इज़राइल वर्तमान में अपने पांच में से तीन मोर्चों पर भीषण संघर्ष कर रहा है, जहां हमास, हिज़्बुल्लाह और हूथी लड़ाके सक्रिय हैं। यह सब हमास द्वारा 7 अक्टूबर को इज़राइल पर अचानक किए गए हमले से शुरू हुआ था। इज़राइल अब केवल हमास के हमलों से ही नहीं, बल्कि लेबनान में हिज़्बुल्लाह और यमन में हूथी विद्रोहियों से भी जूझ रहा है। इन सभी संगठनों को ईरान का समर्थन प्राप्त है, जो पश्चिम एशिया में अपनी शक्ति का विस्तार करना चाहता है।
हमास ने गाजा पट्टी से हमले किए, जबकि हिज़्बुल्लाह ने उत्तरी सीमा से रॉकेट और मिसाइलें दागी। इसी बीच, हूथी विद्रोही यमन से इज़राइल के खिलाफ मिसाइल और ड्रोन हमले कर रहे हैं। इज़राइल के रक्षा बल (आईडीएफ) ने इन हमलों का कड़ा जवाब देते हुए व्यापक हमले किए हैं, जिसमें हिज़्बुल्लाह और हमास के कई बड़े नेता मारे गए हैं।
इज़राइल की इस लड़ाई को “जीवन संघर्ष” कहा जा रहा है क्योंकि अब यह देश की सुरक्षा और अस्तित्व की लड़ाई बन गई है। ईरान, जो इन समूहों को समर्थन दे रहा है, ने इस लड़ाई को और गंभीर बना दिया है, जिससे इज़राइल को तीन मोर्चों पर अपनी सेना तैनात करनी पड़ी है।
इज़राइल के लिए यह लड़ाई केवल हमास के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह ईरान और उसके प्रॉक्सी संगठनों के खिलाफ भी है, जो इज़राइल को नष्ट करने का लक्ष्य रखते हैं। इस युद्ध का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि क्या ईरान सीधे इसमें शामिल होता है या नहीं। अगर ईरान शामिल होता है, तो इज़राइल को पांच मोर्चों पर लड़ाई लड़नी पड़ेगी।
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