आख़िर तक – एक नज़र में
- आरबीआई ने रेपो दर को 6.5% पर स्थिर रखा है।
- गवर्नर शक्तिकांत दास ने महंगाई नियंत्रण को प्राथमिकता बताया।
- आर्थिक विकास दर के अनुमान को 6.6% पर संशोधित किया गया।
- खाद्य महंगाई चौथी तिमाही तक राहत मिलने की संभावना कम है।
- नीति समिति ने तटस्थ रुख बनाए रखने का निर्णय लिया।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
रेपो दर स्थिर, महंगाई पर ध्यान
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने लगातार 11वीं बार प्रमुख ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखा। रेपो दर 6.5% पर स्थिर है, जबकि स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) 6.25% और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) 6.75% पर बनी हुई है। गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि यह फैसला महंगाई को नियंत्रण में रखने के उद्देश्य से किया गया है।
महंगाई और विकास में संतुलन
महंगाई आरबीआई के सहनशीलता दायरे (2-6%) से ऊपर बनी हुई है, विशेष रूप से खाद्य वस्तुओं की बढ़ती कीमतों के कारण। दास ने चेतावनी दी कि खाद्य महंगाई पर चौथी तिमाही तक प्रभावी राहत की संभावना नहीं है। इसके साथ ही, आरबीआई ने मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 6.6% कर दिया है।
महंगाई का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
गवर्नर दास ने बताया कि महंगाई से उपभोक्ताओं की आय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे निजी खपत घटती है। यह वास्तविक जीडीपी वृद्धि का प्रमुख घटक है। आरबीआई ने महंगाई दर का अनुमान 4.8% पर रखा है।
आगे की राह
आरबीआई का तटस्थ रुख इसे बदलती परिस्थितियों के अनुसार कार्रवाई करने की सुविधा देता है। हालांकि, वैश्विक कमोडिटी कीमतों और घरेलू आपूर्ति से जुड़ी नीतियां इस प्रक्रिया की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- रेपो दर 6.5% पर स्थिर।
- जीडीपी वृद्धि अनुमान 6.6% पर संशोधित।
- महंगाई दर का अनुमान 4.8%।
- आरबीआई का तटस्थ रुख।
- महंगाई नियंत्रण प्राथमिकता।
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