भारत में 2025 में सामान्य से अधिक मानसून की उम्मीद: IMD

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भारत में 2025 में सामान्य से अधिक मानसून की उम्मीद: IMD

आख़िर तक – एक नज़र में

  • भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने 2025 में सामान्य से अधिक मानसून का पूर्वानुमान लगाया है।
  • देश में मौसमी वर्षा लंबी अवधि के औसत (LPA) का 105% रहने की संभावना है।
  • प्रमुख जलवायु कारक, जैसे अल नीनो और हिंद महासागर द्विध्रुव (IOD), अभी तटस्थ हैं।
  • यह मानसून पूर्वानुमान भारतीय कृषि क्षेत्र के लिए एक बड़ी राहत ला सकता है।
  • लद्दाख, पूर्वोत्तर और तमिलनाडु में सामान्य से कम बारिश होने की आशंका है।

आख़िर तक – विस्तृत समाचार

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भारत में 2025 में बेहतर मानसून की संभावना

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। विभाग ने 2025 में सामान्य से अधिक मानसून वर्षा का पूर्वानुमान जारी किया है। यह खबर देश के कृषि क्षेत्र के लिए आशा की किरण लेकर आई है। IMD के अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि मौसमी वर्षा लंबी अवधि के औसत (LPA) का 105% रह सकती है। इस पूर्वानुमान में 5% की मॉडल त्रुटि की गुंजाइश भी रखी गई है। यह मानसून पूर्वानुमान देश की अर्थव्यवस्था के लिए काफी मायने रखता है।

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मानसून का समय और परिभाषा

दक्षिण-पश्चिम मानसून आमतौर पर 1 जून के आसपास केरल में दस्तक देता है। यह मध्य सितंबर तक देश से वापस चला जाता है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अनुसार, अनुमानित अच्छी बारिश कृषि क्षेत्र को बहुत जरूरी बढ़ावा दे सकती है। IMD सामान्य वर्षा को 96% से 104% के बीच परिभाषित करता है। यह 50-वर्षीय औसत 87 सेमी (लगभग 35 इंच) पर आधारित है। यदि वर्षा इस सीमा से अधिक होती है, तो इसे “सामान्य से अधिक मानसून” माना जाता है। इस साल का अनुमान इसी श्रेणी में आता है।

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क्षेत्रीय वर्षा का अनुमान

IMD के अनुसार, इस साल का पूर्वानुमान बताता है कि देश के अधिकांश हिस्सों को अनुकूल वर्षा की स्थिति से लाभ होने की संभावना है। हालांकि, कुछ क्षेत्र अपवाद हो सकते हैं। चार महीने के मानसून सीजन के दौरान लद्दाख, पूर्वोत्तर और तमिलनाडु में सामान्य से कम बारिश होने की उम्मीद है। इन क्षेत्रों को संभावित जल संकट के लिए तैयार रहना होगा। बाकी हिस्सों में अच्छी बारिश से जल भंडार भरने की उम्मीद है।

अनुकूल जलवायु कारक

अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि सभी प्रमुख जलवायु कारक वर्तमान में तटस्थ चरण में हैं। इसमें अल नीनो और हिंद महासागर द्विध्रुव (IOD) शामिल हैं। इन तटस्थ स्थितियों को एक स्वस्थ मानसून के लिए अनुकूल माना जाता है। अल नीनो एक जलवायु पैटर्न है। इसमें मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर की सतह का पानी सामान्य से अधिक गर्म हो जाता है। इससे अक्सर भारत में मानसून कमजोर होता है और कम बारिश होती है।

IOD हिंद महासागर में एक मौसम संबंधी घटना है। इसमें पश्चिमी और पूर्वी हिस्सों के बीच समुद्र की सतह के तापमान में अंतर वर्षा को प्रभावित करता है। एक सकारात्मक IOD आमतौर पर भारत में अधिक बारिश लाता है। जबकि एक नकारात्मक IOD इसे कम कर सकता है। वर्तमान में दोनों का तटस्थ होना मानसून 2025 के लिए एक सकारात्मक संकेत है।

अन्य सकारात्मक संकेतक

इन प्रमुख कारकों के अलावा, इस वर्ष एक और सकारात्मक संकेतक है। यूरेशिया और हिमालयी क्षेत्र पर बर्फ का कम आवरण देखा गया है। ऐतिहासिक रूप से, इन क्षेत्रों में कम बर्फ का आवरण भारत में मजबूत मानसूनी वर्षा से जुड़ा रहा है। यह भी सामान्य से अधिक मानसून की संभावना को बल देता है।

कृषि और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

अनुकूल समुद्री और वायुमंडलीय परिस्थितियों के साथ, इस वर्ष का मानसून औसत से ऊपर रहने की उम्मीद है। इससे कृषि क्षेत्र को बहुत आवश्यक राहत मिलेगी। अच्छी बारिश फसल उत्पादन बढ़ा सकती है। यह ग्रामीण आय में सुधार कर सकती है। साथ ही खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है। यह मौसम भविष्यवाणी किसानों और नीति निर्माताओं के लिए महत्वपूर्ण है। वे इसके आधार पर अपनी योजनाएं बना सकते हैं। कुल मिलाकर, 2025 का मानसून भारत के लिए अच्छी खबर लेकर आ सकता है।


आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें

  • IMD ने 2025 में सामान्य से अधिक मानसून (LPA का 105%) का अनुमान लगाया है।
  • अल नीनो और IOD जैसे प्रमुख जलवायु कारक फिलहाल तटस्थ और अनुकूल हैं।
  • कम बर्फ का आवरण भी एक मजबूत मानसून का सकारात्मक संकेतक है।
  • यह पूर्वानुमान कृषि क्षेत्र के लिए अत्यधिक लाभकारी साबित हो सकता है।
  • लद्दाख, पूर्वोत्तर और तमिलनाडु में औसत से कम वर्षा की संभावना है।

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आख़िर तक मुख्य संपादक
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