आख़िर तक – एक नज़र में
- शेख हसीना ने बांग्लादेश में हिंदू साधु चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी की निंदा की।
- उन्होंने हाल ही में हुई धार्मिक स्थलों और अल्पसंख्यकों पर हमलों पर चिंता जताई।
- चटगांव में एक वकील की हत्या के बाद प्रदर्शन तेज हो गए हैं।
- हसीना ने मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार पर मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाया।
- भारत सरकार ने भी अल्पसंख्यकों पर हमलों की कड़ी निंदा की है।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
पृष्ठभूमि और घटनाक्रम
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हिंदू साधु चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। हसीना ने इस घटना को “अराजक गतिविधि” करार देते हुए तुरंत रिहाई की मांग की। साथ ही, उन्होंने चटगांव में एक वकील की हत्या और अल्पसंख्यक धार्मिक स्थलों पर हमलों पर भी नाराजगी जताई।
विरोध और हिंसा की घटनाएं
शेख हसीना के अनुसार, दास की गिरफ्तारी के विरोध में हुए प्रदर्शनों के दौरान चटगांव में वकील सैफुल इस्लाम की हत्या हो गई। उन्होंने सरकार से न्याय की मांग करते हुए दोषियों को सजा देने की अपील की। उन्होंने कहा, “अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है।”
राजनीतिक संदर्भ और आरोप
हसीना ने अंतरिम सरकार पर संविधान का उल्लंघन करने और मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “अगर सरकार दोषियों को सजा नहीं देती, तो उसे भी जवाबदेह ठहराया जाएगा।”
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
भारत ने भी इस मामले पर गहरी चिंता व्यक्त की है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने अल्पसंख्यकों पर हमलों की निंदा की और दास की गिरफ्तारी पर सवाल उठाए।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- शेख हसीना ने हिंदू साधु की गिरफ्तारी और धार्मिक हिंसा की निंदा की।
- चटगांव में एक वकील की हत्या ने हालात और बिगाड़ दिए।
- अंतरिम सरकार पर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगे हैं।
- भारत ने भी बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमलों की निंदा की।
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