आख़िर तक – एक नज़र में
- कैबिनेट ने भारतीय रेलवे की दो नई रेलवे मल्टीट्रैकिंग परियोजनाओं को मंजूरी दी।
- ये परियोजनाएं महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में लाइन क्षमता बढ़ाएंगी।
- इनसे यात्रा सुविधा बढ़ेगी, रसद लागत घटेगी और माल ढुलाई सुगम होगी।
- परियोजनाएं पीएम-गति शक्ति योजना का हिस्सा हैं और रोजगार भी सृजित करेंगी।
- यह रेल विकास पहल तेल आयात कम करेगी और पर्यावरण संरक्षण में मदद करेगी।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने भारतीय रेलवे के लिए दो महत्वपूर्ण रेलवे मल्टीट्रैकिंग परियोजनाओं को स्वीकृति दी है। यह निर्णय लाइन क्षमता बढ़ाने और यात्रियों तथा माल दोनों की निर्बाध व तेज आवाजाही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया गया है। इन परियोजनाओं से महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में रेल नेटवर्क का विस्तार होगा।
स्वीकृत परियोजनाएं और लागत
जिन दो परियोजनाओं को मंजूरी मिली है, वे हैं:
- रतलाम-नागदा तीसरी और चौथी लाइन
- वर्धा-बल्हारशाह चौथी लाइन
इन रेलवे मल्टीट्रैकिंग परियोजनाओं की कुल अनुमानित लागत लगभग 3,399 करोड़ रुपये है। इन्हें 2029-30 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। ये परियोजनाएं मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का परिणाम हैं। एकीकृत योजना के माध्यम से यह संभव हुआ है और इससे लोगों, वस्तुओं तथा सेवाओं की आवाजाही के लिए निर्बाध कनेक्टिविटी मिलेगी।
विस्तार और प्रभाव क्षेत्र
ये दो रेलवे मल्टीट्रैकिंग परियोजनाएं महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश राज्यों के चार जिलों को कवर करेंगी। इनसे भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क में लगभग 176 किलोमीटर की वृद्धि होगी। प्रस्तावित मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना लगभग 784 गांवों को बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। इन गांवों की कुल आबादी लगभग 19.74 लाख है। यह कदम इन क्षेत्रों के समग्र रेल विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
माल ढुलाई और आर्थिक लाभ
ये मार्ग कोयला, सीमेंट, क्लिंकर, जिप्सम, फ्लाई ऐश, कंटेनर, कृषि वस्तुओं और पेट्रोलियम उत्पादों जैसी वस्तुओं के परिवहन के लिए आवश्यक हैं। क्षमता वृद्धि कार्यों के परिणामस्वरूप 18.40 मीट्रिक टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) की अतिरिक्त माल ढुलाई होगी। भारतीय रेलवे परिवहन का एक पर्यावरण-अनुकूल और ऊर्जा-कुशल साधन है। ये परियोजनाएं जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने और देश की रसद लागत को कम करने में मदद करेंगी। इससे तेल आयात में 20 करोड़ लीटर की कमी आएगी। साथ ही, कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 99 करोड़ किलोग्राम की कमी होगी, जो 4 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है। यह पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम है।
रोजगार सृजन और आत्मनिर्भर भारत
इन रेलवे मल्टीट्रैकिंग परियोजनाओं से निर्माण के दौरान लगभग 74 लाख मानव-दिवस का प्रत्यक्ष रोजगार भी सृजित होगा। ये पहल यात्रा सुविधा में सुधार करेंगी, रसद लागत कम करेंगी, तेल आयात घटाएंगी और कम CO2 उत्सर्जन में योगदान देंगी। यह टिकाऊ और कुशल रेल परिचालन का समर्थन करेगा। परियोजनाएं कंटेनर, कोयला, सीमेंट, कृषि वस्तुओं और अन्य सामानों के परिवहन के लिए महत्वपूर्ण मार्गों पर लाइन क्षमता बढ़ाकर लॉजिस्टिक दक्षता भी बढ़ाएंगी। इन सुधारों से आपूर्ति श्रृंखलाओं के अनुकूलन की उम्मीद है, जिससे त्वरित आर्थिक विकास को सुगम बनाया जा सकेगा।
बढ़ी हुई लाइन क्षमता गतिशीलता को काफी बढ़ाएगी। इसके परिणामस्वरूप भारतीय रेलवे के लिए बेहतर परिचालन दक्षता और सेवा विश्वसनीयता सुनिश्चित होगी। ये मल्टी-ट्रैकिंग प्रस्ताव परिचालन को सुव्यवस्थित करने और भीड़भाड़ कम करने के लिए तैयार हैं। ये परियोजनाएं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नए भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं। यह क्षेत्र के लोगों को व्यापक विकास के माध्यम से “आत्मनिर्भर” बनाएगा, जिससे उनके रोजगार/स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे। रेलवे मल्टीट्रैकिंग इन क्षेत्रों में समग्र विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- कैबिनेट ने महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में दो नई रेलवे मल्टीट्रैकिंग परियोजनाओं को मंजूरी दी।
- रतलाम-नागदा और वर्धा-बल्हारशाह लाइनों का विकास ₹3399 करोड़ की लागत से होगा।
- यह पीएम-गति शक्ति योजना का हिस्सा है, जो माल ढुलाई और कनेक्टिविटी को सुधारेगा।
- परियोजना से 74 लाख मानव-दिवस रोजगार मिलेगा और पर्यावरण को भी लाभ होगा।
- यह रेल विकास पहल रसद लागत कम कर आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य में सहायक होगी।
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