आख़िर तक – एक नज़र में
- 21 बीजेपी सांसदों ने सोनिया गांधी के राष्ट्रपति पर दिए बयान को लेकर विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव दायर किया।
- सोनिया गांधी ने राष्ट्रपति के भाषण के बाद उन्हें “बेचारी” कहकर विवाद खड़ा कर दिया।
- बीजेपी सांसदों का दावा है कि यह टिप्पणी राष्ट्रपति पद की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली है।
- प्रस्ताव में इस बयान को “अभिजात्य एवं आदिवासी विरोधी मानसिकता” का उदाहरण बताया गया।
- सांसदों ने इस पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की है।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
सोनिया गांधी के बयान पर विवाद क्यों?
राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी ने 31 जनवरी को संसद के दोनों सदनों को संबोधित करने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लेकर एक टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति “बहुत थक गई थीं” और “बेचारी, वह मुश्किल से बोल पा रही थीं”। इस बयान के बाद राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया।
बीजेपी सांसदों की प्रतिक्रिया
बीजेपी के 21 आदिवासी सांसदों ने इस टिप्पणी को राष्ट्रपति पद की गरिमा के खिलाफ बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह बयान आदिवासी समाज के प्रति “अभिजात्य और भेदभावपूर्ण मानसिकता” को दर्शाता है।
विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव का आधार
बीजेपी सांसदों का कहना है कि इस टिप्पणी से राष्ट्रपति पद की प्रतिष्ठा और संसदीय मर्यादा को ठेस पहुंची है। संसद में पेश किए गए नोटिस में कहा गया कि सोनिया गांधी का यह बयान “संसदीय विशेषाधिकारों का उल्लंघन” करता है और इस पर अनुशासनात्मक कार्रवाई होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट का संदर्भ और अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग
बीजेपी सांसदों ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि सांसदों द्वारा विशेषाधिकारों का दुरुपयोग “स्वीकार्य नहीं” है। उन्होंने सोनिया गांधी के खिलाफ “उदाहरणात्मक कार्रवाई” की मांग की, ताकि संसदीय गरिमा बनी रहे।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- सोनिया गांधी के बयान को लेकर बीजेपी सांसदों ने विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव दायर किया।
- सांसदों का कहना है कि यह राष्ट्रपति पद की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला बयान है।
- उन्होंने इसे “अभिजात्य और आदिवासी विरोधी मानसिकता” करार दिया।
- सांसदों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की।
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