आख़िर तक – एक नज़र में
- सोमवार को भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले ₹86.39 तक गिरा।
- अमेरिकी जॉब डेटा और मजबूत डॉलर ने मुद्रा बाजार पर दबाव बढ़ाया।
- विदेशी निवेशकों की भारी निकासी ने रुपए की स्थिति कमजोर की।
- विशेषज्ञों का कहना है कि अगले तीन महीनों में रुपया ₹88 तक गिर सकता है।
- हेजिंग गतिविधियों और अस्थिरता ने गिरावट को तेज किया।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
रुपया पहुंचा सबसे निचले स्तर पर
सोमवार को भारतीय रुपया पहली बार ₹86.39 प्रति डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर गिर गया। इस गिरावट में 0.4% की कमी आई, जो एशियाई मुद्राओं में भी कमजोरी को दर्शाता है। यह गिरावट मुख्य रूप से अमेरिकी डॉलर की मजबूती के कारण हुई।
डॉलर की मजबूती के मुख्य कारण
- मजबूत अमेरिकी जॉब डेटा:
अमेरिकी गैर-कृषि नौकरियों में उम्मीद से अधिक 256,000 नई नौकरियां जोड़ी गईं। यह आंकड़ा 160,000 की उम्मीद से कहीं अधिक है। - अर्थव्यवस्था की स्थिरता:
अमेरिकी विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में मजबूती से डॉलर मजबूत हुआ, जिसने भारतीय मुद्रा पर दबाव बढ़ाया। - फेडरल रिजर्व दर में कटौती की संभावना कम:
नए आंकड़ों ने फेडरल रिजर्व से ब्याज दरों में त्वरित कटौती की उम्मीद को कमजोर किया, जिससे डॉलर को फायदा हुआ।
विदेशी निवेशकों की निरंतर निकासी
- इस महीने में अब तक विदेशी निवेशकों ने ₹4 अरब से अधिक निकाले हैं।
- बीते तिमाही में ₹11 अरब की निकासी ने स्थिति को और बिगाड़ा।
- अमेरिकी आर्थिक नीतियों और वैश्विक अनिश्चितताओं ने बाजार में भय को बढ़ाया।
आगे क्या हो सकता है?
जेफरीज़ के ब्रैड बेक्टल ने कहा कि रुपया वास्तविक प्रभावी विनिमय दर (REER) के अनुरूप कमजोर हुआ है।
मार्केट विशेषज्ञों का मानना है कि रुपया आने वाले समय में ₹88 प्रति डॉलर तक गिर सकता है।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर ₹86.39 पर पहुंचा।
- मुख्य कारण मजबूत डॉलर, विदेशी निवेशकों की निकासी और हेजिंग गतिविधियां हैं।
- विशेषज्ञ रुपया ₹88 तक गिरने का अनुमान लगा रहे हैं।
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