आख़िर तक – एक नज़र में
- सुप्रीम कोर्ट ने JEE (एडवांस्ड) के प्रयासों को तीन से घटाकर दो करने के निर्णय में हस्तक्षेप से इनकार किया।
- जो छात्र 5 नवंबर 2024 से 18 नवंबर 2024 के बीच कोर्स छोड़ चुके हैं, उन्हें परीक्षा देने की अनुमति दी गई।
- अधिकारियों के अनुसार, इस निर्णय का उद्देश्य छात्रों को उनकी पढ़ाई पर केंद्रित रखना था।
- याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि नीति में बदलाव अनुचित था और छात्र निर्णय से प्रभावित हुए।
- अदालत ने माना कि घोषणा से प्रभावित छात्रों को विशेष राहत दी जानी चाहिए।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
नीतिगत निर्णय के विवाद
सुप्रीम कोर्ट ने JEE (एडवांस्ड) के लिए प्रयासों की संख्या तीन से घटाकर दो करने के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं के वकील ने तर्क दिया कि छात्रों को पूर्व में तीन प्रयास देने का आश्वासन दिया गया था, जिसे अचानक वापस ले लिया गया।
ड्रॉपआउट्स को राहत क्यों?
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि 5 नवंबर 2024 की घोषणा के आधार पर जिन्होंने अपने कोर्स छोड़े, उन्हें JEE (एडवांस्ड) में बैठने की अनुमति मिलनी चाहिए। लेकिन, सामान्य छात्रों के लिए अधिक प्रयासों का कोई प्रावधान नहीं होगा।
सरकार का रुख
सरकार ने इस फैसले को “नीति-निर्माण” का हिस्सा बताते हुए तर्क दिया कि यह छात्रों के हित में लिया गया निर्णय था। हालांकि कोर्ट ने नीति के व्यावहारिक पक्ष पर टिप्पणी से परहेज किया, लेकिन ड्रॉपआउट्स के लिए विशिष्ट राहत सुनिश्चित की।
फैसले का प्रभाव
यह फैसला उन छात्रों के लिए राहत की बात है, जिन्होंने नीति बदलने से पहले कोर्स छोड़े। हालाँकि, इस निर्णय ने नई प्रवेश प्रणाली में बदलाव की संभावना को खुला छोड़ दिया है।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- JEE (एडवांस्ड) के लिए सामान्य प्रयास अब तीन से घटाकर दो किए गए हैं।
- 5 नवंबर और 18 नवंबर 2024 के बीच कोर्स छोड़ने वाले छात्रों को परीक्षा देने की अनुमति दी गई।
- नीति के अन्य पहलुओं पर कोर्ट ने हस्तक्षेप से इनकार किया।
- नई नीति छात्रों की शिक्षा पर केंद्रित रखने के लिए बनाई गई है।
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