आख़िर तक – एक नज़र में
- क्रिकेटर रविचंद्रन अश्विन ने कहा कि हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है।
- उन्होंने तमिलनाडु के एक कॉलेज समारोह में यह बयान दिया।
- अश्विन ने छात्रों को भाषा की विविधता और सम्मान पर ध्यान देने को कहा।
- यह बयान तमिलनाडु की हिंदी विरोधी परंपरा की पृष्ठभूमि में आया।
- उन्होंने अपने करियर और छात्रों के लिए प्रेरक बातें भी साझा की।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
हिंदी पर बड़ा बयान
भारतीय क्रिकेटर रविचंद्रन अश्विन ने एक निजी कॉलेज के समारोह में भाषण देते हुए कहा कि हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है। उन्होंने यह बात तब कही जब उन्होंने छात्रों से हिंदी में सवाल पूछने को कहा, और माहौल में असहजता देखने को मिली।
भारत में भाषा विवाद का संदर्भ
भारत में भाषा एक संवेदनशील मुद्दा है, विशेषकर तमिलनाडु में। 1930 और 1940 के दशक में, हिंदी को सरकारी भाषा बनाने के प्रयास का तमिलनाडु में भारी विरोध हुआ। द्रविड़ आंदोलन ने तमिल की सुरक्षा और प्रचार-प्रसार को प्राथमिकता दी।
अश्विन की प्रेरणादायक बातें
अश्विन ने अपने करियर पर भी बात की। उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी कप्तानी का सपना नहीं देखा, लेकिन चुनौतियां उन्हें प्रेरित करती हैं। छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने जीवनभर सीखने के महत्व पर जोर दिया।
भाषा और पहचान
तमिलनाडु में हिंदी को लेकर अलग दृष्टिकोण है। यहां भाषा सांस्कृतिक पहचान और क्षेत्रीय स्वायत्तता का प्रतीक है। अश्विन ने अपने बयान से इस जटिलता पर प्रकाश डाला।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं, बल्कि एक राजभाषा है।
- तमिलनाडु का हिंदी विरोध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक आधार पर है।
- जीवन में चुनौतियों और सीखने का महत्व।
Discover more from पाएं देश और दुनिया की ताजा खबरें
Subscribe to get the latest posts sent to your email.