मध्यम उद्यमों के लिए नई नीति: विकास की रूपरेखा

Logo (144 x 144)
7 Min Read
मध्यम उद्यमों के लिए नई नीति: विकास की रूपरेखा

आख़िर तक – एक नज़र में

  • नीति आयोग और ASCI ने भारत में मध्यम उद्यमों के लिए एक नई नीति का खाका तैयार किया है।
  • यह मध्यम उद्यम नीति देश की जीडीपी, निर्यात और रोजगार में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले MEs को लक्षित करती है।
  • रिपोर्ट MEs के सामने आने वाली वित्तीय, तकनीकी और कौशल संबंधी चुनौतियों का विश्लेषण करती है।
  • इसमें उद्यमिता विकास और तकनीकी उन्नयन के लिए विशेष सिफारिशें शामिल हैं।
  • इस नीति का उद्देश्य MEs को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना और उनके सतत विकास को सुनिश्चित करना है।

आख़िर तक – विस्तृत समाचार

भारत सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग और एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ कॉलेज ऑफ इंडिया (ASCI) ने मिलकर मध्यम उद्यमों के लिए नीति का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ जारी किया है। “डिजाइनिंग ए पॉलिसी फॉर मीडियम एंटरप्राइजेज” नामक यह रिपोर्ट भारत में मध्यम उद्यम नीति की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है। इसका उद्देश्य इन उद्यमों के विकास में आने वाली बाधाओं को दूर करना और उन्हें आर्थिक प्रगति का मज़बूत स्तंभ बनाना है।

मध्यम उद्यमों का महत्व और वर्तमान स्थिति

भारत में मध्यम उद्यम (MEs) देश की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये उद्यम सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 29%, कुल निर्यात में 40% और कार्यबल के 60% से अधिक को रोजगार प्रदान करते हैं। एमएसएमई क्षेत्र में, मध्यम उद्यम पंजीकृत इकाइयों का केवल 0.3% हैं, लेकिन वे एमएसएमई निर्यात आय का 40% हिस्सा रखते हैं और सूक्ष्म व लघु उद्यमों की तुलना में अधिक नवाचार संचालित होते हैं।

इसके बावजूद, मध्यम उद्यमों को अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इनमें कार्यशील पूंजी तक बेहतर पहुंच, व्यावसायिक संचालन में तकनीकी उन्नयन, अनुकूल अनुसंधान एवं विकास (R&D) नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र की उपलब्धता, कुशल जनशक्ति और योजनाओं के बारे में बेहतर जागरूकता प्रमुख हैं। वर्तमान में, सरकार द्वारा एमएसएमई क्षेत्र के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन इनमें से केवल 8 योजनाएं ही विशेष रूप से मध्यम उद्यमों के लिए हैं। चिंताजनक बात यह है कि इन योजनाओं के लिए आवंटित कुल धनराशि का केवल 17.81% ही मध्यम उद्यमों के लिए उपलब्ध योजनाओं को जाता है।

प्रमुख चुनौतियां जिनका सामना मध्यम उद्यम कर रहे हैं:

  • योजनाओं के बारे में जागरूकता की कमी: केवल 10% मध्यम उद्यमों ने ही MoMSME की किसी योजना का लाभ उठाया है। अधिकांश ऑनलाइन पोर्टलों से भी अनभिज्ञ हैं।
  • तकनीकी उन्नयन में बाधाएं: 82% मध्यम उद्यमों ने अपने व्यावसायिक कार्यों में उन्नत तकनीकों (जैसे AI, IoT) को एकीकृत नहीं किया है।
  • कुशल जनशक्ति की कमी: लगभग 88% मध्यम उद्यम किसी भी सरकारी कौशल विकास या प्रशिक्षण योजना का लाभ नहीं उठा रहे हैं।
  • अनुपालन का बोझ: विभिन्न प्राधिकरणों द्वारा बार-बार निरीक्षण और जटिल नियम एक बड़ी बाधा हैं।
  • नवाचार में बाधाएं: नवाचार के लिए अपर्याप्त समर्थन और वित्तीय जोखिम मध्यम उद्यमों को पीछे धकेलते हैं।
  • वित्त पोषण की समस्याएं: कार्यशील पूंजी की कमी, उच्च ब्याज दरें और संपार्श्विक आवश्यकताएं प्रमुख मुद्दे हैं।

प्रस्तावित नीति की मुख्य सिफारिशें:

नीति आयोग और ASCI की रिपोर्ट में मध्यम उद्यमों के लिए एक सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र बनाने हेतु छह प्रमुख क्षेत्रों में ठोस सिफारिशें की गई हैं:

