उमर अब्दुल्ला का ट्रैफिक रोकने पर प्रतिबंध, जनता के लिए राहत

आख़िर तक
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उमर अब्दुल्ला का ट्रैफिक रोकने पर प्रतिबंध, जनता के लिए राहत

आख़िर तक – इन शॉर्ट्स

  • मुख्यमंत्री बने उमर अब्दुल्ला ने बड़ा आदेश जारी किया: जम्मू-कश्मीर के नए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सड़कों पर ट्रैफिक रोकने के आदेश को रद्द किया है ताकि जनता को असुविधा न हो।
  • ट्रैफिक सिग्नल का पालन करने का निर्देश: उन्होंने निर्देश दिया कि उनके काफिले को ट्रैफिक सिग्नल का पालन करना होगा और कोई भी आक्रामक इशारे नहीं किए जाएं।
  • मंत्रियों को भी दिए निर्देश: उमर अब्दुल्ला ने अपने मंत्रियों से भी यही व्यवस्था अपनाने का आग्रह किया, ताकि जनता का सहयोग किया जा सके।

आख़िर तक – इन डेप्थ

जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में दूसरी बार शपथ लेने के बाद, उमर अब्दुल्ला ने तुरंत एक ऐतिहासिक फैसला लिया, जिससे जनता को राहत मिली। अपने कार्यकाल के पहले ही आदेश में उन्होंने कहा कि अब उनके काफिले के लिए किसी भी प्रकार का “ग्रीन कॉरिडोर” या ट्रैफिक को नहीं रोका जाएगा। उन्होंने जम्मू-कश्मीर पुलिस के महानिदेशक (डीजी) को निर्देश दिया कि जनता को असुविधा से बचाने के लिए सड़कों पर ट्रैफिक रोकना बंद किया जाए और किसी भी प्रकार की आक्रामक गतिविधियों, जैसे कि डंडा लहराना, का इस्तेमाल न हो।

उमर अब्दुल्ला ने एक ट्वीट के माध्यम से यह जानकारी साझा की और बताया कि वह जनता की सुविधा को सबसे ऊपर रखते हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सायरन का उपयोग भी न्यूनतम हो और किसी भी स्थिति में लोगों को परेशान न किया जाए। उन्होंने अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों से भी अनुरोध किया कि वे भी इसी तरह का व्यवहार अपनाएं और सड़कों पर ट्रैफिक रोकने से बचें।

इससे पहले भी उमर अब्दुल्ला ने 2009 से 2014 तक अपने पहले कार्यकाल में इस प्रकार के कई उदाहरण पेश किए थे, जैसे कि उनके काफिले को ट्रैफिक सिग्नल का पालन करने का निर्देश दिया था। अब, एक बार फिर से मुख्यमंत्री पद संभालते ही उन्होंने जनता को यह विश्वास दिलाया है कि उनका नेतृत्व लोगों की भलाई के लिए है।

उमर अब्दुल्ला के शपथ ग्रहण के साथ ही जम्मू-कश्मीर में छह साल बाद एक बार फिर चुनी हुई सरकार का गठन हुआ। उनके साथ सुरिंदर सिंह चौधरी को उपमुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया है, जो जम्मू का प्रतिनिधित्व करेंगे। कांग्रेस ने फिलहाल मंत्रिमंडल से बाहर रहने का निर्णय लिया है और जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा देने की मांग पर जोर दिया है।


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आख़िर तक मुख्य संपादक
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