पेरिस ओलंपिक्स 2024 में भारतीय शूटर Manu Bhaker ने कांस्य पदक के करीब पहुंचकर चूका। 22 वर्षीय Bhaker, जिन्होंने पहले ही दो पदक जीतकर इतिहास रचा था, ने महिलाओं की 25 मीटर पिस्टल फाइनल में चौथा स्थान प्राप्त किया। उनका प्रदर्शन उनके कौशल को दर्शाता है, लेकिन वे कांस्य पदक हासिल करने से चूक गईं।
एक कड़ी फाइनल
Manu Bhaker ने 25 मीटर पिस्टल फाइनल में कड़ी प्रतिस्पर्धा की, जिसमें युवा प्रतिभाओं ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। Bhaker कांस्य पदक की उम्मीद के बावजूद अंतिम दौर में Hungary की Veronika Major के खिलाफ शूट-ऑफ में हार गईं।
Bhaker का ऐतिहासिक अभियान
भले ही कांस्य पदक से चूकीं, लेकिन Bhaker का प्रदर्शन पेरिस गेम्स में ऐतिहासिक था। वह एक ओलंपिक अभियान में दो शूटिंग पदक जीतने वाली पहली भारतीय बन गईं। Bhaker ने 10 मीटर एयर पिस्टल में कांस्य जीता और बाद में Sarabjot Singh के साथ मिलकर मिश्रित टीम 10 मीटर एयर पिस्टल में कांस्य पदक जीता। 25 मीटर पिस्टल इवेंट में फाइनल में पहुंचना उनके लिए एक और उपलब्धि थी, जिसमें उन्होंने क्वालीफिकेशन स्टेज में दूसरा स्थान प्राप्त किया।
फाइनल प्रदर्शन विश्लेषण
Manu Bhaker का फाइनल में सफर धीमे शुरुआत के साथ शुरू हुआ। उन्होंने शुरुआती सीरीज में 2 अंक प्राप्त किए, लेकिन जल्दी ही गति पकड़ी। उन्होंने पांचवे दौर में एक परफेक्ट सीरीज के साथ टॉप थ्री में जगह बनाई।
फाइनल सीरीज में Bhaker और Hungary की Veronika Major के बीच टाई हुआ, जिन्होंने क्वालीफाइंग में ओलंपिक रिकॉर्ड को बराबर किया था। शूट-ऑफ के दौरान Bhaker ने केवल 2 अंक प्राप्त किए, जबकि Major ने 4 अंक बनाकर कांस्य पदक जीता। Bhaker का प्रदर्शन सराहनीय था, हालांकि उन्होंने पदक से चूकने पर निराशा व्यक्त की।
Bhaker की विरासत और भविष्य
Manu Bhaker की पेरिस ओलंपिक्स में उपलब्धियाँ भारतीय खेलों में उनकी स्थिति को मजबूत करती हैं। दो पदक लेकर घर लौटकर, वह PV Sindhu और Sushil Kumar के साथ उन भारतीय एथलीटों के क्लब में शामिल हो गईं जिनके पास दो ओलंपिक पदक हैं।
उनकी सफलता ने भारतीय टीम को प्रेरित किया, जिसमें Swapnil Kusale ने 50 मीटर राइफल 3 पोजीशन्स इवेंट में पहला भारतीय पदक—कांस्य—जीता। भारत की शूटिंग टीम ने 2020 और 2016 ओलंपिक्स में पदक नहीं जीतने के बाद उल्लेखनीय वापसी की है।
Manu Bhaker का पेरिस ओलंपिक्स में प्रदर्शन विजय और दिल टूटने का मिश्रण था। हालांकि वे कांस्य पदक से चूक गईं, लेकिन उनके गेम्स में प्राप्त उपलब्धियाँ भारतीय खेलों में उनकी विरासत को स्थापित करती हैं। उनका समर्पण और कौशल एथलीटों और प्रशंसकों को प्रेरित करता रहेगा।
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