आख़िर तक – एक नज़र में
- दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक येओल पर विद्रोह के आरोप में अभियोग लगाया गया।
- 3 दिसंबर को मार्शल लॉ के संक्षिप्त प्रयोग को लेकर यह कदम उठाया गया।
- यून को 15 जनवरी को गिरफ्तार किया गया, वे पद पर रहते गिरफ्तार होने वाले पहले राष्ट्रपति हैं।
- दक्षिण कोरिया में विद्रोह अपराध के लिए उम्रकैद या मृत्युदंड का प्रावधान है।
- सर्वोच्च न्यायालय 180 दिनों के भीतर यून के भविष्य पर निर्णय करेगा।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
विद्रोह के आरोप में अभियोग
3 दिसंबर को मार्शल लॉ के अस्थायी प्रयोग को लेकर दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति यून सुक येओल पर विद्रोह के आरोप में अभियोग लगाया गया। मुख्य विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रवक्ता हान मिन-सू ने कहा, “विद्रोह के नेता को सजा देने की प्रक्रिया अब शुरू हो गई है।” अभियोग की पुष्टि दक्षिण कोरिया के मीडिया में भी की गई।
राष्ट्रपति पद पर रहते गिरफ्तारी
यून को 15 जनवरी को गिरफ्तार किया गया, जो दक्षिण कोरिया के इतिहास में राष्ट्रपति पद पर रहते गिरफ्तार होने वाले पहले नेता बने। उन्हें भ्रष्टाचार विरोधी जांचकर्ताओं द्वारा हिरासत में लिया गया। उनके वकीलों ने उनके खिलाफ की जा रही गिरफ्तारी को अवैध बताया।
मार्शल लॉ का अल्पकालिक प्रभाव
यून ने संसद में राजनीतिक गतिरोध को तोड़ने के लिए छह घंटे के लिए मार्शल लॉ लागू किया, लेकिन कड़े विरोध के बाद इसे रद्द कर दिया। सांसदों ने सेना के सामने लोकतंत्र की रक्षा के लिए प्रयास किया।
संवैधानिक न्यायालय का निर्णय
यून पर जारी अभियोग और उनके भविष्य को लेकर संवैधानिक न्यायालय 180 दिनों में अंतिम फैसला सुनाएगा। उनका कहना है कि मार्शल लॉ पूरी तरह लागू करने का उनका कोई इरादा नहीं था।
कठोर दंड का प्रावधान
दक्षिण कोरिया में विद्रोह का अपराध मृत्युदंड या आजीवन कारावास के तहत आता है, हालांकि दशकों से कोई फांसी नहीं दी गई। यह मामला दक्षिण कोरियाई लोकतंत्र और विधिक प्रणाली के लिए एक चुनौती बन चुका है।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- राष्ट्रपति यून सुक येओल पर विद्रोह के आरोप में अभियोग लगाया गया।
- मार्शल लॉ केवल छह घंटे के लिए लागू रहा।
- उनके भविष्य पर 180 दिनों के भीतर निर्णय लिया जाएगा।
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