आख़िर तक – एक नज़र में
- मणिपुर बस नाम विवाद के कारण राज्य में तनाव खतरनाक रूप से बढ़ गया है।
- सरकारी बस से राज्य का नाम छिपाने पर छात्र संगठन सड़कों पर उतर आए हैं।
- प्रदर्शनकारियों ने इंफाल में कई केंद्र सरकार के सरकारी कार्यालय बंद कर दिए हैं।
- यह विवाद शिरुई लिली महोत्सव जा रही बस से नाम हटाने की घटना से शुरू हुआ।
- राज्यपाल से माफी और अधिकारियों के इस्तीफे की मांग ने इंफाल तनाव को और बढ़ा दिया है।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
मणिपुर बस नाम विवाद ने मंगलवार को राज्य में तनाव को और गहरा कर दिया। समन्वय समिति ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी (COCOMI) की छात्र इकाई के सदस्यों ने इस मुद्दे पर राष्ट्रव्यापी आंदोलन छेड़ दिया। उन्होंने घाटी जिले में केंद्र सरकार के कार्यालयों पर ताले जड़ दिए। साइनबोर्ड पर कालिख पोत दी गई। यह मणिपुर विरोध प्रदर्शन सरकारी बस से राज्य का नाम छिपाने के विरोध में था।
केंद्र सरकार के कार्यालयों पर ताले और तोड़फोड़
प्रदर्शनकारियों ने इंफाल पश्चिम के लैम्फेलपट में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) कार्यालय को बंद कर दिया। मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) के कार्यालय पर भी ताला लगा दिया गया। “भारत सरकार” लिखे साइनबोर्ड पर कीचड़ मला गया। यह केंद्र के प्रति बढ़ते क्षेत्रीय असंतोष का स्पष्ट संकेत था। यह घटना मणिपुर बस नाम विवाद की गंभीरता को दर्शाती है।
महिलाओं का उग्र प्रदर्शन और शिरुई लिली महोत्सव कनेक्शन
इसके साथ ही, घाटी के जिलों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए। इनमें इंफाल पूर्व और पश्चिम शामिल थे। इन प्रदर्शनों का नेतृत्व मुख्य रूप से महिलाओं ने किया। यह विरोध उस सरकारी बस से राज्य का नाम छिपाने को लेकर था, जिसमें पत्रकार सवार थे। बस 20 मई को उखरूल जिले में शिरुई लिली महोत्सव के लिए जा रही थी। यह घटना ग्वालताबी इलाके में हुई थी। इस विवाद ने इंफाल तनाव को काफी बढ़ा दिया है।
अधिकारियों से माफी और इस्तीफे की मांग
खुराई, इंफाल पूर्व में, महिला प्रदर्शनकारियों ने उपायुक्त कार्यालय तक मार्च किया। उन्होंने कामकाज बाधित किया। राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से आधिकारिक माफी की मांग की। इंफाल पश्चिम में भी ऐसे ही दृश्य देखे गए। वहां मानव श्रृंखला बनाई गई। “आत्मनिर्णय हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है” जैसे नारों वाली तख्तियां प्रदर्शित की गईं। प्रदर्शनकारी राज्य के मुख्य सचिव और सुरक्षा सलाहकार के इस्तीफे की भी मांग कर रहे हैं। उन पर प्रशासनिक लापरवाही और अशांति बढ़ाने का आरोप है। छात्र संगठन भी इस मांग में सक्रिय हैं।
शामिल संगठन और व्यापक विरोध
यह आंदोलन नागरिक समाज संगठनों के गठबंधन द्वारा किया गया। इसमें AMUCO (ऑल मणिपुर यूनाइटेड क्लब्स ऑर्गनाइजेशन), पोरीलेइमारिल, AMAWOVA (ऑल मणिपुर वीमेन वॉलंटरी एसोसिएशन), MSF (मणिपुरी स्टूडेंट्स फेडरेशन), और COHR (कमेटी ऑन ह्यूमन राइट्स) शामिल थे। कोकोमी की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही। बिष्णुपुर और पूर्वोत्तर राज्य के अन्य हिस्सों में भी समन्वित प्रदर्शनों की सूचना मिली।
राज्यपाल का आगमन और सुरक्षा उपाय
सोमवार को राज्यपाल भल्ला नई दिल्ली से इंफाल पहुंचे। उन्हें सेना के हेलीकॉप्टर से कांगला किले ले जाया गया। क्योंकि प्रदर्शनकारी तिद्दिम रोड पर क्वाकीथेल इलाके में जमा हो गए थे। वे राजभवन की ओर मार्च करने की योजना बना रहे थे, जो तीन किलोमीटर दूर है। प्रदर्शनकारियों ने क्वाकीथेल में राज्यपाल का पुतला जलाने का भी प्रयास किया। इससे आंदोलनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच झड़प हुई। मौजूदा विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए इंफाल भर में केंद्रीय बलों को तैनात किया गया है। इनमें असम राइफल्स और रैपिड एक्शन फोर्स के जवान शामिल हैं। सरकारी कार्यालय बंद होने से कामकाज भी प्रभावित हुआ है। यह मणिपुर बस नाम विवाद राज्य की शांति के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- मणिपुर बस नाम विवाद सरकारी बस से राज्य का नाम छिपाने के कारण भड़का।
- छात्र संगठन और महिला समूहों ने इंफाल तनाव के बीच व्यापक मणिपुर विरोध प्रदर्शन किया।
- प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार के सरकारी कार्यालय बंद किए और अधिकारियों के इस्तीफे की मांग की।
- यह घटना शिरुई लिली महोत्सव जा रही पत्रकारों की बस से जुड़ी है।
- कोकोमी समेत कई नागरिक संगठन इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं, जिससे स्थिति गंभीर बनी हुई है।
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