“आखिर तक – इन शॉर्ट्स”
- इसरो का GSAT-20 सैटेलाइट 4,700 किलोग्राम वजनी है और इसे स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट द्वारा लॉन्च किया जाएगा।
- GSAT-20 भारत की संचार संरचना को बढ़ाने और दूरस्थ क्षेत्रों में इंटरनेट सुविधा प्रदान करने में मदद करेगा।
- इसरो के LVM-3 रॉकेट की सीमाओं के कारण, यह सैटेलाइट स्पेसएक्स से लॉन्च कराया जा रहा है।
- यह सैटेलाइट 32 यूजर बीम्स से लैस है और 14 वर्षों तक कार्य करेगा।
- यह इसरो और स्पेसएक्स के बीच पहली व्यावसायिक साझेदारी को चिह्नित करता है।
“आखिर तक – इन डेप्थ”
GSAT-20 की लॉन्चिंग: क्यों इसरो को स्पेसएक्स पर निर्भर रहना पड़ा?
भारत का GSAT-20 सैटेलाइट, जो 4,700 किलोग्राम वजनी है, 19 नवंबर 2024 को अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित केप कैनावेरल से स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट द्वारा लॉन्च किया जाएगा। यह सैटेलाइट भारत की संचार प्रणाली में सुधार लाने के लिए तैयार किया गया है और इसमें 14 साल की मिशन अवधि के साथ हाई-थ्रूपुट कम्युनिकेशन पेलोड शामिल है।
इसरो की सीमाएं और स्पेसएक्स का चयन
इसरो का सबसे भारी लॉन्च वाहन, LVM-3, केवल 4,000 किलोग्राम तक के सैटेलाइट को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में ले जा सकता है। GSAT-20 का वजन इसकी क्षमता से अधिक है, जिसके कारण इसरो को स्पेसएक्स का सहारा लेना पड़ा।
वर्तमान में, इसरो के पास इतने भारी सैटेलाइट को लॉन्च करने की तकनीकी क्षमता नहीं है। यूरोपीय लॉन्च सेवा प्रदाता Arianespace के पास फिलहाल कोई संचालनात्मक रॉकेट नहीं है, और रूस व चीन से विकल्प भू-राजनीतिक कारणों से सीमित हैं। इस स्थिति में, स्पेसएक्स सबसे उपयुक्त विकल्प साबित हुआ।
GSAT-20 की विशेषताएं और लाभ
GSAT-20 सैटेलाइट 32 यूजर बीम्स से सुसज्जित है, जिसमें 8 नैरो स्पॉट बीम और 24 वाइड स्पॉट बीम शामिल हैं। यह सैटेलाइट हब स्टेशनों द्वारा समर्थित होगा जो पूरे भारत में स्थापित किए जाएंगे। इसका उद्देश्य भारत के दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करना है।
यह सैटेलाइट भारत की इन-फ्लाइट इंटरनेट सेवाओं में भी सुधार करेगा। हाल ही में, भारतीय हवाई क्षेत्र में इन-फ्लाइट इंटरनेट की अनुमति देने के लिए नियमों में बदलाव किया गया है।
स्पेसएक्स के साथ भारत का पहला व्यावसायिक गठजोड़
स्पेसएक्स और इसरो के बीच यह पहला व्यावसायिक अनुबंध है। इससे पहले, इसरो ने भारी उपग्रहों के लिए यूरोपीय लॉन्च सेवाओं पर निर्भरता दिखाई है। यह सहयोग दोनों संगठनों के बीच न केवल वाणिज्यिक संबंधों को मजबूत करता है, बल्कि भारत की उपग्रह प्रौद्योगिकी और संचार सेवाओं को भी उन्नत करता है।
अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत और अमेरिका का भविष्य
इसरो और स्पेसएक्स अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय अंतरिक्ष यात्री को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर भेजने के लिए काम कर रहे हैं। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला Axiom Space के साथ प्रशिक्षण ले रहे हैं। Axiom का अंतरिक्ष यान, जिसे SpaceX के ड्रैगन द्वारा संचालित किया जाएगा, भारतीय अंतरिक्ष यात्री को ISS तक ले जाएगा।
“याद रखने योग्य मुख्य बातें”
- GSAT-20 भारत का 4,700 किलोग्राम का संचार उपग्रह है।
- इसे SpaceX के Falcon 9 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा।
- यह भारत की संचार सेवाओं में सुधार करेगा और दूरस्थ क्षेत्रों तक इंटरनेट पहुंचाएगा।
- इसरो और SpaceX के बीच यह पहली व्यावसायिक साझेदारी है।
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