सिंधु जल संधि निलंबन: पाकिस्तान में ‘जल बम’ का डर

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सिंधु जल संधि निलंबन: पाकिस्तान में 'जल बम' का डर

आख़िर तक – एक नज़र में

  • पहलगम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा सिंधु जल संधि निलंबन से पाकिस्तान में हड़कंप मच गया है।
  • पाकिस्तानी सीनेटर सैयद अली जफर ने इसे पाकिस्तान पर “जल बम” करार दिया है।
  • जफर ने चेतावनी दी कि इससे गंभीर भुखमरी और मौतें हो सकती हैं।
  • भारत ने पाकिस्तान के विक्टिम कार्ड खेलने की आशंका को देखते हुए कूटनीतिक उपाय तेज कर दिए हैं।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 का संदेश दोहराया, “खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।”

आख़िर तक – विस्तृत समाचार

पहलगम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा सिंधु जल संधि निलंबन के फैसले ने पाकिस्तानी नेताओं को झकझोर कर रख दिया है। यह पाकिस्तानी सीनेटर सैयद अली जफर के बयानों से स्पष्ट है। उन्होंने इसे पाकिस्तान पर “जल बम” की तरह बताया। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी के इस सांसद ने दावा किया कि भारत के इस कदम से हर 10 में से एक पाकिस्तानी प्रभावित होगा। यह कदम भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक नया तनाव बिंदु बन गया है।

पाकिस्तानी सीनेटर की गंभीर चेतावनी

शुक्रवार को सीनेट सत्र के दौरान, विपक्षी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के एक वरिष्ठ नेता, जफर ने चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि यदि संकट का समाधान नहीं किया गया तो इससे व्यापक भुखमरी हो सकती है। इसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर मौतें भी हो सकती हैं। यह पाकिस्तान के लिए एक गंभीर जल संकट की स्थिति पैदा कर सकता है।

जफर ने कहा, “अगर हमने अभी जल संकट का समाधान नहीं किया तो हम भूख से मर जाएंगे। सिंधु बेसिन हमारी जीवन रेखा है क्योंकि हमारे तीन-चौथाई पानी देश के बाहर से आता है। दस में से नौ लोग अपनी आजीविका के लिए सिंधु जल बेसिन पर निर्भर हैं। हमारी 90 प्रतिशत फसलें इस पानी पर निर्भर करती हैं। हमारी सभी बिजली परियोजनाएं और बांध इसी पर बने हैं।” यह बयान सिंधु जल संधि निलंबन के संभावित गंभीर परिणामों को दर्शाता है।

पाकिस्तान की निर्भरता और भारत का कदम

सिंधु नदी प्रणाली का लगभग 93% पानी पाकिस्तान द्वारा सिंचाई और बिजली उत्पादन के लिए उपयोग किया जाता है। इसकी लगभग 80% सिंचित भूमि इसके पानी पर निर्भर है। इसकी अर्थव्यवस्था काफी हद तक कृषि प्रधान है।

22 अप्रैल को पहलगम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा उठाए गए कूटनीतिक उपाय में सिंधु जल संधि निलंबन भी शामिल था। इस हमले में पाकिस्तानी और पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकवादियों ने 26 लोगों की हत्या कर दी थी। यह भारत की आतंकवाद विरोधी नीति का एक सख्त कदम है।

भारत की कूटनीतिक सक्रियता

भारत जानता था कि पाकिस्तान विक्टिम कार्ड खेलेगा। इसलिए, ऑपरेशन सिंदूर के बाद की कूटनीति के लिए भारत दुनिया के विभिन्न कोनों में सात टीमें भेज रहा है। इन टीमों का उद्देश्य सिंधु जल संधि निलंबन पर भारत का रुख स्पष्ट करना है।

पहलगम हमलों के बाद, मिस्री (संभवतः भारतीय अधिकारी का संदर्भ) ने कहा कि भारत सिंधु जल संधि की मौजूदा शर्तों का पालन नहीं कर सकता। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने संधि की शर्तों पर फिर से बातचीत करने के बार-बार के आह्वान को नजरअंदाज किया था। भारतीय टीमें निचले तटीय राज्य के रूप में पाकिस्तान को विक्टिम कार्ड खेलने दिए बिना सिंधु जल संधि पर भारत के रुख को सही ठहराएंगी।

सिंधु जल संधि का इतिहास और वर्तमान स्थिति

1960 में हस्ताक्षरित, सिंधु जल संधि छह नदियों – सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज – को भारत और पाकिस्तान के बीच कैसे विभाजित और प्रबंधित किया जाता है, इसकी रूपरेखा तैयार करती है। यह भारत-पाकिस्तान के बीच जल साझाकरण का आधार रही है।

पाकिस्तान सरकार भारत पर सिंधु जल संधि निलंबन के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए दबाव डाल रही है। पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री इशाक डार सहित उच्च पदस्थ अधिकारी कड़ी टिप्पणी कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में पाकिस्तान प्रायोजित उरी हमले के बाद दिए गए अपने संदेश को दोहराया, “खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।” भारत ने सिंधु जल संधि को तब तक “स्थगित” रखा है जब तक पाकिस्तान “सीमा पार आतंकवाद को नहीं छोड़ता”।

विशेषज्ञों की राय और भविष्य की संभावनाएं

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के पास अब पश्चिमी नदियों पर भंडारण और डायवर्जन बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए कानूनी और कूटनीतिक गुंजाइश है। हालांकि, अल्पावधि में पाकिस्तान के लिए पानी के प्रवाह को महत्वपूर्ण रूप से बदलने की इसकी क्षमता सीमित है। इसका कारण मौजूदा ढांचागत बाधाएं और बड़े पैमाने पर परियोजनाओं को विकसित करने में लगने वाला समय है।

सिंधु जल संधि निलंबन, जिसे पाकिस्तान ने हल्के में लिया और भारत में आतंकवाद का निर्यात किया, ने देश और उसके नेतृत्व को झकझोर दिया है। यह शुक्रवार को सीनेटर जफर के “जल बम” वाले बयान से स्पष्ट है। यह स्थिति भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को और बढ़ा सकती है।


आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें

  • पहलगम आतंकी हमले के जवाब में भारत ने सिंधु जल संधि निलंबन का कड़ा कदम उठाया।
  • पाकिस्तानी सीनेटर सैयद अली जफर ने इसे पाकिस्तान के लिए “जल बम” बताते हुए गंभीर जल संकट और भुखमरी की चेतावनी दी।
  • भारत अपने कूटनीतिक उपाय के तहत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना पक्ष स्पष्ट कर रहा है, ताकि पाकिस्तान विक्टिम कार्ड न खेल सके।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते” के अपने पुराने रुख को दोहराया।
  • सिंधु जल संधि निलंबन भारत-पाकिस्तान के बीच जल साझाकरण और आतंकवाद के मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण मोड़ है।

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