आख़िर तक – एक नज़र में
- न्यूयॉर्क और न्यू जर्सी के गुरुद्वारों में DHS ने अवैध अप्रवासियों की छानबीन शुरू की।
- सिख संगठनों ने इसे धार्मिक स्थानों की पवित्रता के लिए खतरा बताया।
- सिख गुटों का मानना है कि इससे गुरुद्वारों में उपस्थिति पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
- ट्रम्प प्रशासन ने “संवेदनशील क्षेत्रों” की सुरक्षा नीतियों को रद्द किया।
- इस कदम पर व्यापक आलोचना और चिंता जताई गई है।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
गुरुद्वारों पर छापेमारी शुरू
न्यूयॉर्क और न्यू जर्सी में अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग (DHS) ने गुरुद्वारों में छानबीन शुरू की है। इसका उद्देश्य अवैध अप्रवासियों की पहचान करना और उन्हें हिरासत में लेना है। ट्रम्प प्रशासन के नए निर्देशों के तहत, “संवेदनशील क्षेत्रों” की सुरक्षा नीति को रद्द कर दिया गया।
सिख समुदाय की आपत्ति
सिख अमेरिकन लीगल डिफेंस एंड एजुकेशन फंड (SALDEF) के अनुसार, ये छापेमारी धार्मिक स्थानों की पवित्रता को आघात पहुंचाती है। उनके कार्यकारी निदेशक, किरण कौर गिल, ने कहा कि गुरुद्वारे केवल पूजा स्थल नहीं हैं, बल्कि सामुदायिक केंद्र भी हैं। इन पर छापेमारी से सिख और प्रवासी समुदायों के बीच भय का माहौल बन रहा है।
धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रभाव
सिख कोएलिशन ने चेतावनी दी है कि इन कदमों से सिख समुदाय के धार्मिक अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। गुरुद्वारों में सरकार द्वारा निगरानी और छापेमारी की संभावना से धार्मिक गतिविधियों में बाधा आ सकती है।
कानूनी और सांस्कृतिक मुद्दे
SALDEF और सिख कोएलिशन ने इस नीति को ट्रम्प प्रशासन की प्रवासी विरोधी भावना का हिस्सा बताया। उन्होंने इसे संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करार दिया और समुदाय के सहयोग को कमजोर करने वाला बताया।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- DHS ने गुरुद्वारों में अवैध अप्रवासियों की पहचान के लिए छापेमारी शुरू की।
- सिख संगठनों ने इसे धार्मिक अधिकारों और पवित्रता पर हमला बताया।
- धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को हटाने की नीति पर व्यापक चिंता।
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