आख़िर तक – एक नज़र में
- शिवसेना (यूबीटी) की हिंदुत्व की ओर वापसी से मविआ में फूट के संकेत मिले हैं।
- एसपी नेता अबू आज़मी ने मविआ से बाहर निकलने की घोषणा की।
- नार्वेकर के बयान ने एसपी और शिवसेना (यूबीटी) के बीच तनाव बढ़ा दिया।
- एसपी नेतृत्व ने अब इस मुद्दे पर राष्ट्रीय स्तर पर निर्णय लेने की बात कही।
- शिवसेना (यूबीटी) ने राम मंदिर आंदोलन में अपनी भूमिका कभी नहीं नकारा।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
मविआ में बढ़ते तनाव
महाराष्ट्र में मविआ (महा विकास अघाड़ी) गठबंधन को बड़ा झटका लगा है। शिवसेना (यूबीटी) के नेता मिलिंद नार्वेकर के विवादास्पद बयान ने गठबंधन के अंदर तनाव को उजागर किया। उन्होंने बाबरी मस्जिद विध्वंस की प्रशंसा करते हुए एक टिप्पणी की, जिससे एसपी नेता अबू आज़मी नाराज़ हो गए।
एसपी की प्रतिक्रिया
अबू आज़मी ने कहा कि यह सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने जैसा है और एसपी मविआ में अब शामिल नहीं रह सकता। उन्होंने बताया कि अल्पसंख्यक समुदाय ने शिवसेना (यूबीटी) का समर्थन किया, लेकिन यह पार्टी अब अपने कट्टर हिंदुत्व वाले रुख पर लौट रही है।
मुस्लिम वोटों की लड़ाई
एसपी नेता का बयान मुस्लिम वोट बैंक के संरक्षण की कोशिश माना जा रहा है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) जैसे दलों के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए यह कदम उठाया गया।
शिवसेना (यूबीटी) का रुख
शिवसेना (यूबीटी) के नेता आदित्य ठाकरे ने एसपी पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोगों ने चुनावों में पार्टी के लिए काम नहीं किया। शिवसेना ने राम मंदिर आंदोलन में अपनी भूमिका को कभी नकारा नहीं।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- मविआ में दरार शिवसेना (यूबीटी) के हिंदुत्व रुख से पैदा हुई।
- एसपी ने मविआ से बाहर होने की घोषणा की।
- एसपी नेतृत्व ने राष्ट्रीय स्तर पर इस पर निर्णय लेने की बात कही।
- शिवसेना (यूबीटी) का हिंदुत्व और राम मंदिर आंदोलन में भूमिका कभी नहीं बदली।
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