सुप्रीम कोर्ट: टूटा विवाह जीवन का अंत नहीं

आख़िर तक
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सुप्रीम कोर्ट: टूटा विवाह जीवन का अंत नहीं

आख़िर तक – एक नज़र में

  • सुप्रीम कोर्ट ने एक दंपति का विवाह भंग करते हुए यह टिप्पणी की।
  • कोर्ट ने कहा कि असफल विवाह जीवन का अंत नहीं है।
  • दंपति को शांतिपूर्वक आगे बढ़ने की सलाह दी गई।
  • मई 2020 में शादी हुई थी, और 17 मुकदमे दायर किए गए थे।
  • कोर्ट ने वकीलों को मुकदमे लड़ने से मना किया, क्योंकि वे सालों तक चल सकते थे।

आख़िर तक – विस्तृत समाचार

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सुप्रीम कोर्ट (SC) ने एक दंपति का विवाह भंग करते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि यदि विवाह असफल हो जाता है, तो यह जीवन का अंत नहीं है। न्यायमूर्ति अभय ओका की पीठ ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने दंपति को भविष्य में शांतिपूर्वक आगे बढ़ने की सलाह दी है। यह मामला मई 2020 में हुए विवाह से संबंधित था। शादी के बाद दंपति ने एक-दूसरे के खिलाफ 17 मुकदमे दायर किए थे। सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी मुकदमों को खारिज कर दिया।

कोर्ट की टिप्पणी

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कोर्ट ने कहा, “दंपति युवा हैं। उन्हें अपने भविष्य की ओर देखना चाहिए। अगर विवाह असफल हो गया है, तो यह दोनों के लिए जीवन का अंत नहीं है। उन्हें आगे बढ़ना चाहिए और एक नया जीवन शुरू करना चाहिए।” कोर्ट ने दंपति से शांतिपूर्वक रहने और जीवन में आगे बढ़ने का आग्रह किया।

मामले की पृष्ठभूमि

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कोर्ट ने इस मामले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। शादी के एक साल के भीतर, पत्नी को अपने ससुराल वालों द्वारा लगातार उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए अपना वैवाहिक घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। वकीलों ने कोर्ट को बताया कि इन मुकदमों को लड़ने से कोई फायदा नहीं होगा, क्योंकि वे सालों तक चल सकते थे।

अनुच्छेद 142 का उपयोग

बाद में, वकीलों ने कोर्ट से भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी अधिकारिता का प्रयोग करके विवाह को भंग करने का अनुरोध किया। अनुच्छेद 142 सुप्रीम कोर्ट को किसी भी मामले में “पूर्ण न्याय” करने के लिए आवश्यक आदेश पारित करने की शक्ति देता है।

महिला की स्थिति

महिला अपनी शादी के तुरंत बाद से अपने माता-पिता के घर पर रह रही थी, क्योंकि उनका रिश्ता खराब हो गया था। कोर्ट ने इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए विवाह को भंग करने का फैसला किया। यह फैसला उन जोड़ों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है जो असफल विवाह से जूझ रहे हैं।

आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें

  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा, टूटा विवाह जीवन का अंत नहीं है।
  • दंपति को शांतिपूर्वक आगे बढ़ने की सलाह दी गई।
  • शादी मई 2020 में हुई थी, और 17 मुकदमे दायर किए गए थे।
  • कोर्ट ने वकीलों को मुकदमे लड़ने से मना किया।
  • कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 का उपयोग किया।

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आख़िर तक मुख्य संपादक
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