आख़िर तक – एक नज़र में
- भाजपा सांसद ने Waqf संशोधन बिल पर संसदीय समिति के कार्यकाल को बढ़ाने की मांग की।
- विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि समिति अध्यक्ष कार्यवाही जल्दबाजी में समाप्त करना चाहते हैं।
- समिति ने अब तक केवल 25 बैठकें की हैं, और विपक्ष ने कहा कि समय की कमी है।
- लोकसभा अध्यक्ष ने संकेत दिया कि समिति के कार्यकाल को बढ़ाया जा सकता है।
- यह विवाद संसद के आगामी सत्र और बजट सत्र पर प्रभाव डाल सकता है।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
Waqf संशोधन बिल पर संसदीय समिति की स्थिति
भारत सरकार ने 8 अगस्त, 2024 को Waqf (संशोधन) बिल लोकसभा में पेश किया था, जिसका उद्देश्य Waqf बोर्ड के कार्यों को सरल और प्रभावी बनाना था। इस बिल को तुरंत संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजा गया था, जब विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों ने इस पर आपत्ति जताई थी। उनका आरोप था कि यह बिल मुस्लिम समुदाय के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और समुदाय के खिलाफ लक्षित है।
समिति की कार्यवाही और विपक्षी सांसदों की प्रतिक्रिया
अब तक संसदीय समिति की केवल 25 बैठकें हो पाई हैं, और विपक्षी सांसदों ने महसूस किया है कि उनके पास पर्याप्त समय नहीं है, जिससे वे अपने पक्ष को सही तरीके से प्रस्तुत कर सकें। विशेष रूप से, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने बुधवार को एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने समिति के कार्यकाल को बढ़ाने की मांग की। इस प्रस्ताव के बाद, विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल कार्यवाही को जल्द खत्म करने के प्रयास में हैं।
विपक्ष का आरोप और पलटफेर
विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि समिति अध्यक्ष, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के इशारे पर काम कर रहे हैं, और कार्यवाही की जल्दबाजी से उन्हें अपनी बात रखने का पूरा अवसर नहीं मिल रहा। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई, डीएमके के ए राजा, और अन्य नेताओं ने विरोध किया और कार्यकाल बढ़ाने की मांग की।
समिति के कार्यकाल में विस्तार की संभावना
कुछ रिपोर्टों के अनुसार, संसदीय समिति के कार्यकाल को अगले बजट सत्र तक बढ़ा दिया जा सकता है। हालांकि, यह निर्णय लोकसभा में ही लिया जाएगा। यह कदम विपक्ष और सरकार दोनों के लिए महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि इससे आगामी विधायिका सत्र पर असर पड़ सकता है।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- Waqf संशोधन बिल पर संसदीय समिति का कार्यकाल बढ़ाने की मांग उठी है।
- विपक्ष ने कार्यवाही की जल्दबाजी पर सवाल उठाए हैं, और कार्यकाल विस्तार की मांग की है।
- समिति की केवल 25 बैठकें अब तक हुई हैं, और विपक्षी दलों को और समय चाहिए।
- लोकसभा अध्यक्ष ने कार्यकाल बढ़ाने के संकेत दिए हैं।
- यह मुद्दा संसद के आगामी सत्र और बजट सत्र को प्रभावित कर सकता है।
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