आख़िर तक – एक नज़र में
- पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के पार्थिव शरीर को कांग्रेस मुख्यालय 24 अकबर रोड पर प्रवेश नहीं दिया गया।
- राव के परिवार ने दिल्ली में अंतिम संस्कार की मांग की थी, लेकिन उन्हें मजबूरन हैदराबाद में अंतिम संस्कार करना पड़ा।
- कहा जाता है कि तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दिल्ली में उनका अंतिम संस्कार रोकने का निर्देश दिया।
- राव को देश में आर्थिक सुधारों के प्रणेता के रूप में जाना जाता है, फिर भी उन्हें पार्टी से बाहर किया गया।
- 2015 में, मोदी सरकार ने राव के लिए दिल्ली में स्मारक बनाकर उनकी स्मृति को सम्मानित किया।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
क्यों रोका गया नरसिम्हा राव का अंतिम संस्कार दिल्ली में?
2004 में पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव का निधन हुआ। इसके बाद कांग्रेस में उनकी अंतिम यात्रा से जुड़े विवाद सामने आए। कहा गया कि पार्टी के मुख्यालय 24 अकबर रोड में उनके पार्थिव शरीर को प्रवेश करने से रोका गया।
पार्टी में गहरे मतभेद
राव और गांधी परिवार के बीच संबंधों में तनाव 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय से बढ़ा। उन्हें इस घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया गया और पार्टी में उनके प्रति दूरियां बढ़ीं।
दिल्ली में अंतिम संस्कार का विरोध
राव के परिवार ने उनका अंतिम संस्कार दिल्ली में करने की इच्छा व्यक्त की थी, लेकिन तत्कालीन कांग्रेस नेतृत्व ने इसका विरोध किया।
हैदराबाद में हुआ अंतिम संस्कार
कांग्रेस नेताओं, जैसे अहमद पटेल और वाईएसआर रेड्डी ने परिवार को हैदराबाद में अंतिम संस्कार के लिए मना लिया।
दशकों बाद मिला सम्मान
2015 में, मोदी सरकार ने दिल्ली में एक स्मारक स्थापित करके उनके योगदान को मान्यता दी।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- नरसिम्हा राव भारतीय आर्थिक सुधारों के जनक माने जाते हैं।
- बाबरी मस्जिद विवाद उनके राजनीतिक करियर पर भारी पड़ा।
- दिल्ली में उनकी अंतिम यात्रा और अंतिम संस्कार को लेकर बड़ा विवाद हुआ।
- उनका स्मारक 2015 में मोदी सरकार द्वारा बनाया गया।
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