भारत में वर्क-लाइफ बैलेंस पर एलएंडटी प्रमुख की 90 घंटे कार्य सप्ताह टिप्पणी

आख़िर तक
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भारत में वर्क-लाइफ बैलेंस पर एलएंडटी प्रमुख की 90 घंटे कार्य सप्ताह टिप्पणी

आख़िर तक – एक नज़र में

  1. एलएंडटी के चेयरमैन एसएन सुब्रहमण्यम ने कर्मचारियों से 90 घंटे कार्य सप्ताह की अपील की।
  2. सुब्रहमण्यम की टिप्पणी ने ऑनलाइन भारी प्रतिक्रिया उत्पन्न की।
  3. उन्होंने इसे “भारत का दशक” बताते हुए अधिक समर्पण की आवश्यकता बताई।
  4. टिप्पणियों ने वर्क-लाइफ बैलेंस पर बहस छेड़ दी है।
  5. इस विवाद ने कॉर्पोरेट कार्य संस्कृति पर नए प्रश्न खड़े किए हैं।

आख़िर तक – विस्तृत समाचार

एलएंडटी की चेयरमैन की टिप्पणी पर उठे विवाद

भारत की प्रमुख कंपनी, लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) के चेयरमैन एसएन सुब्रहमण्यम ने हाल ही में कार्य संस्कृति पर टिप्पणियां कीं जो विवाद का विषय बन गईं। उन्होंने 90 घंटे कार्य सप्ताह और रविवार को भी काम करने की अपील की। उन्होंने अपने कर्मचारियों से पूछा, “क्या आप घर पर बैठकर लंबे समय तक अपनी पत्नी को देखते रहेंगे? दफ्तर आइए और काम शुरू कीजिए।”

“भारत का दशक” और राष्ट्र-निर्माण

एलएंडटी ने चेयरमैन का समर्थन करते हुए कहा कि असाधारण परिणाम असाधारण प्रयासों से ही संभव हैं। कंपनी का कहना है कि राष्ट्र-निर्माण उसकी प्राथमिकता है और यह समय भारत के लिए वैश्विक स्तर पर बढ़त बनाने का है।

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ऑनलाइन प्रतिक्रिया और आलोचना

सुब्रहमण्यम के बयान वायरल वीडियो के माध्यम से सार्वजनिक हुए और व्यापक आलोचना का शिकार बने। लोगों ने इन्हें अनुपयुक्त और कर्मचारियों की कार्य-जीवन संतुलन को नुकसान पहुंचाने वाला बताया।

भारतीय कॉर्पोरेट संस्कृति में बढ़ती चुनौती

यह विवाद भारत में वर्क-लाइफ बैलेंस और कार्य संस्कृति पर बहस को पुनर्जीवित करता है। इससे पहले, नारायण मूर्ति ने भी युवा भारतीयों से 70 घंटे काम करने का सुझाव दिया था, जिसे आलोचना का सामना करना पड़ा था।

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शेयर बाजार पर प्रभाव

एलएंडटी के शेयर विवाद के बीच दबाव में आए। गुरुवार को शेयरों में 1.71% की गिरावट देखी गई, जिससे कंपनी पर वित्तीय प्रभाव पड़ा।


आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें

  • एलएंडटी प्रमुख ने 90 घंटे कार्य सप्ताह की पैरवी की।
  • टिप्पणी से वर्क-लाइफ बैलेंस पर गहरी बहस छिड़ी।
  • कॉर्पोरेट भारत में ऐसी अपेक्षाओं की आलोचना हो रही है।
  • एलएंडटी ने इसे भारत के विकास के लिए आवश्यक बताया।

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आख़िर तक मुख्य संपादक
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