आख़िर तक – एक नज़र में
- हालिया सर्वेक्षण में पाया गया कि 39% कनाडाईयों का मानना है कि ट्रूडो सरकार भारत के साथ संबंधों को ठीक से संभाल नहीं रही है।
- सर्वेक्षण के अनुसार, 39% का मानना है कि जब तक ट्रूडो प्रधानमंत्री हैं, तब तक भारत-कनाडा संबंधों में सुधार संभव नहीं है।
- कनाडा और भारत के बीच कूटनीतिक संबंधों में तनाव बढ़ रहा है।
- एंगस रीड इंस्टीट्यूट और एशिया पैसिफिक फाउंडेशन ऑफ कनाडा द्वारा किए गए सर्वेक्षण में जिम्मेदारी के मुद्दे पर सहमति नहीं दिखी।
- कनाडा में 2025 में संसदीय चुनाव होंगे, जिसमें विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी के जीतने की संभावना है।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
भारत-कनाडा संबंधों में तनाव बढ़ा
हाल ही में कनाडा और भारत के बीच कूटनीतिक तनाव ने नई ऊंचाई छू ली है। सर्वेक्षण में 39% कनाडाईयों ने माना कि प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की सरकार द्विपक्षीय संबंधों को ठीक से प्रबंधित नहीं कर रही है। यह सर्वेक्षण एंगस रीड इंस्टीट्यूट (ARI) और एशिया पैसिफिक फाउंडेशन ऑफ कनाडा द्वारा किया गया।
जिम्मेदारी पर बंटी राय
हालांकि, सर्वेक्षण में इस बात पर सहमति नहीं बनी कि भारत-कनाडा संबंधों के बिगड़ने के लिए कौन जिम्मेदार है। 39% लोगों ने ट्रूडो सरकार को दोष दिया, जबकि 32% ने विपरीत राय व्यक्त की। वहीं, 29% लोग अनिश्चित थे।
भविष्य की संभावनाएं
39% सर्वेक्षणकर्ताओं का मानना है कि जब तक ट्रूडो प्रधानमंत्री हैं, तब तक भारत-कनाडा संबंधों में सुधार संभव नहीं है। दिलचस्प बात यह है कि 34% ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी जिम्मेदार ठहराया।
राजनीतिक बदलाव की संभावना
कनाडा में 2025 में होने वाले संसदीय चुनाव महत्वपूर्ण हो सकते हैं। विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी को जीतने का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। यदि यह पार्टी जीतती है, तो पीयर पोइलीवर नए प्रधानमंत्री बन सकते हैं, जिससे संबंधों में सुधार की उम्मीद की जा सकती है।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- 39% कनाडाई ट्रूडो सरकार को भारत-कनाडा संबंधों में तनाव के लिए जिम्मेदार मानते हैं।
- 2025 के चुनाव में बदलाव संभावित है।
- कूटनीतिक रिश्तों पर व्यापक प्रभाव की संभावना।
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