से विधानसभा सत्र बुलाने में कठिनाई जताई।
- AAP के आरोपों के बावजूद, कोर्ट ने सरकार की नीति पर गंभीर सवाल उठाए।
- CAG रिपोर्ट ने दिल्ली CM के आवास के नवीकरण के लिए भारी वित्तीय अनियमितताओं को उजागर किया।
“आख़िर तक – विस्तृत समाचार”:
दिल्ली सरकार पर कोर्ट की तीखी टिप्पणियाँ
दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली सरकार पर CAG रिपोर्ट में जानबूझकर देरी करने का आरोप लगाया। जस्टिस सचिन दत्ता ने कहा, “जिस तरह से आप अपनी जिम्मेदारी टाल रहे हैं, उससे आपके इरादों पर सवाल उठते हैं।” कोर्ट ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार को रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को समय पर भेजनी चाहिए थी और रिपोर्ट पर बहस की प्रक्रिया को तुरंत शुरू करना चाहिए था।
AAP का जवाब: चुनावों की नज़दीकी
दिल्ली सरकार ने अपने जवाब में बताया कि विधानसभा सत्र को चुनावों के करीब बुलाना मुश्किल था। हालांकि, कोर्ट ने इन तर्कों को स्वीकार नहीं किया।
CAG रिपोर्ट का महत्व और वित्तीय अनियमितताएँ
CAG रिपोर्ट के खुलासे के बाद दिल्ली सरकार में राजनीतिक हलचल मच गई। रिपोर्ट में दिल्ली के मुख्यमंत्री आवास के नवीकरण कार्य में भारी अनियमितताओं की जानकारी सामने आई। इस परियोजना की शुरुआत 7.61 करोड़ रुपये से हुई थी, जो बढ़कर 33.66 करोड़ रुपये तक पहुंच गई – 342 प्रतिशत की बढ़ोतरी।
खतरे में दिल्ली का खजाना
रिपोर्ट में दिल्ली की शराब नीति में कथित भ्रष्टाचार को भी उजागर किया गया है, जिससे 2,026 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हुआ है। यह रिपोर्ट विधानसभा चुनावों के ठीक पहले लीक हुई, जिसने और भी अधिक राजनीतिक बहस छेड़ी।
“आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें”:
- दिल्ली सरकार ने जानबूझकर CAG रिपोर्ट को विधानसभा में पेश करने में देरी की।
- CAG रिपोर्ट में वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा हुआ, जिससे दिल्ली सरकार की स्थिति मजबूत नहीं दिखी।
- शराब नीति के तहत हुए घोटाले से राजस्व को 2,026 करोड़ का नुकसान हुआ।
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