आख़िर तक – एक नज़र में
- पीओके के प्रधानमंत्री अनवर-उल-हक़ ने भारत के खिलाफ जिहाद का आह्वान किया।
- उनके बयानों को क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए खतरा बताया गया।
- मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और नेताओं ने इस बयान की कड़ी निंदा की।
- यह बयान पीओके में बढ़ते राजनीतिक और आर्थिक असंतोष के बीच आया है।
- विशेषज्ञों ने इसे आतंकवादी समूहों को उकसाने वाला कदम बताया है।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
अनवर-उल-हक़ की विवादित अपील
पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (पीओके) के प्रधानमंत्री अनवर-उल-हक़ ने हाल ही में भारत के खिलाफ जिहाद का आह्वान किया। 5 जनवरी को ‘स्वनिर्णय अधिकार दिवस’ पर मुज़फ्फराबाद में आयोजित रैली में उन्होंने “अल-जिहाद, अल-जिहाद” के नारों के साथ भारतीय सैनिकों को कश्मीर से हटाने की बात कही।
बयान और इसकी आलोचना
हक़ ने कहा, “अगर तीन रुपये की बिजली और 2,000 मण आटा देश को डुबोने वाला नहीं है, तो अल्लाह की राह में जिहाद सही है।” उनके इस बयान की कड़ी आलोचना हुई। इसे मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और राजनीतिक नेताओं ने “अंतर्राष्ट्रीय शांति के लिए खतरा” बताया।
विशेषज्ञों की प्रतिक्रियाएँ
प्रसिद्ध मानवाधिकार कार्यकर्ता अमजद अयूब मिर्जा ने हक़ के बयान को “राजनीतिक जमीन बचाने की हताशा भरा प्रयास” बताया। उन्होंने कहा कि यह बयान नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास तनाव बढ़ा सकता है।
यूकेपीएनपी नेता साजिद हुसैन ने इस बयान को “चरमपंथी सोच” का प्रतीक कहा। उन्होंने इसे वैश्विक शांति और कश्मीर विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के प्रयासों को पटरी से उतारने वाला बताया।
क्षेत्रीय अस्थिरता का बढ़ता खतरा
विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि ऐसे उत्तेजक बयान आतंकवादी संगठनों को बढ़ावा दे सकते हैं और क्षेत्र में अस्थिरता ला सकते हैं। भारत ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और क्षेत्रीय शांति में बाधा डालने वाले किसी भी प्रयास का सख्ती से जवाब दिया जाएगा।
पीओके में असंतोष का बढ़ता प्रभाव
यह बयान पीओके में बढ़ते असंतोष के बीच आया है, जहां लोग पाकिस्तान के हस्तक्षेप और राजनीतिक व आर्थिक मुद्दों को लेकर विरोध कर रहे हैं। विशेषज्ञ इसे ध्यान भटकाने की चाल मानते हैं।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- अनवर-उल-हक़ का बयान क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को खतरे में डालता है।
- यह पीओके में बढ़ते असंतोष और कुप्रबंधन से ध्यान हटाने का प्रयास है।
- संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को कार्रवाई करनी चाहिए।
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