आख़िर तक – एक नज़र में
- दिल्ली की दिल्ली स्वास्थ्य CAG रिपोर्ट में गंभीर वित्तीय कुप्रबंधन उजागर।
- 14 अस्पतालों में ICU और 16 में ब्लड बैंक नहीं हैं।
- मोहल्ला क्लीनिकों में शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं हैं।
- अस्पतालों में डॉक्टरों और नर्सों की भारी कमी है।
- कोविड आपातकालीन निधियों का भी सही इस्तेमाल नहीं हुआ।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
दिल्ली के स्वास्थ्य ढांचे पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट ने पिछले छह वर्षों में गंभीर वित्तीय कुप्रबंधन, लापरवाही और जवाबदेही की कमी को उजागर किया है। आज दिल्ली विधानसभा में पेश होने वाली दिल्ली स्वास्थ्य CAG रिपोर्ट, उपकरणों और स्वास्थ्य कर्मियों की भारी कमी, मोहल्ला क्लीनिकों में खराब बुनियादी ढांचे और आपातकालीन निधियों के कम उपयोग की ओर इशारा करती है।
मुख्य निष्कर्ष:
- अस्पतालों में महत्वपूर्ण सेवाओं की कमी: रिपोर्ट से पता चला है कि दिल्ली के कई अस्पतालों में महत्वपूर्ण चिकित्सा सेवाओं की भारी कमी है। शहर के 27 अस्पतालों में से 14 में ICU की सुविधा नहीं है, जबकि 16 में ब्लड बैंक नहीं हैं। इसके अतिरिक्त, आठ अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं है, और 15 अस्पतालों में मुर्दाघर नहीं है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 12 अस्पताल एम्बुलेंस सेवाओं के बिना चल रहे हैं।
- मोहल्ला क्लीनिकों और आयुष औषधालयों में खराब बुनियादी ढांचा: कई मोहल्ला क्लीनिकों में शौचालय, बिजली बैकअप और चेक-अप टेबल जैसी आवश्यक सुविधाओं का अभाव है। आयुष औषधालयों में भी इसी तरह की कमियां बताई गईं।
- स्वास्थ्य कर्मियों की भारी कमी: दिल्ली के अस्पतालों में कर्मचारियों की भारी कमी है, नर्सों की 21 प्रतिशत, पैरामेडिक्स की 38 प्रतिशत और कुछ अस्पतालों में डॉक्टरों और नर्सों की 50-96 प्रतिशत कमी है। यह दिल्ली स्वास्थ्य CAG रिपोर्ट में प्रमुख चिंता का विषय है।
- महत्वपूर्ण अस्पताल अवसंरचना का गैर-उपयोग: राजीव गांधी और जनकपुरी सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों में ऑपरेशन थिएटर, ICU बेड और निजी कमरे अप्रयुक्त रहे, जबकि ट्रॉमा सेंटरों में आपातकालीन देखभाल के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है। इस कारण कई मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
- कोविड आपातकालीन निधियों का कम उपयोग: कोविड-19 प्रतिक्रिया के लिए आवंटित 787.91 करोड़ रुपये में से केवल 582.84 करोड़ रुपये का उपयोग किया गया। स्वास्थ्य कर्मियों के लिए नियत कुल 30.52 करोड़ रुपये खर्च नहीं किए गए, जबकि आवश्यक दवाओं और PPE किट के लिए आवंटित 83.14 करोड़ रुपये का उपयोग नहीं हुआ। यह वित्तीय कुप्रबंधन का एक बड़ा उदाहरण है।
- अस्पताल बिस्तरों की क्षमता का विस्तार करने में विफलता: वादा किए गए 32,000 नए अस्पताल बिस्तरों में से केवल 1,357 (4.24 प्रतिशत) ही जोड़े गए। कुछ अस्पतालों ने 101 प्रतिशत-189 प्रतिशत की अधिभोग दर दर्ज की, जिससे मरीजों को फर्श पर लेटने के लिए मजबूर होना पड़ा।
- अस्पताल परियोजनाओं में देरी और लागत में वृद्धि: प्रमुख अस्पताल परियोजनाओं में 3-6 साल की देरी हुई, जिससे 382.52 करोड़ रुपये की लागत में वृद्धि हुई। इस वजह से इंदिरा गांधी अस्पताल, बुराड़ी अस्पताल और एमए डेंटल पीएच-द्वितीय जैसे अस्पताल महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित हुए। इस तरह की अस्पताल अवसंरचना में देरी से स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होती हैं।
- सर्जरी के लिए लंबा इंतजार: लोक नायक अस्पताल में मरीजों को सामान्य सर्जरी के लिए 2-3 महीने और बर्न और प्लास्टिक सर्जरी के लिए 6-8 महीने इंतजार करना पड़ता है। सीएनबीसी अस्पताल में बाल चिकित्सा सर्जरी के लिए 12 महीने की प्रतीक्षा अवधि है।
सूत्रों के अनुसार, यह CAG की दूसरी रिपोर्ट होगी, जिसे विधानसभा में पेश किया जाएगा। इससे पहले, मंगलवार को मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दिल्ली आबकारी नीति पर CAG रिपोर्ट पेश की थी। यह रिपोर्ट दिल्ली स्वास्थ्य CAG रिपोर्ट से अलग है, लेकिन दोनों में वित्तीय अनियमितताओं को उजागर किया गया है।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- दिल्ली स्वास्थ्य CAG रिपोर्ट में वित्तीय कुप्रबंधन उजागर।
- 14 अस्पतालों में ICU और 16 में ब्लड बैंक नहीं हैं।
- मोहल्ला क्लीनिक में बुनियादी सुविधाओं की कमी।
- अस्पतालों में डॉक्टरों और नर्सों की भारी कमी।
- कोविड निधियों का सही इस्तेमाल नहीं हुआ।
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