मंदिर-मस्जिद विवादों को लेकर RSS प्रमुख का कड़ा बयान

आख़िर तक
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मंदिर-मस्जिद विवादों को लेकर RSS प्रमुख का कड़ा बयान

आख़िर तक – एक नज़र में

  1. RSS प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में मंदिर-मस्जिद विवादों पर टिप्पणी की।
  2. उन्होंने कहा कि कुछ लोग राम मंदिर जैसा विवाद पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।
  3. भागवत ने भारत की एकता और समरसता को बढ़ावा देने की बात की।
  4. उनका कहना था कि अयोध्या का राम मंदिर सभी हिंदुओं के विश्वास का मामला था, न कि राजनीतिक मकसद।
  5. भागवत ने भारत को दुनिया के लिए एक उदाहरण बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

आख़िर तक – विस्तृत समाचार

RSS प्रमुख का बयान: समाज में समरसता का ज़रूरी संदेश

RSS प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को देश में चल रहे मंदिर-मस्जिद विवादों पर बयान दिया। उन्होंने कहा कि भारत में कुछ ऐसे लोग सक्रिय हो गए हैं जो राम मंदिर जैसे विवादों को कहीं और उठाने की कोशिश कर रहे हैं। भागवत ने समरसता और एकता की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि भारत को एक आदर्श उदाहरण बनना चाहिए। उनका मानना था कि हमारे देश में अलग-अलग धर्मों और संस्कृतियों के लोग सहअस्तित्व में रहते हैं, जो कि दुनिया के लिए एक बड़ा संदेश है।

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समाज में हिन्दू-मुस्लिम संबंधों का संतुलन

भागवत ने विशेष रूप से हिन्दू धर्म की सहिष्णुता की बात की। उन्होंने उदाहरण दिया कि स्वामी रामकृष्ण मिशन में क्रिसमस मनाया जाता है, और यह केवल भारत में संभव है। उनका कहना था कि भारत में हिन्दू-मुस्लिम संबंधों में सामंजस्य बरकरार रखने की लम्बी परंपरा रही है, और हमें इसका पालन करना चाहिए। उन्होंने टिप्पणी की कि जब राम मंदिर का निर्माण हुआ, तो यह केवल धार्मिक विश्वास का मुद्दा था, न कि राजनीतिक उद्देश्य।

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समाज में विवादों का विरोध और राष्ट्र की एकता

हालांकि, भागवत ने स्पष्ट रूप से कहा कि कुछ नए विवाद हर रोज़ उठाए जा रहे हैं, जो देश में भेदभाव को बढ़ावा दे सकते हैं। उन्होंने इस प्रक्रिया को अस्वीकार्य बताते हुए जोर दिया कि भारत को दुनियाभर में भाईचारे का उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए। भागवत ने यह भी स्पष्ट किया कि अयोध्या का राम मंदिर हिंदू समाज के विश्वास का प्रतीक था, जिसका कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं था।

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संविधान की महत्ता और अतीत से शिक्षा

RSS प्रमुख ने भारतीय संविधान को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि अब देश में कानून द्वारा शासन होता है, और सभी प्रतिनिधि चुनाव के जरिए तय होते हैं। इस संदर्भ में उन्होंने इतिहास का उल्लेख करते हुए कहा कि कैसे ब्रिटिश साम्राज्य ने हिन्दू-मुस्लिम भेदभाव को बढ़ावा दिया था, जिससे अंततः पाकिस्तान का निर्माण हुआ।

आखिर तक – याद रखने योग्य बातें

  1. RSS प्रमुख ने मंदिर-मस्जिद विवादों को बढ़ावा देने की कोशिश करने वालों की आलोचना की।
  2. समरसता और एकता को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया।
  3. अयोध्या का राम मंदिर केवल धार्मिक विश्वास का मुद्दा था।
  4. भारत को दुनिया के लिए समरसता का आदर्श बनना चाहिए।
  5. सभी धर्मों और समुदायों के बीच एकता बनाए रखना ज़रूरी है।

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आख़िर तक मुख्य संपादक
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