“आख़िर तक – एक नज़र में”
- केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के सनातन धर्म पर दिए गए विवादित बयान ने फिर से चर्चा को जन्म दिया।
- विजयन ने कहा कि नारायण गुरु सनातन धर्म के समर्थक नहीं थे और उनका दृष्टिकोण सामाजिक सुधारों पर केंद्रित था।
- इस बयान के बाद, भाजपा और कांग्रेस पार्टी ने विजयन की आलोचना की, दावा करते हुए कि उन्होंने सनातन धर्म को अपमानित किया।
- नारायण गुरु, जिनका योगदान जातिवाद उन्मूलन और समानता पर था, के सिद्धांत राजनीति में एक बड़ा बिंदु बन गए हैं।
- भाजपा ने इस मौके का लाभ उठाते हुए अपने राजनीतिक इरादों को बढ़ाने की कोशिश की, विशेषकर केरल में।
“आख़िर तक – विस्तृत समाचार”
पिनराई विजयन का सनातन धर्म पर बयान
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने हाल ही में सिवागिरी आश्रम में दिए एक भाषण में सनातन धर्म को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया। उन्होंने नारायण गुरु को सनातन धर्म के प्रवक्ता के रूप में न पहचानते हुए, उनके दृष्टिकोण को एक नए युग के सुधारक के रूप में प्रस्तुत किया। उनके अनुसार, नारायण गुरु का सिद्धांत लोगों की भलाई के लिए था, न कि किसी धार्मिक या जातिगत विभाजन के लिए।
भाजपा और कांग्रेस की प्रतिक्रिया
इस बयान ने भाजपा और कांग्रेस दोनों को नाराज कर दिया। भाजपा ने विजयन के बयान को सनातन धर्म का अपमान करार दिया, जबकि कांग्रेस ने इसे एक गलतबयानी बताया। भाजपा के नेता, जैसे कि पूर्व राज्य प्रमुख वी. मुरलीधरन ने इसे विजयन का वोट बैंक को मजबूत करने का एक प्रयास बताया। कांग्रेस ने इस कथन को सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति के खिलाफ समझा।
नारायण गुरु का सामाजिक योगदान
नारायण गुरु, जिन्हें ‘समदर्शी’ के नाम से सम्मानित किया गया था, के योगदान का केरल में बहुत महत्व है। उन्होंने समाज में जातिवाद को उखाड़ने के लिए बहुसंख्यक वर्ग के लोगों को प्रेरित किया और समानता, सहानुभूति और सामाजिक न्याय की बात की। उनका आदर्श ‘एक जाति, एक धर्म, एक ईश्वर सभी के लिए’ आज भी राजनीति और समाज के केंद्र में है।
केरल में राजनीतिक सिथति और ईझवा समुदाय
नारायण गुरु के अनुयायी केरल में एक मजबूत राजनीतिक भूमिका रखते हैं, खासकर ईझवा समुदाय के रूप में, जो राज्य के हिन्दू वोटों का लगभग 20-25% हिस्सा बनाते हैं। ये समुदाय पहले वामपंथी दलों के समर्थक थे, लेकिन अब भाजपा और उनके गठबंधन में आस्था बढ़ने से राजनीतिक दृश्य बदल रहे हैं। स्री नारायण धर्म परिपालन योगम (SNDP) द्वारा गठन की गई भारत धर्म सेना (BDJS) ने भाजपा के साथ अपने गठबंधन को और मजबूत किया है।
भाजपा का ईझवा समुदाय पर जोर
भा.ज.पा. ने नारायण गुरु की शिक्षा और सिद्धांतो का समर्थन करके ईझवा समुदाय का समर्थन प्राप्त करने की कोशिश की है। इस तरह भाजपा की बढ़ती साख ने वामपंथी गठबंधन को चिंता में डाल दिया है कि उनकी हिंदू वोट बैंक में गिरावट हो सकती है। नारायण गुरु के सिद्धांत अब राजनीति की बड़ी धारा बन गए हैं।
“आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें”
- पिनराई विजयन के विवादास्पद बयान ने सनातन धर्म और नारायण गुरु के योगदान पर एक नई बहस शुरू कर दी है।
- भाजपा ने इस बयान को सनातन धर्म के अपमान के रूप में लिया, जबकि कांग्रेस ने इसे राजनीति के रूप में खारिज किया।
- नारायण गुरु का समानता और सामाजिक सुधार पर आधारित दर्शन केरल की राजनीति को प्रभावित कर रहा है।
- ईझवा समुदाय का राजनीतिक प्रभाव अब भाजपा के पक्ष में बढ़ रहा है।
- भाजपा का यह कदम नारायण गुरु के संदेश और उनके अनुयायियों के साथ खड़ा होकर वामपंथियों के वोट बैंक को चुनौती दे रहा है।
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