  1. मध्यम उद्यमों के लिए विशेष वित्तीय पहल:
    • कार्यशील पूंजी की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक समर्पित वित्तपोषण योजना।
    • ₹5 करोड़ तक की पूर्व-अनुमोदित सीमा वाला एक “मध्यम उद्यम क्रेडिट कार्ड” शुरू करने का प्रस्ताव।
  2. व्यावसायिक संचालन में प्रौद्योगिकी एकीकरण:
    • मौजूदा प्रौद्योगिकी केंद्रों (TCs) को “इंडिया एमई 4.0 कॉम्पिटेंस सेंटर” के रूप में पुनर्गठित करना।
    • ये केंद्र AI, IoT लैब्स, रैपिड प्रोटोटाइपिंग सुविधाओं और डिजिटल परिवर्तन के लिए परामर्श जैसी सेवाएं प्रदान करेंगे।
  3. अनुसंधान एवं विकास (R&D) और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना:
    • एक MSME अनुसंधान और नवाचार कोष की स्थापना।
    • क्लस्टर-विशिष्ट R&D परियोजनाओं की पहचान और त्रि-स्तरीय शासन तंत्र।
  4. क्लस्टर-आधारित परीक्षण और गुणवत्ता प्रमाणन के लिए समर्थन बढ़ाना:
    • मौजूदा MSE-CDP (माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज-क्लस्टर डेवलपमेंट प्रोग्राम) का विस्तार कर मध्यम उद्यमों को शामिल करना।
    • प्रत्येक राज्य में प्रमुख क्षेत्रों की पहचान कर क्लस्टर-वार परीक्षण सुविधाएं स्थापित करना।
  5. मध्यम उद्यमों के लिए अनुकूलित कौशल विकास पहल:
    • मध्यम उद्यमों की कौशल आवश्यकताओं का मानचित्रण।
    • ESDP (उद्यमिता एवं कौशल विकास कार्यक्रम) योजना का विस्तार कर उद्योग 4.0, स्वचालन और डिजिटल विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में अनुकूलित प्रशिक्षण मॉड्यूल शामिल करना।
    • निर्यात-उन्मुख पाठ्यक्रम और जीवनचक्र-विशिष्ट कार्यक्रम डिजाइन करना।
  6. मध्यम उद्यमों के लिए एक केंद्रीकृत डिजिटल पोर्टल की आवश्यकता:
    • उद्यम पोर्टल के एक उप-पोर्टल के रूप में एक केंद्रीकृत, उपयोगकर्ता-अनुकूल मंच बनाना।
    • इसमें योजनाओं, अनुपालन आवश्यकताओं, वित्तीय सहायता और बाजार अनुसंधान पर जानकारी होगी।

यह व्यापक मध्यम उद्यम नीति इन उद्यमों को न केवल भारत के आर्थिक विकास में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को और मजबूत करने में मदद करेगी, बल्कि उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी भी बनाएगी। वित्तीय सहायता और उद्यमिता विकास पर विशेष ध्यान देने से यह क्षेत्र नई ऊंचाइयों को छू सकता है।


आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें

  • यह मध्यम उद्यम नीति भारत के मध्यम उद्यमों के सामने मौजूद विशिष्ट चुनौतियों का समाधान करने पर केंद्रित है।
  • नीति आयोग और ASCI द्वारा तैयार यह रिपोर्ट वित्तीय सहायतातकनीकी उन्नयन, और कौशल विकास पर जोर देती है।
  • इसमें छह प्रमुख सिफारिशें शामिल हैं, जिनमें समर्पित वित्तपोषण योजनाएं और “इंडिया एमई 4.0 कॉम्पिटेंस सेंटर” शामिल हैं।
  • मौजूदा एमएसएमई योजनाओं का केवल एक छोटा हिस्सा ही मध्यम उद्यमों को सीधे लाभ पहुंचाता है, जिसे यह नीति बदलना चाहती है।
  • इस मध्यम उद्यमों के लिए नीति का अंतिम लक्ष्य उन्हें आत्मनिर्भर बनाना और भारत के आर्थिक विकास में उनकी भूमिका को मजबूत करना है।

Discover more from Hindi News, हिंदी न्यूज़ , Hindi Samachar, हिंदी समाचार, Latest News in Hindi, Breaking News in Hindi, ताजा ख़बरें

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

author avatar
आख़िर तक
Share This Article
कोई टिप्पणी नहीं

Leave a Reply

भारत की 10 बेहतरीन मानसून डेस्टिनेशन भारत के 10 छुपे हुए हिल स्टेशन