इंदिरा गांधी का 1970 का फ़ैसला: एक नज़र में

आख़िर तक
4 Min Read
इंदिरा गांधी का 97.5% आयकर: बजट 2025-26 की तुलना

आख़िर तक – एक नज़र में

  1. इंदिरा गांधी ने 1970 में आम चुनावों की घोषणा करके एक साथ चुनाव की परंपरा को समाप्त कर दिया।
  2. यह फैसला 1951-52 से चल रहे ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के सिस्टम के खिलाफ था।
  3. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने इसे पुनः लागू करने का प्रस्ताव संसद में रखा है।
  4. कांग्रेस पार्टी ने इसे विरोध करते हुए आलोचना की है।
  5. यह राजनीतिक बदलाव 1971 के चुनाव परिणामों और पार्टी विभाजन के परिणामस्वरूप हुआ था।

आख़िर तक – विस्तृत समाचार

इंदिरा गांधी का 1970 का फैसला

भारत में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की परंपरा की शुरुआत 1951-52 के लोकसभा चुनाव से हुई थी। तब राज्य विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक ही समय में होते थे। यह प्रणाली लगभग दो दशकों तक चलती रही, लेकिन 1970 में इंदिरा गांधी द्वारा एक ऐसे फैसले की घोषणा की गई, जिसने इस व्यवस्था को समाप्त कर दिया।

- विज्ञापन -

एक राष्ट्र, एक चुनाव का अंत

प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 27 दिसंबर, 1970 को घोषणा की कि लोकसभा का कार्यकाल खत्म कर दिया जाएगा और 1971 में नए चुनाव होंगे। यह घोषणा पहली बार थी जब स्वतंत्र भारत में लोकसभा का कार्यकाल इतने समय पहले समाप्त किया गया। यह कदम उन राजनीतिक अस्थिरताओं से उपजा था, जिनसे कांग्रेस सरकार जूझ रही थी।

- विज्ञापन -

कांग्रेस पार्टी में विभाजन और राजनीतिक अस्थिरता

इंदिरा गांधी का नेतृत्व कमजोर हो चुका था, और पार्टी के भीतर चल रहे विवादों ने उन्हें अस्थिर स्थिति में ला दिया था। कांग्रेस से बाहर होने के बाद, इंदिरा गांधी ने एक नए दल का गठन किया और अपनी सरकार बनाए रखने के लिए क्षेत्रीय पार्टियों का समर्थन लिया। बावजूद इसके, उन्हें लगातार चुनौती मिल रही थी, और यही कारण था कि उन्होंने 1971 के चुनावों का निर्णय लिया। इस फैसले ने न केवल लोकसभा चुनाव को राज्य विधानसभा चुनावों से अलग किया बल्कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की प्रक्रिया को भी खत्म कर दिया।

- विज्ञापन -

क्या हम फिर से एक साथ चुनाव देख सकते हैं?

वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने 1970 के इस फैसले के विपरीत, एक बार फिर ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के प्रस्ताव को प्रस्तुत किया है। एक उच्चस्तरीय समिति ने 2029 तक सभी चुनावों को एक साथ कराने का सुझाव दिया है। यह कदम संविधान में संशोधन के माध्यम से लागू किया जाएगा। हालांकि, कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी पार्टियों ने इस प्रस्ताव पर विरोध जताया है।

आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें

  1. 1970 में इंदिरा गांधी ने लोकसभा चुनाव को 15 महीने पहले कराए, जिससे ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का प्रचलन समाप्त हो गया।
  2. मोदी सरकार ने इसे पुनः लागू करने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया है।
  3. कांग्रेस पार्टी इसका विरोध कर रही है।
  4. यह कदम देश की राजनीतिक स्थिरता और नेतृत्व से जुड़ा है।
  5. देखना होगा कि क्या ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ सिस्टम 2029 में फिर से लागू हो पाएगा।

Discover more from पाएं देश और दुनिया की ताजा खबरें

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

author avatar
आख़िर तक मुख्य संपादक
Share This Article
Leave a Comment

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

करवा चौथ: महत्व और उत्सव खोया हुआ मोबाइल कैसे ढूंढे: आसान और तेज़ तरीके