आख़िर तक – एक नज़र में
- मकर संक्रांति पर प्रयागराज में महाकुंभ मेले का पहला अमृत स्नान संपन्न हुआ।
- 13 प्रमुख अखाड़ों ने अनुशासित कार्यक्रम के तहत स्नान में भाग लिया।
- इस कुंभ का महत्व अद्वितीय ज्योतिषीय घटनाओं के चलते बढ़ गया है।
- उत्तर प्रदेश सरकार ने 35 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना जताई है।
- मेले का आयोजन 12 साल में एक बार होता है, जो भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
महाकुंभ का विशेष आयोजन
मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर प्रयागराज में महाकुंभ मेले का पहला अमृत स्नान हुआ। इसे आध्यात्मिक शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस वर्ष का कुंभ 12 वर्षों में आयोजित होता है, लेकिन इस बार 144 वर्षों बाद होने वाले विशेष ग्रह संयोग के कारण इसका महत्व और भी बढ़ गया है।
13 अखाड़ों का अनुशासनिक स्नान
मेले में 13 प्रमुख अखाड़ों ने भाग लिया, जिनमें पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और शंभू पंचायती अटल अखाड़ा ने स्नान का नेतृत्व किया। अखाड़ों के लिए समय-सारिणी तैयार की गई थी, ताकि स्नान सुचारू रूप से हो सके। प्रत्येक अखाड़े के लिए स्नान और वापसी का समय निर्धारित किया गया।
श्रद्धालुओं की अद्वितीय भागीदारी
उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ में 35 करोड़ श्रद्धालुओं के आगमन का अनुमान लगाया है। यह आयोजन न केवल भारतीय संस्कृति और धर्म की महिमा को दर्शाता है, बल्कि पर्यटकों और शोधकर्ताओं को भी आकर्षित करता है।
विशेष प्रबंध और सुरक्षा व्यवस्था
सरकार और प्रशासन ने मेले के सुचारू संचालन के लिए सुरक्षा और आधारभूत संरचनाओं पर विशेष ध्यान दिया। गंगा के घाटों पर सफाई, शौचालय, पेयजल और चिकित्सा सेवाएं मुहैया कराई गई हैं।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- मकर संक्रांति के अवसर पर प्रयागराज में पहला अमृत स्नान संपन्न हुआ।
- 13 अखाड़ों ने विशेष समय-सारिणी के तहत इसमें भाग लिया।
- कुंभ मेले का महत्व 144 सालों में एक बार होने वाले ग्रह संयोग के कारण बढ़ा।
- मेले में 35 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं की उम्मीद है।
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