आख़िर तक – एक नज़र में
- Lt. Gen. राजीव पुरी ने महिला कमांडिंग अफसरों के नेतृत्व पर सवाल उठाए।
- रिपोर्ट में अहंकार, शिकायतों की अधिकता और सहानुभूति की कमी को रेखांकित किया गया।
- समीक्षा में कहा गया कि कुछ महिला अफसर सख्त और केंद्रीकृत नेतृत्व अपनाती हैं।
- सेना में महिला अधिकारियों की प्रभावी भूमिका पर बहस तेज हो गई है।
- रिपोर्ट में सुधार के लिए जेंडर-न्यूट्रल नीतियों की सिफारिश की गई है।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
समीक्षा का मुख्य विषय
Lt. Gen. राजीव पुरी ने सेना के 17 कॉर्प्स में महिला कमांडिंग अफसरों की भूमिका की समीक्षा करते हुए कई गंभीर मुद्दे उठाए। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में ‘अहंकार की समस्या’ और ‘शिकायतों की अधिकता’ जैसे बिंदुओं पर ध्यान आकर्षित किया। रिपोर्ट के अनुसार, कुछ महिला अफसरों का नेतृत्व कठोर और केंद्रीकृत पाया गया।
व्यक्तिगत और प्रशासनिक चुनौतियां
Lt. Gen. पुरी ने उल्लेख किया कि महिला COs की नेतृत्व शैली में सामंजस्य की कमी देखी गई। वे अपने अधीनस्थों की जरूरतों के प्रति असंवेदनशील मानी गईं। इसके अलावा, अधिकारी प्रबंधन में भी कठिनाइयां आईं, जिससे कई बार अनुशासन संबंधी समस्याएं बढ़ीं।
शिकायतों की बढ़ती प्रवृत्ति
रिपोर्ट में कहा गया कि महिला अफसर छोटी शिकायतों को वरिष्ठ अधिकारियों तक ले जाने की प्रवृत्ति रखती हैं। इससे निचले स्तर पर समस्याओं के समाधान में कठिनाई होती है।
सिफारिशें और सुझाव
Lt. Gen. पुरी ने सेना में महिला अधिकारियों की तैनाती के लिए जेंडर-न्यूट्रल नीतियां अपनाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण में सुधार और निष्पक्ष मूल्यांकन सुनिश्चित करना आवश्यक है।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
महिला कमांडिंग अफसरों पर Lt. Gen. पुरी की रिपोर्ट ने कई महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए हैं। नेतृत्व शैली, शिकायतों की अधिकता और जेंडर-न्यूट्रल नीतियों की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
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