आख़िर तक – एक नज़र में
- झारखंड के देवघर जिले में एक व्यक्ति की पुलिस हिरासत में मौत हुई।
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने इस पुलिस हिरासत में मौत पर स्वतः संज्ञान लिया है।
- NHRC ने झारखंड के मुख्य सचिव और DGP को नोटिस जारी किया है। उनसे छह सप्ताह में विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है।
- पीड़ित परिवार ने पुलिस पर शारीरिक प्रताड़ना का गंभीर आरोप लगाया है, जिससे मौत हुई।
- यह घटना मानवाधिकार उल्लंघन का एक गंभीर मामला प्रस्तुत करती है।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
देवघर में पुलिस हिरासत में मौत: NHRC ने लिया स्वतः संज्ञान, मांगी रिपोर्ट
झारखंड के देवघर जिले में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। यहां 21 मई 2025 को एक व्यक्ति की पुलिस हिरासत में मौत हो गई। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC), भारत ने इस मामले पर गंभीरता दिखाई है। NHRC ने मीडिया रिपोर्टों के आधार पर स्वतः संज्ञान लिया है। आयोग ने इसे मानवाधिकार उल्लंघन का एक संभावित गंभीर मामला माना है।
घटना का विवरण
रिपोर्ट के अनुसार, मृतक को साइबर अपराध के सिलसिले में पूछताछ के लिए पालाजोरी पुलिस स्टेशन लाया गया था। उसे उसके आवास से पुलिस द्वारा ले जाया गया था। मृतक के परिवार के सदस्यों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि पुलिस हिरासत में उसे शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया। इसी प्रताड़ना के कारण उसकी मृत्यु हुई। यह आरोप पुलिस हिरासत में मौत के मामले को और संगीन बनाता है।
NHRC की त्वरित कार्रवाई
NHRC ने इस खबर की सामग्री को अत्यंत गंभीर माना है। यदि ये रिपोर्टें सत्य हैं, तो यह पीड़ित के मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है। इसलिए, आयोग ने झारखंड के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (DGP) को नोटिस जारी किए हैं। उनसे छह सप्ताह के भीतर मामले में एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है। इस पुलिस हिरासत में मौत की घटना ने कई सवाल खड़े किए हैं।
रिपोर्ट में क्या शामिल होगा?
आयोग ने स्पष्ट किया है कि रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण दस्तावेज शामिल होने चाहिए। इनमें मृत्यु-समीक्षा रिपोर्ट (inquest report) और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट प्रमुख हैं। मृत्यु का स्पष्ट कारण भी बताया जाना आवश्यक है। साथ ही, मजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट भी प्रस्तुत करने को कहा गया है। ये सभी दस्तावेज पुलिस हिरासत में मौत के कारणों को स्पष्ट करेंगे।
सूचना में देरी पर स्पष्टीकरण मांगा
NHRC ने इस बात पर भी गंभीर रुख अपनाया है कि जिला पुलिस ने इस हिरासत में मौत की सूचना 24 घंटे के भीतर नहीं दी। आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार, ऐसी घटना की सूचना सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश प्रशासनों को तुरंत देनी होती है। इस चूक के लिए आयोग ने झारखंड के मुख्य सचिव और DGP से स्पष्टीकरण भी मांगा है। यह प्रक्रियात्मक चूक मानवाधिकार उल्लंघन की गंभीरता को बढ़ाती है।
मीडिया रिपोर्ट का संदर्भ
22 मई 2025 को प्रकाशित मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस पूछताछ के दौरान पीड़ित की तबीयत बिगड़ने लगी थी। उसे देवघर सदर अस्पताल ले जाया गया। वहां उपस्थित चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया। साइबर अपराध की जांच के दौरान हुई यह घटना पुलिस कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगाती है। NHRC की जांच से इस पुलिस हिरासत में मौत के मामले में न्याय की उम्मीद है। आयोग ऐसे मामलों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने का प्रयास करता है।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- देवघर में पुलिस हिरासत में मौत का गंभीर मामला सामने आया है, जिसकी जांच NHRC कर रहा है।
- NHRC ने झारखंड सरकार से छह सप्ताह में विस्तृत जांच रिपोर्ट मांगी है, जिसमें पोस्टमॉर्टम और मजिस्ट्रियल जांच शामिल हो।
- मृतक के परिजनों ने पुलिस पर शारीरिक यातना देने का आरोप लगाया है, जो मानवाधिकार उल्लंघन का संकेत है।
- आयोग ने घटना की सूचना 24 घंटे में न देने पर झारखंड पुलिस से स्पष्टीकरण मांगा है।
- साइबर अपराध की जांच में मानवीय गरिमा और कानूनी प्रक्रियाओं का पालन अनिवार्य है।
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