आख़िर तक – एक नज़र में
- अजित पवार महायुति सरकार में उपमुख्यमंत्री बने रहेंगे।
- उन्होंने बीजेपी के साथ अपनी स्थिति को एकनाथ शिंदे से बेहतर बना लिया।
- महायुति की बैठक में शिंदे की अनुपस्थिति ने संदेह बढ़ाया।
- अजित पवार की एनसीपी ने चुनाव में 75% स्ट्राइक रेट हासिल किया।
- शरद पवार की एनसीपी कमजोर स्थिति में आ गई है।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
अजित पवार की रणनीति और बढ़त
महाराष्ट्र में महायुति सरकार के शपथ ग्रहण से पहले, एनसीपी नेता अजित पवार की भूमिका ने एक नया मोड़ ले लिया। बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस के साथ उनकी निकटता ने उन्हें एक विश्वसनीय सहयोगी बना दिया है। दूसरी ओर, एकनाथ शिंदे की राजनीतिक स्थिति कमजोर होती दिख रही है।
शिंदे की अनुपस्थिति और पवार का लाभ
शिंदे हाल ही में दो महत्वपूर्ण महायुति बैठकों से गायब रहे, जिससे गठबंधन में असमंजस की स्थिति पैदा हो गई। इसके विपरीत, अजित पवार ने फडणवीस के नेतृत्व को खुले तौर पर समर्थन दिया। इसने पवार की विश्वसनीयता को और मजबूत किया।
एनसीपी की सफलता और वास्तविक एनसीपी विवाद का समाधान
एनसीपी ने 55 में से 41 सीटें जीतीं, जिससे उनकी स्ट्राइक रेट 75% रही। इसके मुकाबले शिंदे की शिवसेना की स्ट्राइक रेट 69% थी। अजित पवार के नेतृत्व में एनसीपी ने अपने ‘वास्तविक एनसीपी’ होने की स्थिति को मजबूत कर लिया है।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- अजित पवार ने बीजेपी के साथ अपनी स्थिति को मजबूत किया।
- एकनाथ शिंदे की अनुपस्थिति ने उनकी स्थिति कमजोर की।
- एनसीपी ने चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया।
- अजित पवार ने ‘वास्तविक एनसीपी’ विवाद को सुलझा दिया।
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