आख़िर तक – एक नज़र में
- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में राहुल गांधी के आर्थिक विचारों की आलोचना की।
- उन्होंने कांग्रेस सरकार पर भारतीय विनिर्माण क्षेत्र को कमजोर करने का आरोप लगाया।
- सीतारमण ने चीन के साथ कांग्रेस के हस्ताक्षरित समझौते पर सवाल उठाए।
- उन्होंने कहा कि राहुल गांधी भारतीय अर्थव्यवस्था पर बोलने के लिए “योग्य नहीं” हैं।
- सरकार ने ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत स्मार्टफोन निर्माण में सुधारों का हवाला दिया।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
राहुल गांधी की टिप्पणी और वित्त मंत्री की प्रतिक्रिया
लोकसभा में सोमवार को राहुल गांधी ने भारत की आर्थिक स्थिति पर बोलते हुए कहा कि चीन वैश्विक विनिर्माण में भारत से बहुत आगे निकल चुका है। उन्होंने दावा किया कि भारत एक उपभोग-प्रधान अर्थव्यवस्था बन गया है, जिसका लाभ केवल कुछ उद्योगपतियों को मिल रहा है।
इसके जवाब में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राहुल गांधी की टिप्पणी को “बेतुका आत्मविश्वास” करार दिया। उन्होंने कांग्रेस शासन के दौरान भारतीय विनिर्माण क्षेत्र के पिछड़ने के लिए कांग्रेस सरकार को दोषी ठहराया।
चीन और कांग्रेस सरकार का समझौता
सीतारमण ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने अपने शासनकाल के दौरान चीन के साथ एक समझौता किया था, जिसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई। उन्होंने राहुल गांधी से पूछा कि उस समझौते में क्या था और कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान चीन ने कितनी भारतीय भूमि कब्जाई।
राहुल गांधी की आलोचना और सरकार की आर्थिक नीतियाँ
सीतारमण ने राहुल गांधी की आलोचना करते हुए कहा कि वे भारतीय अर्थव्यवस्था को समझने के लिए “योग्य नहीं” हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासन के दौरान अर्थव्यवस्था ठहराव की स्थिति में थी, बैंकों को बड़े नुकसान हुए, और उद्योगपतियों ने देश छोड़ दिया।
इसके विपरीत, उन्होंने मोदी सरकार के तहत स्मार्टफोन निर्माण क्षेत्र में सुधारों का हवाला दिया और दावा किया कि भारत अब दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- राहुल गांधी ने कहा कि चीन भारत से बहुत आगे निकल चुका है।
- वित्त मंत्री ने उनकी टिप्पणी को ‘बेतुका आत्मविश्वास’ बताया।
- कांग्रेस पर भारतीय विनिर्माण क्षेत्र को कमजोर करने का आरोप लगाया गया।
- सीतारमण ने ‘मेक इन इंडिया’ नीति के तहत भारत की प्रगति का उल्लेख किया।
- वित्त मंत्री ने राहुल गांधी को भारतीय अर्थव्यवस्था पर बोलने के लिए “अयोग्य” बताया।
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