आख़िर तक – एक नज़र में
- जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार के साथ सकारात्मक संबंध बनाए रखने की नीति अपनाई है।
- उन्होंने कहा कि अगर संघर्ष की आवश्यकता नहीं है तो किसी से टकराने का कोई मतलब नहीं।
- अब्दुल्ला ने भाजपा नेतृत्व से अपनी मुलाकातों के बारे में सकारात्मक टिप्पणियाँ कीं।
- उन्होंने राज्य को विशेष दर्जा लौटाने की अपनी मांग को दृढ़ रखा है, हालांकि वे संघर्ष से बचने की कोशिश कर रहे हैं।
- जब उनसे पूछा गया, तो उमर अब्दुल्ला ने राजनीति में विभिन्न दृष्टिकोणों को स्वीकार किया और स्थिति पर प्रतिक्रिया देने की बात की।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
केंद्र के साथ संबंधों को लेकर उमर अब्दुल्ला का दृष्टिकोण
उमर अब्दुल्ला, जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री, केंद्र सरकार के साथ अपनी रणनीति पर चर्चा करते हुए स्पष्ट थे। उन्होंने कहा कि यदि संघर्ष की आवश्यकता नहीं है, तो केंद्र के साथ टकराव क्यों किया जाए। उनका मानना है कि किसी भी राजनीतिक संबंध में दृढ़ता बनाए रखना ज़रूरी है, लेकिन बिना किसी अनावश्यक संघर्ष के।
केंद्र सरकार से बैठकें
अब्दुल्ला ने केंद्रीय नेताओं के साथ अपनी मुलाकातों के बारे में बात की। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के साथ अपने रिश्तों को स्पष्ट किया, और कहा कि इन बैठकों में कोई संघर्ष नहीं था। उन्होंने जोर दिया कि वे समझते हैं कि उनके द्वारा किए गए फैसलों को आम जनता का समर्थन मिल चुका है, और यह समर्थन महत्वपूर्ण है।
राज्य पुनर्निर्माण की आवश्यकता
उमर अब्दुल्ला ने बार-बार राज्य पुनर्निर्माण की आवश्यकता को उठाया और यह बताया कि उनका रुख केंद्रीय सरकार के प्रति सहयोगात्मक है। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य राज्य की भलाई है, और केंद्र सरकार से उन्हें ज्यादा समर्थन की उम्मीद है। इसके बावजूद, उन्होंने बताया कि राज्य के लिए राज्यधिकार की पुनर्स्थापना पर उनकी मांग जारी रहेगी।
पार्टी में विभिन्न दृष्टिकोण
उनसे यह भी पूछा गया कि उनके खिलाफ किसी तरह के दवाब या कट्टर दृष्टिकोण नहीं हैं। उनका जवाब था कि राजनीति में विभिन्न दृष्टिकोण होना स्वाभाविक है, और यदि कोई पार्टी या नेता अपने विचारों को लागू करना चाहता है, तो उन्हें अपना रास्ता दिखाने का मौका मिलना चाहिए।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- उमर अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार के साथ संप्रेषण में संघर्ष से बचने की जरूरत की बात की।
- राज्य पुनर्निर्माण की उनकी मांग बनी हुई है, जबकि वे केंद्र के साथ सहयोग करते हुए राज्य के विकास की दिशा में काम करना चाहते हैं।
- राजनीति में विभिन्न दृष्टिकोणों का सम्मान किया जाना चाहिए।
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