आख़िर तक – एक नज़र में
- उत्तर प्रदेश के सम्भल में मस्जिद सर्वे पर हुई हिंसा की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग का गठन किया गया है।
- इस आयोग का नेतृत्व हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज देवेंद्र कुमार अरोरा कर रहे हैं।
- आयोग ने घटना स्थल का दौरा किया और पुलिस व जिला प्रशासन से जानकारी ली।
- सम्भल में 24 नवंबर को हिंसा में 5 लोगों की मौत हो गई थी।
- आयोग दो महीने में अपनी रिपोर्ट पेश करेगा और भविष्य में ऐसे घटनाओं को रोकने के उपाय सुझाएगा।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
न्यायिक आयोग का गठन उत्तर प्रदेश के सम्भल जिले में 24 नवंबर को हुई हिंसा की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग गठित किया गया है। इस आयोग का नेतृत्व इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायधीश देवेंद्र कुमार अरोरा कर रहे हैं। अन्य दो सदस्य हैं अमित मोहन प्रसाद, एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी, और अरविंद कुमार जैन, सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी। आयोग ने घटना स्थल का दौरा किया और वहाँ की स्थिति का जायजा लिया।
हिंसा के कारण और घटनाक्रम सम्भल में हिंसा की शुरुआत 19 नवंबर को हुई थी, जब कोर्ट के आदेश पर शाही जामा मस्जिद का सर्वे किया जा रहा था। इस मस्जिद को लेकर यह दावा किया गया कि यहां पहले हरिहर मंदिर था, जो मुघल सम्राट बाबर द्वारा ध्वस्त किया गया था। 24 नवंबर को सर्वे के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुआ, जिसके परिणामस्वरूप पत्थरबाजी और आगजनी हुई। इस हिंसा में पांच लोगों की जान चली गई।
आयोग की जांच और उद्देश्य न्यायिक आयोग यह जांच करेगा कि यह हिंसा एक सोची-समझी साजिश थी या यह अचानक हुआ घटनाक्रम था। इसके अलावा, आयोग यह भी देखेगा कि पुलिस और जिला प्रशासन ने कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए क्या इंतजाम किए थे और प्रदर्शनकारियों पर पुलिस के बल प्रयोग की स्थिति क्या थी। आयोग अपनी जांच के बाद दो महीने में अपनी रिपोर्ट पेश करेगा, जिसमें भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उपाय सुझाए जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश इस मामले में हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि सम्भल की अदालत शाही जामा मस्जिद के सर्वे के मामले को तब तक आगे न बढ़ाए जब तक मस्जिद कमेटी इसे उच्च न्यायालय में चुनौती नहीं देती। सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद कमेटी की याचिका पर उच्च न्यायालय में सुनवाई को तीन कार्यदिवसों के भीतर सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- सम्भल में मस्जिद सर्वे को लेकर हुई हिंसा में 5 लोग मारे गए।
- न्यायिक आयोग ने जांच शुरू की है, जो यह पता लगाएगा कि हिंसा की घटना जानबूझकर आयोजित की गई थी या यह एक अचानक घटना थी।
- सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे को रोकने का आदेश दिया और उच्च न्यायालय से जल्द सुनवाई का निर्देश दिया।
- आयोग दो महीने में अपनी रिपोर्ट पेश करेगा।
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